इस महाशिवरात्रि के पावन मौके पर जानिए महाकाल के प्रसिद्ध और चमत्कारी मंदिरों के बारे में.....

देवों के देव महादेव और माता पार्वती का विवाह महाशिवरात्रि के दिन हुआ था। इस मौके पर शिव भक्त भोले बाबा के दर्शन और रुद्राभिषेक के लिए भारत के तमाम शिव मंदिरों में जाते हैं और पूजा अर्चना करते हैं।

Update: 2022-03-01 05:03 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देवों के देव महादेव और माता पार्वती का विवाह महाशिवरात्रि के दिन हुआ था। इस मौके पर शिव भक्त भोले बाबा के दर्शन और रुद्राभिषेक के लिए भारत के तमाम शिव मंदिरों में जाते हैं और पूजा अर्चना करते हैं। वैसे तो भारत में कई प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर हैं। इन शिव मंदिरों और शिवालयों की महिमा देश विदेश तक फैली है, जिसे देखने के लिए दूर दराज से लोग आते हैं। इनमें सबसे प्रसिद्ध हैं 12 ज्योतिर्लिंग। देश के कोने कोने में स्थापित इन 12 ज्योतिर्लिंगों में साक्षात भगवान भोले नाथ का वास माना जाता है। इसके अलावा बाबा अमरनाथ की यात्रा के लिए भी हर साल हजारों भक्त पहुंचते हैं। कई स्थानीय मंदिर हैं, जिनका अपना महत्व और कहानी है, जो भोले बाबा के चमत्कारों और उनकी महिमा का बखान करते हैं। इस महाशिवरात्रि के पावन मौके पर जानिए महाकाल के प्रसिद्ध और चमत्कारी मंदिरों के बारे में।

अमरनाथ
अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है। अमरनाथ की यात्रा पहलगाम मार्ग से होकर निकलती है। इस दुर्गम यात्रा को पूरा करने श्रद्धालु अमरनाथ की गुफा तक पहुंचते हैं, जहां उन्हें हिमलिंग के दर्शन होते हैं। अमरनाथ का हिमलिंग स्वयंभू शिवलिंग है यानी बिना किसी मानवीय प्रयास के रहस्यमयी तरीके से लिंग का रूप लेना। गुफा में ऊपर से बर्फ की बूंदे टपकती हैं, जिससे दस फिट का हिमलिंग बनता है। पुराणों के मुताबिक, इसी गुफा में भोलेनाथ ने माता पार्वती को अमरता का रहस्य बताया था। उस समय दो कबूतर भी वहां मौजूद थे, जिन्होंने अमरता का रहस्य सुन लिया था। वह आज भी इसी गुफा में बैठे हैं। माना जाता है कि कबूतरों का वह जोड़ा अमर हो गया है।
केदारनाथ
ज्योतिर्लिंगों और उत्तराखंड के चार धामों में से एक केदारनाथ धाम में भी साक्षात भोले बाबा के होने की मान्यता है। केदारनाथ की पैदल यात्रा गौरीकुंड से शुरू होती है। कहते हैं पूरे दिन में एक बार माता पार्वती गौरी कुंड, जो कि उनका धाम है, से केदारनाथ के मंदिर में बाबा भोलेनाथ से मिलने जाती हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस दौरान पैदल मार्ग पर कुल पल के लिए धुआं या विजिबिलिटी कम हो जाती है। वहीं केदारनाथ मंदिर बर्फ से ढके पर्वत से घिरा है। साल 2013 केदारनाथ त्रासदी में पूरा इलाका बाढ़ में डूब गया था। सबकुछ नष्ट हो गया था लेकिन महादेव का यह मंदिर अडिग रहा। उसे किसी तरह की क्षति नहीं हुई।
काशी विश्वनाथ
धर्म नगरी काशी को महादेव का प्रिय माना जाता है। कहा जाता है कि बाबा काशी धाम में ही रहते हैं। इसलिए धरती पर काशी धाम को सबसे पवित्र माना जाता है। यहां भोलेनाथ बाबा विश्वनाथ के नाम से वास करते हैं। काशी में शिवजी का प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है। मान्यता है कि रावण भोले बाबा को लेकर काशी पहुंचे थे। तभी से महादेव को यह जगह प्रिय हो गई। इसे मोक्ष नगरी भी इसीलिए कहते हैं।
छत्तीसगढ़ (रायपुर शिवलिंग)
छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक ऐसा शिवलिंग है, जिसे विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग कहा जाता है। इस शिवलिंग को भूतेश्वर महादेव कहा जाता है। यह जमीन से 85 फीट ऊंचा और 105 फीट गोलाकार है। मान्यता है कि यह शिवलिंग धीरे धीरे जमीन से ऊपर आती जा रही है। जब गांव वालों को शिवलिंग मिली थीं, तो उन्हें उस जगह से सांड की हुंकार और शेर की दहाड़ने की आवाज आती थी। बाद में उन्हें सांड या शेर तो नहीं मिला लेकिन शिवलिंग मिल गई जो जललहरी की तरह दिखती है।
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