आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) की अर्थनीति, कूटनीति और राजनीति विश्वविख्यात है, जो हर एक को प्रेरणा देने वाली है. चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु और सलाहकार आचार्य चाणक्य के बुद्धिमत्ता और नीतियों से ही नंद वंश को नष्ट कर मौर्य वंश की स्थापना की थी. आचार्य चाणक्य ने ही चंद्रगुप्त को अपनी नीतियों के बल पर एक साधारण बालक से शासक के रूप में स्थापित किया. अर्थशास्त्र के कुशाग्र होने के कारण इन्हें कौटिल्य कहा जाता था. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के जरिए जीवन से जुड़ी समस्याओं का समाधान बताया है.
चाणक्य नीति के अनुसार मित्रता करते समय सावधानी बरतनी चाहिए. क्योंकि मित्रता या दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो सबसे मजबूत और पवित्र है. मित्रता के बारे में कहा जाता है कि इस रिश्ते को ठीक उसी प्रकार से सहेजना पड़ता है जैसे एक किसान अपनी फसल की सुरक्षा करता है. किसान अपनी फसल को बचाने के लिए हर मौसम से जूझता है. सर्दी, गर्मी और बरसात से अपनी फसल को बचाने के लिए प्रयत्न करता है. तब कहीं जाकर फसल तैयार होती है, उसी प्रकार मित्रता भी है. मित्रता को मजबूत बनाने के लिए हरसंभव प्रयत्न करने चाहिए. यदि ऐसा नहीं होता है तो मित्रता कमजोर होती है. चाणक्य के अनुसार सच्चा मित्र वही है जो सुख और दुख में छाया की तरह खड़ा रहे. मित्रता के मामले में व्यक्ति को बहुत सतर्क रहने की जरूरत है. क्योंकि हर हाथ मिलाने वाला व्यक्ति मित्र नहीं होता है. कहा जाता है कि हाथ के साथ जब तक दिल न मिले तब तक मित्रता मजबूत नहीं होती है. इसलिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए. एक बार जब मित्रता हो जाए तो इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए-
गलत आदतों को न अपनाएं- चाणक्य नीति कहती है कि सच्चा मित्र वही है जो स्वयं और दूसरे को भी गलत आदतों से दूर रखें. जो गलत आदतों के लिए प्रेरित करें, वो कभी सच्चा मित्र नहीं हो सकता है. सच्चा मित्र वही है जो गलत कार्यों को करने पर रोके.
मर्यादा का ध्यान रखे- चाणक्य नीति कहती है कि सच्चा मित्र कितनी ही करीबी क्यों न हो वो कभी मर्यादा को नहीं लांघता है. जो लोग रिश्तों की मर्यादा का ध्यान नहीं रखते हैं, उन्हें शर्मिंदा होना पड़ता है. इस बात को हमेशा ध्यान रखना चाहिए हर रिश्ते की एक मर्यादा होती है, उसे कभी पार नहीं करना चाहिए.