जानिए क्या है इतनी कम उम्र में दिल का दौरा पड़ने के पीछे का कारण
पिछले कुछ समय में युवाओं में हार्ट अटैक के मामले कुछ बढ़ते दिख रहे हैं। हाल ही में कई युवा कलाकार भी हार्ट अटैक की वजह से जान गंवा चुके हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पिछले कुछ समय में युवाओं में हार्ट अटैक के मामले कुछ बढ़ते दिख रहे हैं। हाल ही में कई युवा कलाकार भी हार्ट अटैक की वजह से जान गंवा चुके हैं। जिसमें सोनाली फोगाट, इससे पहले टीवी एक्टर दीपेश भान, मशहूर सिंगर केके की भी दिल के दौरे की वजह से मौत हुई थी। इससे पहले भी कई सितारों की हार्ट अटैक की वजह से जान गई, लेकिन बिग बॉस फेम सिद्धार्थ शुक्ला की मौत ने सभी को चौंका दिया था। जिसके बाद सभी के सामने ये सवाल था कि आखिर इतनी कम उम्र में दिल का दौरा पड़ने के पीछे क्या वजह हैं?
इसी को समझने के लिए हमने बात की गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में नॉन इन्वेसिव कार्डियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. विनायक अग्रवाल से। तो आइए जानें कि वे इस बारे में क्या बताते हैं।
डॉ. अग्रवाल ने कहा, भारत में, 40 साल से कम उम्र के 25% और 50 साल से कम उम्र के 50% लोगों को हार्ट अटैक का जोखिम है, जो वास्तव में, सीवीडी महामारी है और आधुनिक दौर में एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है।
सर्कुलेश्न जर्नल में 2016 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, कार्डियोवास्क्युलर रोग (सीवी) भारत में मौतों का प्रमुख कारण बना हुआ है। सभी तरह के सीवी रोगों के चलते होने वाली मौतों में इस्चेमिक हार्ट रोग तथा स्ट्रोक का आंकड़ा 80% है। इन रोगों की अधिकता पंजाब, तमिलनाडु और केरल में देखी गई है। भारत में कम उम्र में ही सीवीडी बढ़ने लगे हैं और इनकी वजह से मौतों की आशंकाएं भी बढ़ रही हैं। और तो और, ग्रामीण/गरीब राज्यों में भी रोग का बोझ काफी हद तक बढ़ा है।
इसके पीछे क्या हैं कारण?
- तंबाकू का अधिक सेवन
- आहार में फलों और सब्जियों का कम प्रयोग
- आवश्यकता से कम कार्डियाक मेडिकल केयर जैसे कारणों के चलते सीवीडी में वृद्धि हो रही है।
- इसी तरह, व्यायाम रहित जीवनशैली,
- मधुमेह
- उच्च रक्तचाप
- अधिक कलेस्ट्रॉल
- धूम्रपान,
- अनियमित नींद,
- अधिक तनावपूर्ण वातावरण
- कोरोनरी आर्टरी रोगों का पारिवारिक इतिहास
युवाओं में अधिक गंभीर हार्ट अटैक
भारत की युवा आबादी में ये सभी जोखिम कारक अधिकता में हैं। अधिक कार्बोहाइड्रेट और अधिक वसायुक्त भोजन से बचना और बचे हुए तेल को दोबारा इस्तेमाल में लाना या दोबारा गरम करना उसमें मौजूद ट्रांस फैट्स की मात्रा बढ़ाता है, जिसकी वजह से स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है और सीवीडी का जोखिम भी बढ़ता है। उधर, आनुवांशिक कारणों (जींस) के पर्यावरण संबंधी जोखिमों से मेल होने (जैसे तंबाकू सेवन) से भी जोखिम बढ़ता है। रिस्क एक्टिविटी ट्रायल (2014) में धूम्रपान की हार्ट अटैक के शिकार मरीज़ों में एक वर्ष के भीतर मौत होने जैसे कारण के तौर पर पहचान की गई है।
युवाओं में अधिक गंभीर हार्ट अटैक (ST-Elevation) देखा जा रहा है, जो पुरुषों, धूम्रपान करने वालों, पारिवारिक इतिहास वाले लोगों/सीएडी, कम शैक्षिक योग्यता तथा अकेले रहने वालों में अधिक है।
दिल की बीमारी बढ़ा रही है मौत का आंकड़ा
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़ स्टडी के अनुसार, पिछले 25 वर्षों में भारत में कार्डियोवास्क्युलर रोगों (सीवीडी) की वजह से होने वाली मौतों में 34% बढ़ोतरी हुई है। भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में 35-70 वर्ष की आयुवर्ग के 33,583 लोगों पर कराए PURE अध्ययन से यह सामने आया है कि दक्षिण एशिया में मौतों का सबसे प्रमुख कारण (35.5%) सीवीडी है। ग्रामीण इलाकों और पुरुषों में सीवीडी और मौतों के अधिक मामले देखे गए हैं। जहां तक देशों की बात है, बांग्लादेश में सीवीडी के सर्वाधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि मृत्यु दर पाकिस्तान में सबसे ज्यादा है। सीवीडी के प्रमुख कारणों में उच्च रक्तचाप, अधिक नॉन-एचडीएल कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, पेट पर चर्बी और घरों के भीतर वायु प्रदूषण, कुपोषण और तंबाकू का सेवन शामिल है।