अध्ययन का दावा- बौद्धिक और यौन क्षमता, दोनों को प्रभावित कर सकता है कोविड
कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान संक्रमितों में कई तरह के गंभीर लक्षण देखने को मिले
कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान संक्रमितों में कई तरह के गंभीर लक्षण देखने को मिले। रोगियों के हृदय, फेफड़ों और कई अन्य अंग संक्रमण के कारण प्रभावित पाए गए। कई रोगियों में संक्रमण से ठीक हो जाने के बाद भी लॉन्ग कोविड के रूप में यह लक्षण लंबे समय तक भी देखे जा रहे हैं। इसी से संबंधित एक हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया है कि कोरोना के गंभीर संक्रमण का शिकार रह चुके लोगों में वायरस बौद्धिक क्षमता को भी प्रभावित करते हुए देखा गया है। यूके में किए गए इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि संक्रमण के दौरान जो मरीज गंभीर रूप से बीमारे के चलते अस्पताल में भर्ती थे या वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे, ऐसे रोगियों में लॉन्ग-कोविड के लक्षणों के रूप में बौद्धिक क्षमता से संबंधित समस्याएं देखी जा रही हैं।
ग्रेट ब्रिटिश इंटेलिजेंस टेस्ट के हिस्से के रूप में वैज्ञानिकों ने जनवरी से दिसंबर 2020 के बीच 81,337 प्रतिभागियों का परीक्षण किया। इन रोगियों पर किए गए अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि लॉन्ग कोविड के रूप में लोगों को बौद्धिक क्षमता से जुड़ी कई तरह का समस्याएं हो रही हैं। रोगियों को लॉन्ग कोविड के रूप में ब्रेन फॉग, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी और सही शब्दों के चयन से संबधित दिक्कतें हो रही हैं।
आइए आगे की स्लाइडों में इस अध्ययन के बारे में विस्तार से जानते हैं।
बौद्धिक क्षमता पर कोविड-19 के दुष्प्रभाव
द लैंसेट ई-क्लिनिकल मेडिसिन' जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि संक्रमण के गंभीर लक्षण जैसे कि उच्च तापमान या सांस की समस्या, रोगियों में बौद्धिक क्षमता की समस्याओं का कारण बन रहे हैं। जिन लोगों को कोविड के उपचार के लिए गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ी थी, ऐसे लोगों में बौद्धिक क्षमताओं से संबंधित दिक्कतें ज्यादा देखने को मिल रही हैं, हालांकि समस्याएं उन लोगों में भी हो सकती हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं पड़ी थी।
लॉन्ग कोविड के प्रभाव
इंपीरियल कॉलेज लंदन, किंग्स कॉलेज, द यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज, साउथेम्प्टन और शिकागो विश्वविद्याल के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस शोध में पाया गया कि लॉन्ग कोविड के तौर पर लोगों में बौद्धिक क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि तमाम स्तर पर इसके कारणों और जैविक आधार पर इसकी आशंका को जानने के लिए और अधिक विस्तार से अध्ययन की आवश्यकता है।
फिलहाल लॉन्ग कोविड का इलाज कर रहे डॉक्टरों को इस संबंध में रोगियों की जांच करनी चाहिए, जिससे भविष्य की आशंकाओं को कम किया जा सके।
पुरुषों का प्रजनन क्षमता भी हो रही है प्रभावित
इसी तरह से एक अन्य अध्ययन में शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना वायरस पुरुषों की प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है। क्रिस्टा आईवीएफ रिर्सच द्वारा किए गए इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कोविड-19 संक्रमित पुरुषों में फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (एफएसएच) और टेस्टोस्टेरोन का अनुपात कम जबकि ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन का स्तर बढ़ा हुआ पाया। एफएसएच का कम स्तर प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना वायरस वीर्य के मापदंडों को भी प्रभावित कर रहा है, यही कारण है कि पुरुषों की प्रजनन क्षमता में अस्थायी कमी आ सकती है।
संक्रमितों में घट सकती है शुक्राणुओं की गुणवत्ता
अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि संक्रमित पुरुषों में शुक्राणु की गुणवत्ता और गतिशीलता में भी प्रभावित हो सकती है, इतना ही नहीं कुछ प्रतिभागियों में वीर्य की मात्रा में भी 50 प्रतिशत तक की कमी देखी गई। इस आधार पर शोधकर्ताओं का कहना है कि संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों को एक बार इस संबंध में चिकित्सक से संपर्क कर लेना चाहिए। स्थिति को और बेहतर तरीके से जानने के लिए शोधकर्ता तमाम स्तर पर अध्ययन कर रहे हैं।
स्रोत और संदर्भ:
अस्वीकरण नोट: यह लेख द लैंसेट में जर्नल में प्रकाशित शोध के आधार पर तैयार किया गया है। लेख में शामिल सूचना व तथ्य आपकी जागरूकता और जानकारी बढ़ाने के लिए साझा किए गए हैं। संबंधित विषय के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए अपने चिकित्सक से सलाह लें।