प्री-डायबिटीज को रिवर्स करना पॉसिबल, जानें बेहद आसान तरीके

Update: 2024-06-03 12:40 GMT
All About Dementia: डिमेंशिया का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. डिमेंशिया शब्द का इस्तेमाल ब्रेन से जुड़ी कई बीमारियों के लिए किया जाता है, जिसमें व्यक्ति की मेमोरी कमजोर हो जाती है और उसे अपनी रोज की चीजें भी याद नहीं रहती हैं. जब यह बीमारी हद से ज्यादा बढ़ जाती है, तो लोग अपने घर का रास्ता भी भूलने लगते हैं. आमतौर पर यह बीमारी 60 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों को होती है, लेकिन वर्तमान समय में युवाओं पर भी इसका खतरा मंडरा रहा है. उम्रदराज लोगों और युवाओं में डिमेंशिया के मामले बढ़ने से मेडिकल एक्सपर्ट्स ने भी चिंता जताई है.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की रिपोर्ट की मानें तो विश्व में डिमेंशिया के 5.50 करोड़ से ज्यादा मरीज हैं. अल्जाइमर डिजीज डिमेंशिया की सबसे कॉमन बीमारी है. वर्तमान में डिमेंशिया बीमारियों से होने वाली मौतों की 7वीं सबसे बड़ी वजह है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2050 तक दुनियाभर में डिमेंशिया के मरीजों की संख्या करीब तीन गुनी हो सकती है. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो भारत में 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के 88 लाख लोग किसी न किसी प्रकार के डिमेंशिया से जूझ रहे हैं. अगर जल्द ही इसे लेकर सही कदम न उठाए गए, तो यह बीमारी कहर बरपा सकती है.
हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा और डिप्रेशन की वजह से युवा तेजी से डिमेंशिया का शिकार हो रहे हैं. इससे पता चलता है कि आने वाले कुछ दशकों में डिमेंशिया को कम उम्र के लोगों को प्रभावित करते हुए देखा जा सकता है. डिमेंशिया का जल्दी पता लगाना और उसका इलाज करना बहुत जरूरी है. कुछ तरह के डिमेंशिया ठीक किए जा सकते हैं और बाकी में भी इलाज से मरीज और उनके परिवारों की जिंदगी बेहतर हो सकती है.
डिमेंशिया की घटनाएं बढ़ती उम्र के साथ बढ़ती हैं. अध्ययन के अनुसार 2050 तक भारत में लगभग 20% आबादी 60 वर्ष से अधिक आयु की होगी. 2050 तक डिमेंशिया के केस लगभग 2-3 गुना बढ़ जाएंगे. डायबिटीज, हाई बीपी, मोटापा, एक जगह बैठे रहने की लाइफस्टाइल, डिप्रेशन, स्मोकिंग और शराब पीने से डिमेंशिया के मामले बढ़ रहे हैं. लोगों को इन सभी आदतों को बदलना होगा और बीपी-डायबिटीज को कंट्रोल रखना होगा. लाइफस्टाइल को बेहतर बनाकर भी डिमेंशिया का खतरा कम किया जा सकता है.
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