प्रेमी युगल के लिए प्रेरणादायक जोड़ी हैं राधा-कृष्ण, उनसे जरूर सीखें प्यार की ये बातें
जब भी कभी प्यार की मिसाल दी जाती हैं तो राधा-कृष्ण का नाम जरूर लिया जाता हैं। राधा और कृष्ण न सिर्फ एक दूसरें के नाम को पूरा करते हैं बल्कि वह एक दूसरों के बिना भी अधूरें हैं। आज के समय में जहां रिश्तों में ठहराव और समर्पण खोता दिखाई दे रहा हैं, वहां आज भी राधा-कृष्ण के प्यार की मिसाल दी जाती हैं। पुराणों के मुताबिक, हर प्रेमी युगल की तरह वह भी एक दूसरे के साथ जीवन बिताना चाहते थे, विवाह करना चाहते थे लेकिन ऐसा हो न सका। लेकिन आज वे एक सच्चे प्यार का उदाहरण जरूर बने हुए हैं। आज इस कड़ी में हम आपको उन बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जो हर प्रेमी युगल को राधा-कृष्ण से सीखने चाहिए। आइये जानते हैं इनके बारे में...
पार्टनर के लिए समर्पण का भाव रखें
राधा शक्ति का अवतार मानी जाती हैं। कहा जाता है राधा, कृष्ण के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित थीं। वृंदावन के माखन चोर जब भी बांसुरी बजाया करते थे, राधा उनकी धुन में पूरी तरह खो जाती थीं और खुद को नाचने से रोक नहीं पाती थीं। तो आप भी अपने पार्टनर के लिए पूरी तरह समर्पित रहें, अपने हाव-भाव में अपने इस भाव को दिखाएं।
अलग नहीं, एक बनकर जिएं
कृष्ण और राधा ने अपने प्रेम से यह बताया कि वह दोनों अलग नहीं है। कृष्ण अगर शरीर हैं तो राधा आत्मा हैं। कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं। उनमें से एक कहानी के मुताबिक, कान्हा के मथुरा जाने से पहले एक बार राधा रानी ने कृष्ण से पूछा कि वह उनसे विवाह क्यों नहीं कर सकते? इस पर कृष्ण ने कहा कि कोई अपनी आत्मा से विवाह करता है क्या। कृष्ण के इस जवाब से स्पष्ट है कि वह राधा जी से इतना प्रेम करते थे कि उनके लिए राधा उनका हृदय व आत्मा बन गईं थीं, जो हमेशा उनके साथ रहती थीं।
एक दूसरे की ताकत बनें
आजकल के रिश्ते में एक ये बात आम देखी जाती है कपल्स एक दूसरे की ताकत नहीं बल्कि कमजोरी बन जाते हैं। लेकिन असल में तो यह प्रेम नहीं है। प्रेम तो वो है जिसमें हम एक दूसरे की ताकत बनते हैं और एक दूसरे को जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं इसलिए अपने पार्टनर को कमजोर नहीं बल्कि जिंदगी के हर मोड़ पर उसे ताकतवर बनाएं।
प्यार में नहीं होती कोई शर्त
प्रेम किसी से भी हो सकता है। प्रेम के बीच कभी आयु का बंधन नहीं होता। राधा रानी श्रीकृष्ण से आयु में बड़ी थीं, फिर भी कान्हा राधा से बहुत स्नेह करते थे। उन दोनों के लिए आयु कोई मायने नहीं रखती थी। इसी तरह कई विद्वानों के मुताबिक राधा दूध की तरह गोरी और सुंदर थीं, वहीं कान्हा सांवले थे। फिर भी दोनों एक दूसरे को भा गए। प्रेम हृदय से होता है, शक्ल और उम्र से नहीं।
धीरज से लें काम
राधाकृष्ण का प्रेम हमें धीरज की सीख भी देता है। आजकल हर एक रिश्ते में लड़ाई होती है कईं बार ऐसा देखा जाता है कि उस रिश्ते को संवारने की जगह हम इसे तोड़ देते हैं। अगर एक गुस्से में बात कर रहा है तो यह दूसरे की जिम्मेदारी है कि वह शांत रहे और इस बंधन को टूटने से बचाए। ऐसा करने से आप छोटे नहीं हो जाएंगे और न ही आपके मान को कोई ठेस पहुंचेगी। इसलिए हमेशा धीरज से काम लें।
प्रेम में त्याग करना सीखें
सच्चे प्यार की परिभाषा को समझें। प्यार करने का अर्थ यह नहीं होता कि आप उनके साथ ही रहें। यह राधा-कृष्ण की कहानी से अच्छा आपको कौन समझा सकता है। जब कृष्ण को वृंदावन छोड़ना था जब उन्हें पता था कि उन्हें अपना सबकुछ यहीं छोड़ कर जाना होगा। वो जानते थे कि उन्हें राधा को भी छोड़ना होगा। राधा जानती थीं कि कृष्ण उनसे शादी नहीं कर पाएंगे और ना ही शारीरिक रूप से उनके साथ मौजूद होंगे। लेकिन वो जानती थीं कि दोनों की आत्मा एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं।