दिमाग पर असर डाल रहा वायरल फीवर
वायरस में हो रहे म्यूटेशन के कारण वायरल फीवर के हर रोगी में दिख रहे हैं अलग लक्षण और प्रभावित हो रहा है दिमाग। इसलिए घबराएं नहीं, एहतियात बरतें और कराएं उपचार...
वायरस में हो रहे म्यूटेशन के कारण वायरल फीवर के हर रोगी में दिख रहे हैं अलग लक्षण और प्रभावित हो रहा है दिमाग। इसलिए घबराएं नहीं, एहतियात बरतें और कराएं उपचार...
क्रामक होने के कारण इस समय वायरल फीवर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आमतौर पर मौसमी फीवर में खांसी, जुकाम, शरीर में दर्द, गले में खराश, मुंह का स्वाद खराब होना, सिरदर्द आदि लक्षण देखे जाते हैं, लेकिन वायरस में हो रहे म्यूटेशन के कारण अब संक्रमित के लक्षणों के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि रोगी किस फीवर से पीडि़त है। मौसमी फीवर के अतिरि1त उपर्यु1त लक्षण चिकनगुनिया, मेनेनजाइटिस, डेंगू आदि के रोगियों में भी होते हैं। इन दिनों आ रहे फीवर के मामलों में ऐसे रोगियों की भी संख्या काफी है, जो शारीरिक ही नहीं, मानसिक पीड़ा से भी ग्रसित हैं, जबकि अभी तक मेनेनजाइटिस फीवर का असर ही दिमाग में पड़ता था। इसलिए यदि बुखार होने पर रोगी बेहोशी की स्थिति में आता है या मानसिक स्थिति खराब होती है तो तत्काल उपचार कराएं।
एंटीबायोटिक व दर्द की दवाओं के सेवन से बचें: यदि फीवर की चपेट में आते हैं तो शुरुआत में पैरासीटामोल का सेवन करें। हालांकि अच्छा यही रहेगा कि बिना देरी किए चिकित्सकीय सलाह लें। आजकल लोग फीवर के शुरुआत में ही खुद से दर्द निवारक व एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करने लगते हैं। यह सेहत के लिए ठीक नहीं है। हमारे शरीर में जब भी कोई संक्रमण होता है, शरीर संक्रमण से लडऩे लगता है और ऐसे में जब एंटीबायोटिक या दर्द निवारक का सेवन किया जाता है तो शरीर में इसका प्रतिकूल असर पड़ता है।
जांच में देरी ठीक नहीं: सिर्फ लक्षणों के आधार पर फीवर के बारे में कुछ भी कह पाना कठिन है। इसलिए यदि तीन से चार दिन में फीवर नियंत्रित न हो तो जांच अवश्य कराएं। कोरोना का संक्रमण जारी है, लेकिन अच्छी बात यह है कि वायरस लोड बहुत कम है। इसलिए लोग इसकी चपेट में आकर स्वस्थ भी हो रहे हैं। लक्षणों की बात करें तो वायरल फीवर व कोरोना के लक्षणें में काफी समानता है। जब जांच कराएंगे तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि आप किस संक्रमण की चपेट में हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रखें: किसी भी संक्रमण से बचने का सबसे आसान उपाय है रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाए रखना और संक्रमण के प्रति सजग रहना। इसके लिए घर में बने पौष्टिक आहार का सेवन करें और स्वच्छता का ध्यान रखें। बाजार की खुली चीजें न खाएं।
हृदय, डायबिटीज व सांस के रोगी रहें सजग: किसी भी संक्रमण की चपेट में सबसे पहले कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता व गंभीर रोगों से ग्रसित लोग आते हैं। हृदय, डायबिटीज और सांस के रोगियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर होती है। इसलिए इन्हें अतिरि1त सावधानी बरतनी चाहिए। ये लोग अपनी दवाएं लेते रहें, समय पर जांच कराएं और चिकित्सक के संपर्क में रहें। सांस की बीमारी में फेफड़े कमजोर होते हैं। इसलिए ये लोग गरारा या भाप ले सकते हैं। इससे गला ठीक रहेगा।
एंफ्लूएंजा की वैक्सीन लगवाएं: वायरल फीवर या मौसमी संक्रमण से बचने के लिए एंफ्लूएंजा की वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए। इससे संक्रमण से बचाव का सुरक्षा चक्र मिलता है। ये वैक्सीन वायरस में होने वाले म्यूटेशन को ध्यान में रखकर बनाई जाती है।
रोगी से दूरी बनाकर रखें: घर में यदि कोई सदस्य वायरल फीवर की चपेट में आता है तो उसकी देखरेख में बहुत सावधनी बरतें। संक्रमित के कपडे, बर्तन व अन्य उपयोगी चीजें गर्म पानी से साफ करें व इन्हें साझा करने से बचें।