मंदी में बढ़ेगा प्यार! जी हां, हम दे रहे हैं कुछ ऐसी रोमैंटिक जगहों की जानकारी, जहां की फ़िज़ा में रोमांस तो भरा ही है साथ ही ये आपके बजट में भी समाएंगे यानी अब मंदी में बढ़ेगा प्यार का सेन्सेक्स.
मॉरिशस दुनिया की सबसे रोमैंटिक जगहों में एक हैtravel
सागर किनारे, दिल ये पुकारे
यदि आपको प्रकृति के अलग-अलग नज़ारों का लुत्फ़ उठाने का शौक़ है तो मॉरिशस से बेहतरीन कोई और जगह नहीं है. आप अपनी कल्पना से बाहर रोमांचक एहसास का आनंद लें या बीच की रेत पर आराम कुर्सी पर अलसाए रहें. हनीमून के लिए यह एक आदर्श जगह है. यहां की शांत फ़िज़ा में नवविवाहत जोड़े अपने नए जीवन की सुंदर शुरुआत कर सकते हैं, क्योंकि यह दुनिया की सबसे रूमानी जगहों में एक है. समुद्र की नीली लहरों से घिरा यह द्वीप सकून पसंद पर्यटकों को हमेशा से अपनी ओर आकर्षित करता रहा है.
इस ख़ूबसूरत द्वीप पर पर्यटकों के पास अपनी यात्रा को यादगार बनाने के कई सारे विकल्प मौजूद हैं. यहां की सफ़ेद रेत पर टहलने का आनंद उठाएं या पैरासेलिंग और डायविंग का मज़ा लें. आप अंडर-सी वॉक और सब-स्कूटर से पानी में डाइव कर सकते हैं या क्वाड बाइक से जंगल के नज़ारे देखने जा सकते हैं.
यदि शहर की चकाचौंध देखने का मन करे तो मॉरिशस की राजधानी पोर्ट लुईस का रुख़ कर सकते हैं. यहां के आधुनिक मॉल्स में शॉपिंग करना न भूलें. शैमरेल में दूर तक फैली हरियाली की पर्त में जामुनी, सुनहरे, लाल और पीले रंगों के फूल मन मोह लेंगे. उत्तरी शैमरेल 40 किमी लंबे और ३० किमी चौड़े द्वीप का दिल कहलाता है.
अपने समय में ओरछा परीकथाओं में वर्णित शहरों जितना सुंदर रहा होगाorcha
परिकथाओं के शहर में आपका स्वागत है
एक समय वैभवशाली राज्य रहा ओरछा अपनी अद्वितीय शिल्पकला के बावजूद जंगलों से घिरा होने के कारण भारत के राजनैतिक नक्शे पर सैकड़ों वर्षों तक अपनी पहचान बनाने में असमर्थ रहा. सदियों बाद 2 वर्ग किमी में फैले इस शहर पर पर्यटकों की नज़र पड़ी और उनकी चहलक़दमी ने इसे फिर से नया जीवन दिया. आज अपनी बदली हुई भूमिका में ओरछा पर्यटकों को अपने अंदर छिपे रहस्यमय इतिहास से रूबरू कराता है. यह बताता है कि जब वो जवान और ख़ूबसूरत था तो किस प्रकार राजा-महाराजा उसके शानदार महलों को जीतने के लिए आपस में युद्ध किया करते थे.
नदी के किनारे बसे इस छोटे से शहर में 32 प्राचीन स्थापत्य हैं, जिनमें से अधिकांश समय की मार के चलते जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं. पर सबकी अपनी अलग कहानी और ऐतिहासिक अतीत है. ओरछा की सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि यहां भगवान राम की पूजा एक राजा के रूप में की जाती है, विष्णु के अवतार के रूप में नहीं. यहां ऐसी मान्यता है कि राम दिन में अयोध्या में रहते थे और रात में सोने के लिए ओरछा चले आते थे. यही कारण है कि यहां का मंदिर दिनभर बंद रहता है और शाम को 7 बजे आरती के लिए मंदिर का चांदी का भारी भरकम दरवाज़ा खोला जाता है.
पूरे ओरछा में बिखरे हुए ऐतिहासिक स्थापत्यों के खंडहरों को देखेंगे तो आपको महसूस होगा कि अपने समय में ओरछा परीकथाओं में वर्णित शहरों जितना सुंदर रहा होगा.
