इस दिशा में खाना पकाने वाली गृहीणी का होना चाहिए मुख

वास्तु विज्ञान पंच तत्वों पृथ्वी, जल, आकाश, अग्नि, वायु इन सारी चीजों का संतुलन है

Update: 2022-09-01 14:22 GMT

वास्तु विज्ञान पंच तत्वों पृथ्वी, जल, आकाश, अग्नि, वायु इन सारी चीजों का संतुलन है। घर के विकास के लिए वास्तु शास्त्र बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इन सारी चीजों के असुतंलन होने से घर में नेगेटिव एनर्जी का आगमन हो सकता है। परिवार के सदस्यों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए सिर्फ पौष्टिक खाना ही नहीं बल्कि रसोई का वास्तु भी सम्मत होना चाहिए। वास्तु शास्त्र में किचन के कुछ ऐसे टिप्स बताए गए हैं जिनसे पालन करने से रसोई में दरिद्रता नहीं होती। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में

रसोई के अंदर ना हो मंदिर
ऐसा माना जाता है कि रसोई के अंदर कभी भी मंदिर नहीं बनाना चाहिए। इससे घर के सदस्य का स्वभाव गुस्सैल हो सकता है। इसके अलावा उनके स्वास्थ्य पर भी इसका असर पड़ सकता है। यदि रसोई में मंदिर है तो उसे किसी ओर जगह पर स्थापित कर दें।
बिना स्नान न जाएं किचन में
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, बिना स्नान के रसोई में जाने से घर में नेगेटिव एनर्जी का आगमन होता है। इससे घर के सदस्यों में आलस और चिढ़चिढ़ापन आता है। इसलिए रसोई में आप स्नान करके ही जाएं।
रसोई में न खाएं खाना
यदि भोजन पकाने वाली महिला किचन यानी की भोजन बनाने वाले स्थान में भोजन करती है तो इससे घर में दरिद्रता आती है। खाने पकाते समय भी कुछ न खाएं। इससे भी घर में नेगेटिव एनर्जी आ सकती है।
इस दिशा में खाना पकाने वाली गृहीणी का मुख
किचन में खाना पकाने वाली गृहीणी का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इस दिशा की ओर मुख होने से घर में पैसे की वृद्धि होती है और परिवार का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। भोजन बनाते समय कभी भी गृहीणी को दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके खाना नहीं बनाना चाहिए। इससे परिवार की सेहत खराब हो सकती है।
स्वास्तिक का बनाएं चिन्ह
यदि आपके घर में नेगेटिव एनर्जी बढ़ रही है तो आप पॉजिटिवटी के लिए किचन के पूर्व की दीवार पर स्वास्तिक का चिन्ह बना सकते हैं। पूर्व दिशा में स्वास्तिक का चिन्ह बहुत ही शुभ माना जाता है।


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