आचार्य चाणक्य नीतियों के माध्यम से जीवन के अहम मूल्यों को सरल शब्दों में समझाया
किन चीजों के कारण व्यक्ति जीवन में असफल
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | मनुष्य के जीवन में ज्ञान का मूल्य बहुत अधिक माना जाता है। बिना ज्ञान के मनुष्य का जीवन निरर्थक हो जाता है। कुछ ऐसी ही बातें आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति के माध्यम से सभी को बताई हैं। बता दें कि आचार्य चाणक्य की गणना विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में की जाती है। उनके द्वारा रचित चाणक्य नीति का पाठन और श्रवण आज भी किया जाता है। वर्तमान समय में अनेकों युवा आचार्य चाणक्य की नीतियों का पालन करके जीवन में सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ रहे हैं।
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के माध्यम से जीवन के कई अहम मूल्यों को सरल शब्दों में समझाया था। साथ ही यह भी बताया कि किन चीजों के कारण व्यक्ति जीवन में असफल हो जाता है। इन्हीं में से एक है किसी चीज की 'अति' करना। आइए जानते हैं इस विषय पर आचार्य चाणक्य ने क्या बताया है।
आचार्य चाणक्य की इन बातों का जरूर करे पालन
अति रूपेण वै सीता चातिगर्वेण रावणः।
अतिदानाद् बलिर्बद्धो ह्यति सर्वत्र वर्जयेत् ।।
अर्थात: माता सीता की अति सुंदरता और रावण के अति घमंड के कारण ही सीता का हरण हुआ और रावण मारा गया था। वहीं अत्यंत दानी होने पर भी राजा बलि को परीक्षा हेतु छला गया था। इसलिए किसी भी चीज की अति नुकसानदेह होती है।
इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य बता रहे हैं की माता सीता इतनी तेजवान और रूपवती थीं कि उनके रूप का वर्णन सुनकर ही रावण अपने मोह को नहीं रोक पाया। जिसके कारण रामायण का भीषण युद्ध हुआ। इसके साथ उसका घमंड की वह श्री राम से जीत जाएगा, उसकी मृत्यु का कारण बना। इसलिए किसी चीज की अति होना बहुत ही नुकसानदेह होता है। उदाहरण के रूप में यदि कोई व्यक्ति जरूरत से अधिक गुस्सा करता है या उसे बहुत क्रोध आता है तो उसके न केवल शत्रु बढ़ते हैं, बल्कि इसका प्रभाव उसके स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। वहीं जो छात्र केवल पढ़ाई या सिर्फ खेल कूद में ही रहते हैं, दीन दुनिया की खबर नहीं रखते हैं। उनके लिए भविष्य में काई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती जाती हैं। यही कारण है कि किसी भी कार्य को सीमित दायरे में रख कर ही करना चाहिए।
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