नवविवाहित जोड़ों के लिए मसूरी बेहद रोमैंटिक जगह हैmasuri
रूमानी मौसम से गुलज़ार
मसूरी की मिट्टी में प्यार की ख़ुशबू है. हनीमून के लिए यह एक उपयुक्त जगह है. यहां देश के कोने-कोने से आए नवविवाहित जोड़ों को हाथों में हाथ डाले विस्मय से हिमालय की बर्फ से ढंकी चोटी को निहारते देखा जा सकता है. कुछ जोड़ों को कैमल्स बैक रोड पर साइकिल रिक्शा या घोड़े की पीठ पर सवारी करते हुए देखा जा सकता है और कई जोड़े कैम्पटी फ़ॉल की ख़ूबसूरती को निहारते हुए दिखते हैं. शाम होते ही पर्यटक रोपवे से गनहिल जाते हैं जहां अंग्रेज़ों के ज़माने में दोपहर को तोप दागी जाती थी, स्वतंत्रता के बाद उस परंपरा को बंद कर दिया गया.
यदि आप टहलते हुए मसूरी के नज़ारे देखना चाहते हैं तो भी बहुत कुछ देखने को मिलेगा फिर चाहे आप यहां के शहर की गहमागहमी के बीच टहलें या जंगल में क़दमताल करें. ख़ूबसूरत क्राइस्ट चर्च तथा मोसी, भट्टा, झरीपानी जैसे छोटे-बड़े वाटरफ़ॉल्स आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे. आप सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस भी देखने जा सकते हैं यहीं भारत के प्रथम सर्वेयर जनरल रहते थे, जिनके नाम पर दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी का नाम रखा गया है. 1838 में बने मसूरी के सबसे पुराने बंगलों में से एक क्लाउड एंड भी देखने जा सकते हैं, जिसे अब एक होटल में तब्दील कर दिया गया है. मसूरी से वापस लौटने से पहले बेनॉग हिल पर बने ज्वालाजी मंदिर जाना न भूलें, यहां से हिमालय का अप्रतिम सौंदर्य देखने लायक होता है.
नीलगिरी की सुंदरता आपको मंत्रमुग्ध कर देगीnilgiri
पहाड़ों में बसा सौंदर्य
पर्वतों के सीने को चीरती पतली घुमावदार पहाड़ी सड़कें और दोनों किनारों पर हरियाली की घनी परतों को अपने पीले रंग से सराबोर करते सूरजमूखी के फूल. तमिल नाडु के नीलगिरी श्रृंखला का यह तो एक परिचय भर है. आप जैसे-जैसे नीलगिरी के कुरुम्बाड़ी जाने वाले इस रास्ते पर आगे बढ़ेंगे वैसे-वैसे ऊंचे दऱख्तों के तनों से पुश्तैनी दुश्मनी निकालते कठफोवड़े, हवा में चरमराते बांस के झुरमुट, पक्षियों की चहचहाट, दूर से आती झरनों की अनवरत आवाज़ों और आस-पास बहती जलधारा की कल-कल इस परिचय को और भी घनिष्ठ करती चलेगी.
ड्राइव करते हुए उत्तरी कनूर के चाय-बा़गानों के बीच से गुज़रता रास्ता, उसके आगे डॉल्फ़िन नोज़ और लैम्ब्स रॉक जैसे स्थलों की ख़ूबसूती निहारें या पैदल चहल-क़दमी करते हुए सिम्स पार्क की ओर जाएं, वहां कि ब्रिटिश काल की इमारतों और भव्य गिरजाघरों की तारीफ़ किए बिना आप रह नहीं पाएंगे. आप नीलगिरी पैसेन्जर नामक टॉय ट्रेन की सवारी पर भी निकल सकते हैं. जी हां, इस नई जानकारी के साथ कि जिस वाहन की सवारी आप कर रहे हैं उसे हाल ही में यूनेस्को ने विश्व विरासत की साइट्स वाली सूची में शामिल किया है. आग से चलने वाली यह सवारी कभी गला साफ़ करेगी तो कभी खंखारेगी, कभी अपने सर्पीले ट्रैक्स पर चलते-चलते धुंए के बादल छोड़ेगी तो कभी गुफाओं और तंग रास्तों से गुज़रते हुए बच्चों की छुक-छुक गाड़ी ही होकर रह जाएगी. एक तरफ़ खड़ा पहाड़, दूसरी तरफ़ गहरी खाई और बीच के पतले, संकरे ट्रैक पर धड़धड़ाती हुई पुराने रेलवे ब्रिजेज़ को पार करती हुई आपकी यह नाज़ुक सवारी आपको एक बारगी तो यह अहसास देगी ही कि नीलगिरी किसी प्रेमी की तरह आपको लुभाने की कोशिश में लगा है. नीलगिरी की यही बात आपको दोबारा यहां खींच लाती है.