नन्हें मेहमान के लिए फर्नीचर लेते समय, इन बातों को रखें खास ख्याल
मां बनने का अहसास एक महिला के लिए तो खुशी के पल लेकर आता ही है,
जनता से रिश्ता बेवङेस्क | मां बनने का अहसास एक महिला के लिए तो खुशी के पल लेकर आता ही है, साथ ही उसके परिवार के लिए भी सेलिब्रेशन के तमाम मौके लेकर आता है. पूरा घर जोर शोर से उसके आने की तैयारी में पहले से जुट जाता है. उसके लिए कमरे की डेकोरेशन से लेकर तमाम खिलौने और फर्नीचर तक का इंतजाम कर लिया जाता है. अगर आप भी ऐसी किसी तैयारी में जुटे हुए हैं तो यहां कुछ ऐसे टिप्स बताए जा रहे हैं जो आपके लिए काम के हो सकते हैं.
1- जब भी बच्चे के लिए नया फर्नीचर खरीदने जाएं तो इस बात का हमेशा ख्याल रखें कि बच्चा इसे कब तक इस्तेमाल कर पाएगा क्योंकि बच्चे बहुत तेजी से बढ़ते हैं.
2- इसके अलावा खूबसूरती से कहीं ज्यादा जरूरी उनकी सुरक्षा है. बच्चा सात से आठ महीने का होता है तो घुटनों के बल चलने लगता है. ऐसे में ये जरूर देख लें कि फर्नीचर सुरक्षा के मापदंडों पर खरा उतरता है या नहीं.
3- क्रिब यानी बच्चे का पलंग आजकल सबसे जरूरी फर्नीचर है. बाजार में इन दिनों कनवर्टेबल क्रिब भी आते हैं, जिसका इस्तेमाल बच्चे के थोड़ा बड़े होने के बाद पलंग के तौर पर किया जा सकता है. क्रिब के अंदर रखा मैट्रेस ठीक से फिट होना चाहिए.
4- बच्चे के कमरे की लाइट और दीवारें भी अहम रोल निभाती हैं. अच्छी रोशनी कमरे में जान डाल देती है, साथ ही बच्चे के मूड को भी बेहतर करती है.
5- जहां तक बात है कमरे की दीवारों की तो इसके लिए किसी थीम को तय करें और उसके हिसाब से ही दीवारों के रंग, पर्दे वगैरह का चुनाव करें. रंगों में हल्के और शांत रंग अच्छे लगते हैं जैसे कि हल्का हरा या हल्का नीला रंग वगैरह. पेंट में लेड मेटल यानी सीसा धातु न हो. ये मां और बच्चा दोनों के लिए नुकसानदेह हो सकता है.
6- नवजात शिशु केवल काला और सफेद रंग ही समझ पाते हैं, ऐसे में इन रंगों में कुछ दिलचस्प तस्वीरें दीवारों पर लगाएंगे तो वो बच्चों को आकर्षित करेंगी.
7- इसके अलावा बच्चे के कमरे का फर्श सही होना ज़रूरी है. टाइल्स से लेकर, लकड़ी या कार्पेट का फर्श अच्छा विकल्प है. कमरे की छत को खूबसूरत और दिलचस्प तैयार कराएं क्योंकि बच्चा शुरुआती दिनों में ज़्यादातर वक्त लेट कर ही बिताता है. ऐसे में छत की लाइट और रंग उसे आकर्षित करेंगे.