तेरा साबून स्लो है वाला ऐड तो देखा ही होगा टीवी पर. उसी विज्ञापन में दावा किया गया है कि सिर्फ़ 10 सेकेंड में हाथ साफ़ हो जाता है. यानी हाथ के सारे कीटाणु मर जाते हैं, लेकिन असल में ऐसा है नहीं. 15 अक्टूबर को ग्लोबल हैंड वॉशिंग डे मनाया जाता है और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन (डब्ल्यूएचओ) ने हाथों को कैसे साफ़ किया जाए इसके बारे में एक गाइडलाइन जारी की है. गाइडलाइन के अनुसार हमें कम से कम 40 से 60 सेकेंड्स तक हाथ धोना चाहिए, तभी जाकर आपका हाथ साफ़ होगा. सैनिटाइज़र इस्तेमाल करनेवालों के लिए भी 20 से 30 सेकेंड्स की अवधि तय की गई है. इसके अलावा कैसे साफ़ करना है, यह भी तरीक़ा बताया गया है.
हाथ साफ़ करने का तरीक़ा
बचपन से हाथ साफ़ करने का तरीक़ा सिखाया जाता है, पर शायद कोई ऐसा होगा, जह इसके सारे पहलुओं पर ध्यान दिया हो. इसलिए डब्ल्यूएचओ को हर बार हाथ धोने के तरीक़ों के बारे में बताना पड़ता है. गाइडलाइन के अनुसार हैंडवॉश या साबुन को छूने से पहले हाथ को पानी से साफ़ करें. फिर साबुन लगाएं. हथेलियों को आपस में रगड़ें. अंगुलियों को आपस में फंसाकर सफ़ाई करें. नाख़ुनों को साफ़ करें. उसके बाद पानी से हाथ धोएं. हाथ धोने के बाद साफ़ तौलिए से पोंछे. सेनिटाइज़र का इस्तेमाल करते समय भी हथेलियों, अंगुलियों के बीच और पीछे की तरफ़ लगाना नहीं भूलें. 70 से 80 प्रतिशत कम अल्कोहल वाले सैनिटाइज़र का ही इस्तेमाल करें.
साफ़ तौलिया होना ज़रूरी
एक गंदी तौलिया आपका एक मिनट तो बर्बाद करेगी ही साथ ही आपकी सेहत भी बिगाड़ देगी. इसलिए हाथ धोने वाली जगह पर रखी गई तौलिए को रोज़ ना भी बदल सकें, तो कम-से-कम धूप तो दिखा ही दें. गीली तौलिए में कीटणु पनपने की संभावना ज़्यादा रहती है. नल बंद करते समय भी सावधानी बरतें.
हाथ की गंदगी से होनेवाली बीमारियां
पेट से जुड़ी लगभग सभी बीमारियां हाथों से होकर हम तक पहुंचती हैं. इनमें डायरिया सबसे आम है. एक सर्वे की मानें, तो डायरिया के 33 प्रतिशत और सांस से जुड़ी समस्या के 20 प्रतिशत लोग गंदे हाथों की वजह से बीमार पड़ते हैं.
ग्लोबल हैंडवॉशिंग डे की शुरुआत
इसकी शुरुआत 11 साल पहले यानी वर्ष 2008 में स्वीडन में की गई थी. तभी से हर साल 15 अगस्त को ग्लोबल हैंडवॉशिंग डे मनाया जाता है. इसका उद्देश्य गंदे हाथों की वजह से होनेवाली बीमारियों को रोकना और लोगों में जागरूकता लाना है.