जानिए कब और क्यों डॉक्टर देते हैं सिजेरियन डिलीवरी की सलाह

गर्भावस्था जितनी सामान्य और सहज प्रक्रिया है, उतनी ही सहज प्रक्रिया है प्रसव भी। तेजी से बदलती जीवनशैली और आदतों ने प्रसव की प्राकृतिक और सहज प्रकिया पर भी असर डाला है।

Update: 2022-04-12 06:40 GMT

जानिए कब और क्यों डॉक्टर देते हैं सिजेरियन डिलीवरी की सलाह 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गर्भावस्था जितनी सामान्य और सहज प्रक्रिया है, उतनी ही सहज प्रक्रिया है प्रसव भी। तेजी से बदलती जीवनशैली और आदतों ने प्रसव की प्राकृतिक और सहज प्रकिया पर भी असर डाला है। यही कारण है कि आजकल ज्यादातर महिलाएं सीजेरियन या सी सेक्शन या ऑपरेशन के जरिए शिशु को जन्म देती हैं। आज से एक पीढ़ी पहले तक की महिलाओं के लिए सिजेरियन का मतलब खराब हुआ करता था और नॉर्मल या वैजाइनल डिलीवरी ही बच्चे को जन्म देने के एकमात्र तरीके के रूप में स्वीकार की जाती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। समय, परिस्थितियों व अन्य कई कारणों से डॉक्टर सिजेरियन का निर्णय लेते हैं। वहीं कई बार गर्भवती खुद भी पीड़ा से जल्द बाहर निकलने के लिए सिजेरियन को आसान विकल्प मानती हैं। उन डॉक्टर्स का प्रतिशत भी कम नहीं है जो पैसे के लालच में सामान्य प्रसव को भी सिजेरियन में बदल डालते हैं। द इंटरनेशनल सीजेरियन अवेयरनेस नेटवर्क (आईसीएएन) द्वारा हर वर्ष अप्रैल माह को "इंटरनेशनल सिजेरियन अवेयरनेस मन्थ" के रूप में मनाया जाता है। ये प्रयास है लोगों को सिजेरियन डिलीवरी को लेकर जागरूक बनाने का और बेवजह सिजेरियन डिलीवरी से बचाव करने का। आइए जानें क्या वाकई सिजेरियन डिलीवरी खराब होती है? क्या इससे मां का शरीर हमेशा के लिए मुश्किलों का शिकार हो जाता है?

सिजेरियन तकनीक क्यों है फायदेमंद ?
सिजेरियन, सी सेक्शन या ऑपरेशन के जरिए बच्चे के जन्म की संभावना तब होती है जब सामान्य प्रसव में कोई दिक्कत आती है और सिजेरियन का असल मकसद भी यही है। इसलिए यदि डॉक्टर आपको पूरे 9 महीने चैकअप के बाद किसी कारण से सिजेरियन का विकल्प देते हैं तो उसे समझिए। ये कोई खेल नहीं है। जाहिर है कि सामान्य प्रसव और शरीर को चीर कर करवाए गए प्रसव में अंतर होता है और सामान्य प्रसव के कई फायदे होते हैं। लेकिन यदि गर्भ में बच्चे की स्थिति असामान्य है, मां का शरीर सामान्य प्रसव को झेल नहीं सकता या प्रसव के दौरान अचानक किसी प्रकार की जटिल स्थिति पैदा होती है तो सिजेरियन सर्वोत्तम विकल्प के रूप में सामने होता है। यह मां और शिशु दोनों की ही जान बचाने में भूमिका अदा कर सकता है।
खेल नहीं है सिजेरियन:
आजकल ऐसे कई केसेस सुनने में आते हैं कि पैरेंट्स को किसी खास तिथि या समय पर बच्चे को दुनिया मे लाना था, इसलिए सब कुछ सामान्य होते हुए भी उन्होंने बेवजह सिजेरियन का विकल्प अपनाया। ऐसी स्थिति में आप डॉक्टर को दोष नहीं दे सकते। हो सकता है डॉक्टर आपको समझाएं फिर भी आप जिद पर अड़े रहें, तो गलती डॉक्टर की नहीं। इसलिए यह हमेशा ध्यान रखिए कि सिजेरियन की आवश्यकता आपात या विशेष स्थितियों में होती है, इसे बेवजह प्रयोग में न लाएं।
डरिए नहीं, भरोसा कीजिए:
सिजेरियन ऑपरेशन आजकल बहुत उन्नत तकनीक के साथ किए जाते हैं। इसलिए इसे लेकर मन में कोई डर न पालें। आपके मन में केवल अपने डॉक्टर को लेकर भरोसा होना जरूरी है। ऐसा भी जरूरी नहीं है कि यदि एक बार आपकी डिलीवरी नॉर्मल हुई तो दूसरी डिलीवरी के दौरान भी वही स्थिति होगी। पहला बच्चा सिजेरियन से और दूसरा नार्मल डिलीवरी या इसका उल्टा भी हो सकता है।
सिजेरियन डिलीवरी के साथ शरीर को फिर से सामान्य होने में नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है। इस दौरान डॉक्टर आपको दर्द कम करने वाली या अन्य दवाइयां दे सकते हैं। ये दवाइयां पूरी तरह सुरक्षित होती हैं और इससे बच्चे को स्तनपान कराने में भी कोई बाधा नही आती। फिर भी यदि आपके मन में संशय हो, डॉक्टर से एक बार पूछें जरूर।
सिजेरियन के दौरान लगे टांके को लेकर सतर्कता रखें और डॉक्टर से सभी तरह की सावधानियों के बारे में पूछें। जैसे- टांकों के लिए क्या अतिरिक्त देखभाल करनी है? नहाना कैसे है? बच्चे को गोद में लेते हुए पॉश्चर कैसा रखना है, आदि। यदि आपको अतिरिक्त खून बहने, दर्द या असहजता की शिकायत हो, तो डॉक्टर से तुरन्त सलाह लें।
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