बिना चीरा कुछ ऐसे हुआ ऑपरेशन, यूरिन पर नहीं था नियंत्रण

इनका यूरिन पर नियंत्रण खत्म हो गया था.

Update: 2023-05-17 18:28 GMT
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | सहरसा और दरभंगा की ये दोनों महिलाएं 35 से 40 वर्ष के बीच के उम्र की थीं.दोनों का यूटरेस का ऑपरेशन हुआ था.उसके बाद से ही इनका यूरिन पर नियंत्रण खत्म हो गया था.लगातार यूरिन टपकता रहता था.जननांग के त्वचा में जलन, पेट में दर्द, उलटी अथवा मितली आने जैसी समस्याएं उत्पन्न हो गई थीं
.वे लम्बे समय से इस समस्या से जूझ रही थीं.पूर्व में बड़े ऑपरेशन के बाद वे फिर से कोई बड़ा ऑपरेशन कराने से डर रही थीं.इसके बाद वे पटना के आशियाना-दीघा रोड स्थित सत्यदेव सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल पहुंचीं.यहां यूरोलॉजिस्ट, लैप्रोस्कोपिक और किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. कुमार राजेश रंजन की देखरेख में इन दोनों का इलाज हुआ.दोनों का इलाज करीब-करीब एक ही तरह से हुआ.डॉ. राजेश ने उनका ऑपरेशन लैप्रोस्कोपिक विधि से करने का फैसला किया.इसे लैप्रोस्कोपिक वीवीएफ रिपेयर कहा जाता है.इसमें दो-तीन बहुत छोटे-छोटे छेद करके दूरबीन के जरिए ऑपरेशन कर दिया गया.मरीजों को बहुत कम दर्द हुआ और वे तीन बाद ही घर चली गईं.
डॉ. कुमार राजेश रंजन ने बताया कि इन दिनों इस तरह के मामले बहुत देखे जा रहे हैं.आम तौर पर सर्जरी से इसे ठीक किया जाता है लेकिन लोप्रोस्कोपी विधि से सर्जरी कम होती है.सत्यदेव सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में उपलब्ध सुविधाओं की मदद से हमने बिना कोई बड़ा चीरा लगाए इन दोनों मरीजों का इलाज लैप्रोस्कोपी से कर दिया.दोनों अब बिल्कुल स्वस्थ हैं और अब उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं है.
इनमें से एक मरीज को इलाज में बहुत कम पैसे खर्च करने पड़े जबकि एक मरीज के पास आयुष्मान कार्ड होने के कारण उनका इलाज मुफ्त में हो गया.डॉ. राजेश ने बताया कि ऐसे मरीज लगातार हमारे पास पहुंचे रहे हैं और हम उनका सफल इलाज कर रहे हैं.
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