जानिए कुछ ऐसी प्रेगनेंसी से जुड़ी भ्रांतियों के बारे में जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता

प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को किसी भी तरह की भ्रांतियों से बचने की कोशिश करनी चाहिए. उन्हें सिर्फ अपनी अच्छी सेहत पर ध्यान देना चाहिए और अच्छे विचारों को मन में रखना चाहिए

Update: 2021-06-23 09:08 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जब कोई महिला गर्भवती होती है तो इस खबर को सुनकर ही परिवार में खुशियां आ जाती हैं. परिवार के सारे लोग बहुत उत्साहित होते हैं और नए मेहमान के आने का इंतजार करते हैं. सब यही कामना करते हैं कि मां और बच्चा दोनों पूरी तरह सुरक्षित रहें. लेकिन गर्भावस्था को लेकर कुछ भ्रांतियां भी हैं, जो महिलाओं के बीच फैली हुई हैं. ऐसी बेतुकी बातें लोगों लोगों के मुंह से सुन सुनकर कई बार गर्भवती महिला भी उन बातों में फंस जाती है और यकीन करने लगती है. लेकिन वास्तव में गर्भावस्था के दौरान आपको सिर्फ अच्छे विचारों को ही मन में रखना चाहिए और अपनी सेहत पर ध्यान देना चाहिए. इस तरह की भ्रांतियों से पूरी तरह से बचने का प्रयास करना चाहिए. यहां हम आपको बताते हैं कुछ ऐसी ही बेतुकी बातें जिन पर लोग भरोसा करते हैं, लेकिन उनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.

भ्रांति : एक बार सिजेरियन से बच्चा पैदा होने के बाद दूसरी डिलीवरी नॉर्मल नहीं हो सकती.
सच : अगर केस सामान्य है और कोई जटिलता नहीं है तो दूसरी बार में नॉर्मल डिलीवरी हो सकती है. सर्जरी सिर्फ कॉम्प्लिीकेशंस आने पर की जाती है.
भ्रांति : खट्टा खाने की इच्छा हो तो लड़का होगा और मीठा खाने का मन है तो लड़की.
सच : ये सिर्फ एक बकवास है, इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. वास्तव में ये बदलाव हार्मोन्स के उतार-चढ़ाव के कारण होते हैं.
भ्रांति : देर से प्रसव होने पर लड़की होती है और जल्दी प्रसव होने पर लड़का.
सच : डिलीवरी में देरी या जल्दी मेडिकल कंडीशन पर निर्भर करती है, इसका लड़की या लड़का होने से कोई लेना देना नहीं होता.
भ्रांति : प्रेगनेंसी के दौरान जिसको देखेंगे, बच्चा उसके जैसा होगा
सच : बच्चे की शक्ल, उसका नाक नक्शा और उसके गुण आदि उसके ​जीन्स पर निर्भर करते हैं, न कि लोगों को देखने पर. हां लेकिन गर्भावस्था के दौरान मां के विचारों का प्रभाव जरूर बच्चों पर देखा गया है. इसीलिए महिलाओं को खुश रहने और अच्छे विचार रखने की सलाह दी जाती है.
भ्रांति : अल्ट्रासाउंड करवाने से बच्चे पर बुरा असर पड़ता है.
सच : भ्रूण की पोजिशन को देखने के लिए विशेषज्ञ तीसरे, पांचवे, सातवें और नौवें महीने में अल्ट्रासाउंड करवाते हैं, ताकि बच्चा पूरी तरह से सुरक्षित और सेहतमंद रहे.
भ्रांति : प्रेगनेंसी के दौरान महिला को दो लोगों का भोजन खाना चाहिए.
सच : गर्भवती महिला को ज्यादा भोजन की जरूरत होती है, ​ताकि बच्चे को पोषण मिल सके. इसलिए जरूरत के हिसाब से पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित डाइट लेनी चाहिए न कि दो लोगों के बराबर भोजन करना चाहिए.
भ्रांति : प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को हील नहीं पहननी चाहिए.
सच : हील पहनने से बच्चे को कोई नुकसान नहीं होता. हील न पहनने की सलाह इसलिए दी जाती है क्योंंकि इससे महिला अनकम्फर्टेबल महसूस करती है. साथ ही गिरने का खतरा बना रहता है. मां और बच्चे की सुरक्षा को देखते हुए उन्हें बिना हील के कम्फर्टेबल फुटवियर पहनने के लिए कहा जाता है.


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