नई तकनीक ने हार्ट सर्जरी को बनाया आसान, जानें इस तरह कर सकती हैं मदद

ओपन-हार्ट सर्जरी में छाती खोलकर वॉल्व, मांसपेशियां या दिल की धमनियों पर सर्जरी की जाती है. बाइपास तरीके से कोरोनरी आर्टरी का बदलाव व्यस्कों पर आर्ट सर्जरी की सबसे आम शक्ल है.

Update: 2021-01-11 04:25 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेसक | ओपन-हार्ट सर्जरी में छाती खोलकर वॉल्व, मांसपेशियां या दिल की धमनियों पर सर्जरी की जाती है. बाइपास तरीके से कोरोनरी आर्टरी का बदलाव व्यस्कों पर आर्ट सर्जरी की सबसे आम शक्ल है. इस सर्जरी के दौरान, सेहतमंद धमनी या नस को बंद कोरोनरी धमनी से जोड़ा जाता है. ओपन-हार्ट सर्जरी को कभी-कभी परंपरागत हार्ट सर्जरी कहा जाता है. इसलिए, 'ओपन-हार्ट सर्जरी' की परिभाषा भ्रामक हो सकती है. आज, बहुत सारी हार्ट की नई प्रक्रियाओं से सिर्फ मामूली चीरा लगाकर सर्जरी की जा रही है.


नई तकनीक ने हार्ट सर्जरी को बनाया आसान

हाल के वर्षों में, नई खोज ने तकनीक जैसे रोटेशनल अथेरेक्टोमी उपलब्ध करा दिया है और हार्ट सर्जरी से जुड़ी पेचीदगियों की लड़ाई को आसान बना दिया है. मेडिकल जगत में नई खोज ने ऐसे हल पेश कर दिए जिसने लाखों लागों को बेहतर जिंदगी जीने का मौका मुहैया करा दिया. दिल की धमनी के रोगियों को छाती, पीठ, बाजू, जबड़ा, गर्दन और कंधे में दर्द, सिर चकराना या कमजोरी जैसा अनुभव होता है. उन लक्षणों को अक्सर गलती से पेट का जलन, अपच, मतली, थकान, सांस लेने में कठिनाई या तेज दिल की धड़कन समझ लिया जाता है. दिल की धमनी का रोग उस वक्त होता है जब दिल की मांसपेशियों तक ब्लड और ऑक्सीजन ले जानेवाली रक्त वाहिकाएं तंग और सख्त हो जाती हैं.

दिल से जुड़ी बीमारी भारत के लिए चिंताजनक
बाइपास तरीके से कोरोनरी आर्टरी का बदलाव करने के लिए ओपन-हार्ट सर्जरी किया जा सकता है. दिल की धमनी के रोगियों के लिए बाइपास तरीके से कोरोनरी आर्टरी का बदलाव जरूरी हो सकता है. दिल की धमनी की बीमारी भारत में 60 मिलियन लोगों को प्रभावित कर रही है. भारत के लिए दिल से जुड़ी बीमारी चिंताजनक रूप में सामने आई है. तकनीक बहुत कमजोर सेहत की स्थिति और कमजोर हड्डी वालों या पहले से किसी बीमार लोगों के लिए ठीक काम करती है. हालांकि, तकनीक अपना हिस्सा अदा करती है, लेकिन हार्ट समस्याओं से बचने में मददगार जीवनशैली का कोई विकल्प नहीं है.
अब तो सेहतमंद जीवनशैली बिताना पहले से भी ज्यादा जरूरी हो गया है. महामारी ने दिल के रोगियों के लिए जोखिम पैदा कर दिया है. हमें समझना जरूरी है कि सांस की तकलीफ, धड़कन, कुछ मिनटों के बाद चलने में परेशानी या छाती दर्द के लक्षणों को जरूर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. इन दिनों, ज्यादातर लोग इन लक्षणों को वायरस से जुड़ी परेशानी के तौर पर खारिज कर देते हैं. लेकिन अगर आपकी मेडिकल हिस्ट्री दिल की परेशानी से जुड़ी है या परिवार में किसी को दिल संबंधी बीमारी है, तो हृदय रोग विशेषज्ञ से बात करना जरूरी हो जाता है.


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