गर्भ में पल रहे बच्चे के दिल की सेहत का ऐसे रखें ख्याल

सेहत का ऐसे रखें ख्याल

Update: 2023-09-28 10:35 GMT
गर्भावस्था के दौरान बच्चे का सेहतमंद रहना बहुत जरूरी है। इस दौरान कई ऐसी समस्याएं हो सकती हैं, जिनका असर बच्चे की आने वाली पूरी जिंदगी पर हो सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान हार्ट हेल्थ का भी खास ख्याल रखा जाना चाहिए। प्रेग्नेंसी में 5वें या 8वें हफ्ते में बच्चे की हार्ट बीट सुनाई देने लगती है। बच्चे की हार्ट बीट की रिदम और हार्ट रेट का ठीक होना बहुत जरूरी है। 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट डे सेलिब्रेट किया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों में दिल की बीमारियों के बारे में जागरूकता फैलाना है। अक्सर एडल्ट लोगों की हार्ट हेल्थ के बारे में तो बात की जाती है, लेकिन बच्चों में होने वाले कार्डियक इश्यूज पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
बच्चों में कई बार जन्म से ही दिल की बीमारियां होती हैं। इसे कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज कहा जाता है। गर्भ में पल रहे बच्चों की हार्ट हेल्थ का कैसे ख्याल रखना है, इस बारे में एक्सपर्ट से जानते हैं। यह जानकारी डॉक्टर श्वेता नथानी, बखरु, सीनियर कंसल्टेंट, पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी, दे रही हैं।
गर्भ मे जरूर करवएं बच्चों के दिल की जांच
बच्चों के दिल की जांच गर्भ में फीटल इकोकार्डियोग्राफी के जरिए की जा सकती है। इससे बच्चों में मौजूद दिल की कई जन्मजात बीमारियों का पता लगाया जा सकता है।
फीटल इकोकार्डियोग्राफी सोनोग्राफी की एक विशेष टेक्नीक है जो गर्भ के अंदर फीटल हार्ट की जांच करती है।
इसमें सोनोग्राफिक वेव के जरिए मां के गर्भ में पल रहे बच्चे के हार्ट की इमेज मॉनिटर पर देखी जाती है और इसे पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट परफॉर्म करते हैं।
इसे 18 से 22वें हफ्ते के बीच में करवाना चाहिए। इससे हार्ट चैंबर, ब्लड वेसल्स, होल्स और हार्टबीट के डेवलपमेंट का साफ पता चल पाता है।
फीटल स्कैन से लभग 80 प्रतिशत क्रिटिकल हार्ट डिजीज का पता चल सकता है।
आज के वक्त में एडवांस सर्जिकल स्किल्स से ज्यादातर दिल की बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।fatal heart care
फीटल ईकोकार्डियोग्राफी से सही समय पर अगर बच्चे के दिल की किसी विकार के बारे में पता चल जाए, तो मेडिकल या सर्जिकल ट्रीटमेंट प्लान किया जा सकता है।
इसके साथ ही सही समय पर बच्चे में दिल से जुड़ी बीमारी का पता लगने पर गर्भ में या फिर डिलीवरी के समय सही देखभाल की जा सकती है।
अगर सही समय पर जांच न की जाए, तो ट्रीटमेंट में बहुत जटिलताएं आ सकती हैं। सही समय पर जांच होने से सही इलाज मिल पाता है और कई बच्चों की जान बच जाती है।
कुछ कंडीशन्स में बच्चे का इलाज पैदा होने से पहले ही शुरू कर दिया जाता है।
कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज एक गंभीर समस्या है और इसके सही इलाज के लिए समय से जांच जरूरी है।
एक्सपर्ट के मुताबिक, कई परिवार इस तरह की जांचों से झिझकते हैं, लेकिन बच्चे की हेल्थ के लिए यह बहुत जरूरी है।
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