बुजुर्गों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए बेहतर है इन आसनों का अभ्यास
बुजुर्गों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। कई बार बुजुर्ग बेहद जिद्दी हो जाते हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बुजुर्गों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। कई बार बुजुर्ग बेहद जिद्दी हो जाते हैं और वे खुद का ध्यान नहीं रखते हैं, लापरवाहियां करते हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप युवा होने के नाते खुद की सेहत के साथ उनका भी ध्यान रखें। उनके आहार एवं योग की जिम्मेदारी आप ले लेंगे तो वे स्वस्थ रख सकेंगे। आइए जानते हैं कि बुजुर्गों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता न कम हो इसलिए कौनसे आसन उन्हें करवाना चाहिए।
भुजंगासन
भुजंगासन का अभ्यास बहुत अधिक मुश्किल भी नहीं है इसलिए बुजुर्ग यदि अपनी क्षमता के अनुसार इस आसन का अभ्यास करते हैं तो उन्हें बहुत लाभ होता है। भुजंगासन करने से छाती खुलती है और शरीर की प्रतिरक्षा में सुधार करने वाली सफेद कोशिकाओं में वृद्धि होती है। इसके अभ्यास से पाचनतंत्र में भी सुधार होता है।
सेतुबंधासन
हमारे शरीर में टी-कोशिकाएं पाई जाती हैं। हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने के लिए बहुत जरूरी है कि शरीर में अच्छी मात्रा में टी-सेल्स हों क्योंकि यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने में सहायक होती हैं। टी-कोशिकाएं सफेद रक्त कोशिकाओं का ही प्रकार हैं।
अधोमुखश्वानासन
अधोमुखश्वानासन एक ऐसा आसन है जिसके अभ्यास से शरीर में सफेद रक्त कोशिकाएं अपनी जगह बदलती रहती हैं। बुजुर्ग इस आसन का अभ्यास अपनी क्षमता के अनुसार ही करें। यदि आपको थोड़ा बहुत जुकाम भी हुआ है तो यह आसन उसे ठीक करने में सहायता करता है इसलिए इसका अभ्यास तो अपने घर के बड़ों को नियमित रूप से करवाएं।