जानिए हियरिंग लॉस के लक्षण और उपचार
हियरिंग लॉस यानी बहरापन वह स्थिति है, जब एक या दोनों कान आंशिक रूप से या पूरी तरह से आवाज को सुनने में असमर्थ होते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हियरिंग लॉस यानी बहरापन वह स्थिति है, जब एक या दोनों कान आंशिक रूप से या पूरी तरह से आवाज को सुनने में असमर्थ होते हैं. सुनने की क्षमता आमतौर पर समय के साथ धीरे-धीरे कम हो जाती है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन डीफनेस एंड अदर कम्यूनिकेशंस डिसऑर्डर का मानना है कि 65 से 74 वर्ष तक के 25 फीसदी लोगों को हियरिंग लॉस का सामना करना पड़ता है. हियरिंग लॉस के कई रूप होते हैं, जैसे कम सुनाई देना, बहरापन, बिल्कुल न सुनाई देना आदि. अचानक किसी दिन कम सुनाई देने लगे या फिर कान पूरी तरह से बंद हो जाएं, तो ये हियरिंग लॉस का संकेत होता है. इस संकेत को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें. मामूली सी दिखने वाली ये समस्या कहीं आगे चलकर बहरेपन में न बदल जाए.
हेल्थलाइन के अनुसार हियरिंग लॉस होने से लोगों की लाइफ क्वालिटी और उनकी मानसिक सेहत पर निगेटिव इम्पैक्ट पड़ता है. यदि किसी व्यक्ति की सुनने की क्षमता कम हो जाती है, तब उसे दूसरों को समझने में भी कठिनाई हो सकती है. इससे बॉडी का तनाव स्तर बढ़ सकता है या डिप्रेशन की समस्या हो सकती है. हियरिंग लॉस का ट्रीटमेंट आसान है जो लाइफ को फिर से सामान्य बना सकता है.
हियरिंग लॉस के लक्षण
— दैनिक गतिविधियों में वार्तालाप को समझने में दिक्कत
— सही सुनाई देना,लेकिन समझने में परेशानी आना
— बार-बार एक ही बात को दोहराने के लिए कहना
— ज्यादा शोर-गुल के बीच थकावट महसूस होना
— कान में हमेशा सनसनाहट की आवाज आना
— अचानक से सुनाई देना बंद पड़ना
— कानों में घंटी बजना
— सुनाई न देने के साथ कानों में दर्द
— सिर दर्द
— कमजोरी
हियरिंग लॉस के कारण
— उम्र बढ़ने के साथ सुनने की क्षमता हो जाती है कमजोर
— ज्यादा शोर या किसी मशीन पर अधिक समय तक काम करना
— अनुवांशिकी विकार और फैमिली हिस्ट्री की वजह से
— ऑटोटॉक्सिस दवाएं भी कानों पर असर डाल सकती हैं
— मेनियर डिसीज, ऑटोस्केलोरोसिस और ऑटोइम्यून डिसीज जैसी बीमारियां