एक शादीशुदा महिला मंगलसूत्र, सिंदूर, चूड़ियों से लेकर मंगलसूत्र तक सबकुछ पहनती है। हमने बचपन से अपनी माँ से लेकर भाभियों को इसी तरह देखा है। इस सभी चीजों को सुहाग की निशानी माना जाता है। मगर क्या आप जानते हैं कि ये सभी सिर्फ सुहाग की निशानी नहीं है। इन्हें पहनने के पीछे कई वैज्ञानिक कारण होते हैं। आज हम बात करेंगे बिछिया की, जाने बिछिया पहनने के वैज्ञानिक कारण के बारे में।
*गर्भावस्था
आपको शायद ये जानकर हैरानी होगी, लेकिन बिछिया पहनने का सीधा संबंध महिलाओं के गर्भाशय से है। साइंस की माने तो पैरों के अंगूठे की तरफ से दूसरी उंगली में एक विशेष नस होती है, जो कि गर्भाशय से जुड़ी होती है। यह गर्भाशय को नियंत्रित करती है। रक्तचाप को संतुलित कर इसे स्वस्थ रखती हैं।
* प्रजनन क्षमता
बिछिया पहनने से महिलाओं की प्रजनन क्षमता बढ़ती है। पांव में बिछिया पहनना फर्टिलिटी बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है।
* मासिक धर्म
बिछिया सिर्फ शृंगार के लिए नहीं पहनी जाती है बल्कि इसे पहनने से कई फायदें भी होते हैं। बिछिया पहनने से मासिक धर्म संबधी दिक्कतें कम होती है। मासिक धर्म नियमित होता है।
* दिल
पैर की दूसरी उंगली की तन्त्रिका का सम्बन्ध गर्भाशय से होता है। यह हृदय से होकर गुजरती है। ऐसे में बिछिया पहनने से ह्रदय गति भी नियमित रहती है
* नाड़ियां और मांस पेशियां
बिछिया पहनने से शरीर की सभी नाड़ियां और मांसपेशियां सही प्रकार से काम करती हैं। इससे तलवे से लेकर नाभि तक की सभी नाड़ियां और पेशियां व्यवस्थित होती हैं।
*एनर्जी लेवल
दोनों पैरों में बिछिया पहनने से एनर्जी बैलेंस होती है। दरअसल, दोनों ही पैरों की अंगूठे के पास वाली नस गर्भाशय और ह्रदय से जुड़ी होती है। ऐसे में दोनों पैरों में बिछिया पहनने से महिलाओं का यूटेरस भी बैलेंस रहता है।