नवरात्री में हल्दी न खाने की ये हैं वजह

सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। यह पर्व अश्विन माह में मनाया जाता है।

Update: 2020-10-22 10:45 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। यह पर्व अश्विन माह में मनाया जाता है। इस साल दुर्गा पूजा 17 अक्टूबर से 25 अक्टूबर के बीच मनाया जा रहा है। इस पर्व में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रे के दिनों में मां दुर्गा की सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से पूजा करने पर व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके लिए साधक व्रत कर मां दुर्गा को मनाते हैं।

इस दौरान व्रती नवरात्र में उपवास रखते हैं। इसमें व्रती केवल सेंधा नमक युक्त भोजन एक समय करते हैं। जबकि कुछ व्रती फलाहार पर रहते हैं। जबकि तामसी भोजन से परहेज करते हैं, जिनमें नॉन-वेज, लहसन और प्याज आदि शामिल हैं। साथ ही हल्दी का भी सेवन नहीं करते हैं। हल्दी भारत में मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं जो सेहत और सुंदरता दोनों के लिए लाभदायक होते हैं। हालांकि, नवरात्रे में हल्दी नहीं खाई जाती है। अगर आपको इस बारे में नहीं पता है, तो आइए जानते हैं-

नवरात्रि के दिनों में व्रती फल, दूध और फलाहार पर रहते हैं। व्रती अपनी डाइट में साबूदाना, कुट्टू का आटा और सिंघाड़े का आटा खाते हैं। जबकि चावल, गेंहू, प्याज, लहसुन और सामान्य नमक नहीं खाते हैं। जबकि अपने खाने में हल्दी का भी इस्तेमाल नहीं करते हैं। उपवास करने से शरीर का शुद्धिकरण होता है। इससे शरीर में मौजूद टॉक्सिन बाहर निकल जाता है और मन शुद्ध हो जाता है।

व्रत के दौरान सात्विक भोजन करने का विधान है। सात्विक भोजन करने से शरीर में ऊर्जा में का संचार होता है। इनसे शरीर का शुद्धिकरण होता है। दूसरी ओर, आयुर्वेद में राजसिक और तामसिक भोजन को खाने की मनाही है। ऐसा माना जाता है कि हल्दी का स्वाद कड़वा होता है और इसके सेवन से शरीर में गर्मी पैदा होती है। इस वजह से नवरात्रे में हल्दी खाने की मनाही है।

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