Lifestyle: जाने बीमारियों को दूर भगाने वाले योग की कहाँ से हुई थी शुरुआत

योग का दुनिया से परिचय करवाया हमारे देश भारत ने

Update: 2024-06-22 03:15 GMT

लाइफस्टाइल: दुनिया भर में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है. योग का दुनिया से परिचय करवाया हमारे देश भारत ने. योग शब्द का सबसे पहला उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है, जिसके बाद बहुत से उपनिषदों में इसका उल्लेख हुआ. भारत में कई योग गुरु हुए जिन्होंने योग का ज्ञान सब तक पहुंचाने के लिए बहुत कुछ किया.योग गुरुओं का जिक्र हो तो बाबा रामदेव का नाम सबके जेहन में आता है. आम जनता को योग से जोड़ने में बाबा रामदेव का बहुत बड़ा योगदान है. उनके योग शिविर में समाज के बाकी लोगों के साथ-साथ सिलेब्रिटीज़ भी आते हैं. लेकिन भारतीय योग के इतिहास में ऐसे बहुत से योग गुरु हैं जिन्होंने योग को जनता जनार्दन तक पहुंचाने के लिए बहुत कुछ किया.

ऋषि पतंजलि: प्राचीन भारत के ऋषि पतंजलि ने संस्कृत के बहुत से ग्रंथों की रचना की. उनमें से एक है योगसूत्र जिसे योगदर्शन का मूलग्रंथ माना जाता है. शुंग वंश के शासनकाल के दौरान ऋषि पतंजलि का जन्म उत्तरप्रदेश के गोंडा में हुआ था और बाद में उन्होंने काशी को अपना निवास स्थान बनाया. व्याकरणाचार्य पाणिनी के शिष्य पतंजलि को शेषनाग का अवतार माना जाता था. पतंजलि बहुत बड़े चिकित्सक थे और इन्हें ही ‘चरक संहिता’ का रचयिता माना जाता है.

बी के एस अयंगर: एक योग गुरु हुए बी के एस अयंगर जिन्हें दुनिया के अग्रणी योग गुरुओं में से एक माना जाता है. उन्होंने योग दर्शन पर कई किताबें भी लिखीं जिनमें ‘लाइट ऑन योगा’, ‘लाइट ऑन प्राणायाम’ और ‘लाइट ऑन द योग सूत्राज ऑफ पतंजलि’ शामिल हैं। बी के एस अयंगर का जन्म 14 दिसम्बर 1918 को बेल्लूर के एक गरीब परिवार में हुआ था. कहा जाता है कि अयंगर बचपन में काफी बीमार रहा करते थे और तभी उन्हें योग करने की सलाह मिली. योग से जब स्वास्थ्य में सुधार हुआ तो उन्होंने योग को देश-दुनिया में फैलाने का जिम्मा उठाया. ‘अंयगर योग’ के नाम से उनका एक योग का स्कूल भी है. बी के एस अयंगर के योग का स्टाइल काफी अलग है जिसे ‘अयंगर योगा’ कहते हैं. टाइम मैगजीन ने साल 2004 में उनका नाम दुनिया के टॉप 100 प्रभावशाली लोगों में शामिल किया था.

तिरुमलाई कृष्णमचार्य: तिरुमलाई कृष्णमचार्य को आधुनिक योग का पितामह कहा जाता है. उन्हें आयुर्वेद की भी जानकारी थी और वो लोगों को योग और आयुर्वेद की सहायता से सेहतमंद रहने में मदद करते थे. हठयोग और विन्यास को फिर से जीवित करने का श्रेय उन्हें ही जाता है. उनका जन्म 18 नवंबर 1888 को मैसूर के चित्रदुर्ग जिले में हुआ था और करीब 100 साल की उम्र में 1989 में उनका निधन हुआ. उन्होंने हिमलाय की गुफाओं में योग की बारीकियां सीखीं और योग के जरिए वो अपनी सांसों और धड़कनों तक पर काबू पा लेते थे. उन्होंने 1938 में योगा के आसनों पर एक साइलेंट फिल्म भी बनाई.

कृष्ण पट्टाभि जोइस: योग की अष्टांग विन्यास शैली को विकसित करने का श्रेय जाता है श्री कृष्ण पट्टाभि जोएस को जिनका जन्म 26 जुलाई 1915 को कर्नाटक के एक गांव में हुआ था. ‘अष्टांग योग’ को पूरी दुनिया में फैलाने के साथ ही उन्होंने मैसूर में अष्टांग योग रिसर्च इंस्टीट्यूट की भी स्थापना की. उनका नाम कुछ विवादों से भी जुड़ा और करीब 93 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.

परमहंस योगानंद: 5 जनवरी 1893 को गोरखपुर के एक बंगाली परिवार में परमहंस योगानंद का जन्म हुआ. बचपन में उनका नाम मुकुंद लाल घोष था. उनके माता-पिता क्रियायोगी लाहिड़ी महाशय के शिष्य थे और घटनाएं ऐसा मोड़ लेती गईं कि मुकुंद लाल पर लाहिड़ी महाशय का गहरा असर पड़ा और वो मुकुंद लाल से परमहंस योगानंद बन गए. उन्होंने अपनी किताब ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी’ के जरिए मेडिटेशन और क्रिया योग से पश्चिमी दुनिया की पहचान करवाई. उनकी एक और किताब ‘सेल्फ रियलाइजेशन फैलोशिप लेसन’ भी खासी लोकप्रिय हुई थी.

स्वामी शिवानंद सरस्वती: 8 सितम्वर 1887 को तमिलनाडु में स्वामी शिवानंद सरस्वती का जन्म हुआ. वो पेशे से डॉक्टर थे और संन्यास के बाद उन्होंने अपना जीवन ऋषिकेश में बिताया. उन्होंने योग, वेदांत और कई विषयों पर करीब 300 किताबें लिखीं. ‘शिवानंद योग वेदांत’ के नाम से उनका एक योग सेंटर है. 1932 में उन्होंने शिवानन्दाश्रम और 1936 में दिव्य जीवन संघ की स्थापना की थी.

महर्षि महेश योगी: ‘ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन’ के जरिए महर्षि महेश योगी ने दुनिया भर में लाखों लोगों को अपना अनुयायी बनाया. उनके शिष्यों में कई सिलेब्रिटी भी शामिल हैं. महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के एक गांव में हुआ और उनका असली नाम महेश प्रसाद वर्मा था. उन्होंने इलाहाबाद से दर्शनशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन किया था. हिमालय में उन्होंने अपने गुरु से ध्यान और योग की शिक्षा ली. ब्रिटेन के मशहूर रॉक बैंड बीटल्स के सदस्यों ने उन्हें आध्यात्मिक गुरु माना. श्री श्री रविशंकर भी महर्षि महेश योगी के शिष्य हैं.

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