जानें इस साल गणेश विसर्जन पर दिल्ली सरकार के दिशा निर्देश

दिल्ली सरकार के दिशा निर्देश

Update: 2023-09-27 11:55 GMT
दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अन्तर्गत पर्यावरण विभाग द्वारा दिल्ली गणेश विसर्जन के लिए दिशा निर्देश जारी किया है। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ये कदम उठाया है। 2023 में गणेश उत्सव पर गणेश विसर्जन के लिए दिशा निर्देश जारी किया गया है। इस साल अपने घर इको फ्रेंडली गणेश लाया जा सकता है।
दिल्ली सरकार के मुताबिक, हमारे देश में गणेशोत्सव के अवसर पर, नदियों, झीलों, तालाबों और कुओं आदि जैसे जल निकायों में मूर्तियों को विसर्जित करने की परंपरा रही है। ऐसे जल निकायों का प्रदूषण चिंता का विषय हो सकता है। असल में गाद जमा करने के अलावा, मूर्तियां बनाने में उपयोग किए जाने वाले जहरीले रसायन जल निकायों में घुल जाते हैं और जल प्रदूषण की गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। मूर्ति विसर्जन के कारण पानी की क्वालिटी में गिरावट का आकलन करने के लिए अध्ययन किए गए हैं। इसमें जैव-रासायनिक ऑक्सीजन और धातु के मिलावट से पानी की क्वालिटी में गिरावट का पता चला है। और जबकि, ऐसी पीओपी मूर्तियों पर लगाए गए रासायनिक पेंट, रंग और रंगों में खतरनाक रसायन हो सकते हैं। इसलिए गणेश विसर्जन पर क्या करना चाहिए। आइए जानते हैं।
प्रार्थना में केवल पर्यावरण के हित में पूजा सामग्री या प्राकृतिक फूल आदि का उपयोग करें।
मूर्तियों को रंगने के लिए प्राकृतिक रंगों का ही इस्तेमाल करें।
गणेश जी की मूर्ति को घर पर या संबंधित जिला डीएम कार्यालय द्वारा निर्देश दिए गए कृत्रिम तालाब में ही करें।
मूर्ति पारंपरिक मिट्टी से बनी व प्राकृतिक रंगों से रंगी हुई होनी चाहिए।
मूर्तियों के निर्माण के लिए प्राकृतिक मिट्टी और बायोडिग्रेडेबल सामग्रियों का इस्तेमाल पर्यावरण के अनुकूल हो सकता है।
क्या न करें:
प्लास्टर ऑफ पेरिस (पी.ओ.पी.), जहरीला या रासायनिक रंगों से बनी मूर्तियों का इस्तेमाल न करें।
सजावट में थर्मोकोल या प्लास्टिक का इस्तेमाल न करें।
गणेश जी की मूर्ति को यमुना नदी या किसी जलाशयों में विसर्जित ना करें।
यमुना नदी या जलाशयों में पूजा सामग्री जैसे फूल इत्यादि ना फेंके।
आम जनता और समितियों के लिए दिशा-निर्देश:
गणेशोत्सव के दौरान पीओपी आधारित मूर्तियों का विसर्जन किसी भी जल में न करें, स्थानीय निगम द्वारा दिए गए स्थानों को छोड़कर तालाब या घाट पर कर सकते हैं।
मूर्तियों के विसर्जन के दौरान यमुना नदी के तटों पर सुरक्षा का विशेष ध्यान दें।
निजी घर के मामले में निवास कल्याण अपार्टमेंट के परिसर, पार्क के भीतर अस्थायी, कृत्रिम तालाबों में मूर्तियों के विसर्जन को प्रोत्साहित करें। विसर्जन के बाद साफ किए गए पानी का उपयोग बागवानी के लिए किया जा सकता है।
पूजा सामग्री जैसे फूल, सजावट सामग्री (कागज से बनी) आदि को मूर्ति विसर्जन से पहले हटा देना चाहिए पर्यावरण की लिहाज से सुरक्षित तरीके से निपटने के लिए इसे अलग से इकट्ठा किया जा सकता है।
जहां तक संभव हो बायोडिग्रेडेबल सामग्री को कंपोज किया जा सकता है।
पशुबलि या अन्य किसी कारण से उत्पन्न नदी में किसी भी पशु के शव न फेंके।
यमुना नदी के अलावा, गणेश मूर्तियों को इन स्थानों पर विसर्जित किया जा सकता है:
श्री राम घाट, यमुना बैराज, वसंत कुंज, त्रिलोकपुरी, कश्मीरी गेट, आईटी ओ, और मोती बाग।
दिल्ली जल बोर्ड द्वारा संचालित 26 जलाशयों में से किसी एक में।
जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित अन्य स्थानों पर।
नियम का उल्लंघन करने पर जुर्माना:
पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत जारी किए गए निर्देशों का उल्लंघन करने पर अधिनियम की धारा 15 के तहत दंडनीय है, जिसमें 5 साल तक का कारावास और या जुर्माना शामिल है, जिसे 1 लाख तक बढ़ाया जा सकता है।
दिल्ली सरकार ने लोगों से अनुरोध किया है कि वे इन दिशा-निर्देशों का पालन करें और पर्यावरण की रक्षा में अपना योगदान दें। इसमें सभी नगर निगम और दिल्ली पुलिस, दिल्ली में प्रवेश करने वाले वाहनों, माल वाहकों के प्रवेश की जांच करेंगे। मूर्ति विसर्जन पर अधिक जानकारी के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति www.dpcc.delhigovt.nic.in पर विजिट कर सकते हैं।
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