जानें हीट स्ट्रोक और हीट एग्जॉस्शन में अंतर और बचने के तरीके

Update: 2024-05-28 08:59 GMT
लाइफस्टाइल : गर्मी का कहर (Scorching Summer) अपने चरम पर है और आने वाले दिनों में ये सितम और भी बढ़ने वाला है। बीते दिनों देश के कई हिस्सों में पारा 45 पार पहुंच चुका है, जिसकी वजह से लोगों का हाल बेहाल हो रहा है। चिलचिलाती धूप (Heat Wave) और झुलसा देने वाली गर्मी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। प्रचंड गर्मी की वजह से कई जगह लोगों की मौत की खबर भी सामने आ रही है। ऐसे में जरूरी है कि इस दौरान अपनी सेहत का खास ख्याल रखा जाए। गर्मियों के दिनों में अकसर कई बीमारियों लोगों का अपनी शिकार बना लेती हैं।
हीट स्ट्रोक (Heat Stroke) और हीट एग्जॉस्शन (Heat Exhaustion) इन्हीं में से एक है। यह बेहद खतरनाक स्थिति है, जिसकी सही जानकारी और समय पर इलाज न मिलने की वजह से जानलेवा नतीजे सामने आ सकते हैं। हालांकि, कई लोगों को अभी तक इन दोनों समस्याओं में बीच अंतर नहीं पता, जिसकी वजह से वह समय रहते इसकी पहचान नहीं कर पाते हैं, जो इलाज में देरी का कारण बनती है। ऐसे में गुरुग्राम के मैरिंगों एशिया हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसलटेंट डॉ. एम के सिंह बता रहे हैं हीट स्ट्रोक और हीट एग्जॉस्शन के बीच अंतर और साथ ही जानेंगे इसके लक्षण और बचाव के तरीके-
हीट स्ट्रोक और हीट एग्जॉस्शन में अंतर
डॉक्टर बताते हैं कि हीट स्ट्रोक और हीट एग्जॉस्शन ( Heat Stroke vs Heat Exhaustion) दोनों ही गर्मी से संबंधित गंभीर बीमारियां हैं, लेकिन उनकी गंभीरता, लक्षण और जरूरी इलाज अलग-अलग हैं।
हीट एग्जॉस्शन
हीट एग्जॉस्शन (Heat Exhaustion Symptoms) हल्का रूप है, जिसमें भारी पसीना, कमजोरी, चक्कर आना, मतली और मांसपेशियों में ऐंठन होती है, जो अकसर लंबे समय तक उच्च तापमान के संपर्क में रहने या गर्म परिस्थितियों में शारीरिक परिश्रम करने के कारण होती है। अगर इलाज नहीं किया जाता है, तो यह हीट स्ट्रोक में बदल सकता है, जो एक जानलेवा स्थिति है, जिसमें शरीर का तापमान 104°F या इससे अधिक, गर्म और ड्राई स्किन, भ्रम, दौरे और बेहोशी होना शामिल है।
हीट एग्जॉस्शन के लक्षण और बचाव के तरीके
हीट एग्जॉस्शन में आमतौर पर भारी पसीना, कमजोरी, चक्कर आना, मतली, सिरदर्द, मांसपेशियों में ऐंठन और ठंडी, नम त्वचा जैसे लक्षण नजर आते हैं। ऐसे में इसे रोकने के लिए, हाइड्रेटेड रहना, हल्के और ढीले-ढाले कपड़े पहनना, छायादार या ठंडे क्षेत्रों में आराम करना, दिन के सबसे गर्म समय के दौरान जोरदार गतिविधि से बचना और गर्मी से संबंधित बीमारियों के लक्षणों के प्रति सचेत रहना जरूरी है।
हीट स्ट्रोक
इसके विपरीत हीट स्ट्रोक में, गंभीर परिणामों या मौत से बचने के लिए तुरंत मेडिकल हेल्प की जरूरत होती है। इसके लिए अकसर कूलिंग टेक्नीक्स की मदद ली जाती है। हीट एग्जॉस्शन में जहां इलाज के तौर पर अकसर ठंडे स्थान पर बैठने और खूब पानी पीने की सलाह दी जाती है, तो वहीं हीट स्ट्रोक में व्यक्ति की स्थिति को स्थिर करने के लिए तुरंत मेडिकल हेल्प की जरूरत होती है।
हीट स्ट्रोक के लक्षण और बचाव के तरीके
बात करें हीट स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में, तो हीट एग्जॉस्शन ही गंभीर हालातों में हीट स्ट्रोक में बदल सकता है। ऐसे में इससे बचने के लिए हीट एग्जॉस्शन के शुरुआती लक्षणों जैसे भारी पसीना और कमजोरी के प्रति सचेत रहें और अगर ये लक्षण दिखाई दें तो हीट स्ट्रोक को बढ़ने से रोकने के लिए तुरंत उपाय करें। अगर किसी में हीट स्ट्रोक के लक्षण दिखाई दें, तो उसे तुरंत मेडिकल हेल्प दें।
हीट स्ट्रोक से बचने के लिए, खूब पानी पीकर हाइड्रेटेड रहें, हल्के और हवादार कपड़े पहनें, पीक हीट आवर यानी अत्यधिक गर्मी के घंटों के दौरान जोरदार गतिविधियों से बचें, छायादार या ठंडे क्षेत्रों में बार-बार ब्रेक लें और शरीर ठंडा रखने के लिए पंखे या एयर कंडीशनिंग का उपयोग करें।
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