भारत का अपना स्विट्ज़रलैंड हर्षिल:

ल, उत्तराखण्ड के गढ़वाल रीज़न के उत्तरकाशी ज़िले में स्थित है.

Update: 2023-06-05 07:24 GMT
लाइफस्टाइल | पहाड़ों पर छुट्टियां मनाने की योजना बना रहे हैं, तो हमारा सुझाव है कि ऐसी जगह चुनें जहां भीड़भाड़ कम होती है, ताकि आप एक क्वॉलिटी टाइम बिता सकें, अकेले और परिवार के साथ भी. ऐसी ही एक बेहद ख़ूबसूरत जगह से हम आपको इस लेख के ज़रिए रूबरू कराने जा रहे हैं, नाम है हर्षिल.
हर्षिल, हिमालय की तराई में बसा एक गांव, जो चुम्बकीय शक्ति का आभास करता है. एक बार आप वहां पहुंच गए तो यह बिना किसी किन्तु-परंतु के आपको अपनी तरफ़ खींचता ही रहता है. हर्षिल पहुंचकर आप मानो सपनों की दुनिया में पहुंच गए हों. पहाड़पसंद लोगों के लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं है. वहां की फ़िजाओं में अलग तरह की मादकता है.
कहां है हर्षिल?
हर्षिल, उत्तराखण्ड के गढ़वाल रीज़न के उत्तरकाशी ज़िले में स्थित है. यहां से गंगोत्री की दूरी मात्र 21 किलो मीटर ही बचती है, जो कि हिन्दुओं के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है. गंगोत्री तक रास्ता अपने आप में इतना मनमोहक है कि एक बार से आपका मन नहीं भरेगा.
हर्षिल की खोज ईस्ट इंडिया कंपनी में काम करनेवाले अंग्रेज़ फ़ेड्रिक विल्सन ने की थी. यह जगह उन्हें इतनी पसंद आई कि वो अपनी नौकरी छोड़कर इस जगह पर रहने लगे. बाद में उन्होंने एक पहाड़ी लड़की से शादी कर ली और पूरी तरह से हर्षिल के हो गए.
हर्षिल में सेब का पहला पेड़ फ़ेड्रिक विल्सन ने इंग्लैंड लाकर लगाया था तब से वहां पर सेब की खेती और व्यापार होने लगा. विल्सन नाम की सेब की एक प्रजाति आज भी हर्षिल में बहुत प्रसिद्ध है. विल्सन ने ही हर्षिल को स्विट्ज़रलैंड की उपाधि दी थी.
बॉलिवुड की सुपर-डूपर हिट फ़िल्म राम तेरी गंगा मैली की शूटिंग भी यहीं हुई थी.
हर्षिल की ख़ासियतहिमाच्छादित पर्वत, निर्झर झरने, दूर तक फैले देवदार और चिनार के घने जंगल, उसके नीचे ज़ोर-शोर से बहती भगीरथी की अविरल धारा और सांप-सी बलखाती हुई बेहतरीन सड़कें, जो आपको हर्षिल के उन तमाम जगहों पर ले जाएंगी जहां आप जाना चाहते हैं. ‘हर्षिल मेरे अब तक के सफ़र का सबसे पसंदीदा पड़ाव रहा है, जो एक नशे की तरह मुझमें समाया है, जिससे मैं कभी उबरना नहीं चाहूंगी.’ हर्षिल में आपको प्राकृतिक रंगों की वह छटा देखने को मिलेगी, जिन रंगों की कल्पना मनुष्य ने शायद ही की होगी. वहां की विस्तृत घाटियां ऐसी लगती हैं, मानो ईश्वर ने ख़ुद अपने हाथों से कोई पेंटिंग बनाई है और उसमें वह सभी रंग भर दिए हैं, जो कि आपकी आंखों में समा ही नहीं पाते.
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