Life Style लाइफ स्टाइल : ब्रेन स्ट्रोक एक ऐसी कंडीशन है जिसमें व्यक्ति के ब्रेन में ब्लड का सर्कुलेशन रूक जाता है या फिर ब्लीडिंग होने लगती है। दोनों ही स्थिति में अगर व्यक्ति को समय पर उपचार न मिला तो उसकी जान भी जा सकती है। इसके लक्षणों को पहचानते हुए तुरंत उपचार मिलने से काफी हद तक मरीज की जान बचा सकते हैं। लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। स्ट्रोक एक गंभीर मेडिकल इमरजेंसी है। स्ट्रोक में ब्रेन के किसी हिस्से में ब्लड का सर्कुलेशन रुक जाता है या मस्तिष्क में कोई खून की नस फट जाती है। जब ब्रेन सेल्स को ब्लड से पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन और न्यूट्रिशन नहीं मिलते, तो वो मरने लगती हैं। वो खुद से कुछ भी कर पाने में असमर्थ होता है। ऐसे में जितनी जल्दी उस व्यक्ति को मदद मिल जाए, उसके ठीक होने की संभावना उतनी ही ज्यादा होती है, लेकिन इसके लिए स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में और किस तरह से सहायता करनी है इसका पता होना चाहिए। इसके लिए हमने मेदांता, गुरुग्राम में क्रिटिकल केयर के चेयरमैन डॉ. यतीन मेहता से बात की, जिन्होंने स्ट्रोक के लक्षणों से लेकर, इलाज, रिकवरी और इससे बचाव जैसी कई जरूरी बातें बताईं। स्ट्रोक के लक्षण स्ट्रोक इमरजेंसी को हैंडल करने का सबसे पहला कदम है इसके लक्षणों को पहचानना। इसके लिए "FAST" शब्द को याद रखें। - F(ace) चेहरा: व्यक्ति के चेहरे का एक हिस्सा लटक जाना
- A(rms) बाहें: व्यक्ति का हाथ न उठा पाना
- S(peech) बोलचाल: बोलने में परेशानी
- T(ime) समय: अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण देखें, तो बिना देरी किए तुरंत इमरजेंसी सेवाओं को कॉल करें। समय बहुत जरूरी है।
स्ट्रोक के अन्य लक्षणों में अचानक पैर में सुन्नता या कमजोरी, भ्रम, देखने में दिक्कत, चलने में परेशानी, चक्कर आना या बिना किसी स्पष्ट कारण के गंभीर सिरदर्द हो सकते हैं। स्ट्रोक वाले व्यक्ति की मदद के लिए तत्काल उठाएं ये कदम
यदि आपको लगता है कि कोई व्यक्ति स्ट्रोक का शिकार हो रहा है, तो तुरंत यह करें:- 1. इमरजेंसी सेवाओं को कॉल करें
अपने एरिया के इमरजेंसी नंबर पर कॉल करें। व्यक्ति को तुरंत अस्पताल पहुंचाएं। स्थिति को देखते हुए मेडिकल कर्मी रास्ते में ही जान बचाने के लिए जरूरी उपचार शुरू कर सकते हैं। 2. व्यक्ति को शांत और आरामदायक रखें
व्यक्ति को बैठने या लेटने में मदद करें। उन्हें शांत रखें और ठीक होने का भरोसा दें। बिना डॉक्टर की सलाह के उन्हें कुछ भी खाने-पीने या किसी तरह की दवाइयां न दें। 3. समय नोट करें
यह जानना बहुत जरूरी है कि लक्षण कब शुरू हुए थे। यह जानकारी डॉक्टरों को इलाज निर्धारित करने में मदद करती है। 4. व्यक्ति के साथ रहें
व्यक्ति के साथ रहें और उनके लक्षणों पर नजर रखें। अगर वे बेहोश हो जाते हैं, तो उनकी सांस की जांच करें और आवश्यकता होने पर CPR शुरू करने के लिए तैयार रहें। स्ट्रोक का इलाज
अस्पताल पहुंचने के बाद, डॉक्टर स्ट्रोक की पुष्टि करने के लिए कुछ टेस्ट करते हैं और उसके हिसाब से इलाज तय करते हैं। इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि स्ट्रोक का कारण ब्लड सर्कुलशन रूकना (इस्केमिक स्ट्रोक) है या ब्लीडिंग (हेमरेजिक स्ट्रोक)। इस्केमिक स्ट्रोक के लिए, डॉक्टर थक्के को घोलने के लिए दवाएं या थक्का हटाने का प्रोसेस करते हैं।
हेमरेजिक स्ट्रोक के लिए, वे खून की नस की मरम्मत या मस्तिष्क पर दबाव कम करने के लिए सर्जरी कर सकते हैं।
रिकवरी
स्ट्रोक से रिकवर होने में व्यक्ति को लंबा वक्त लग सकता है। इसमें फिजिकल थेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी और स्पीच थेरेपी शामिल होती हैं। जल्द इलाज मिलने से स्ट्रोक के बाद होने वाली कई तरह की परेशानियों से बचा जा सकता है और मरीज उसके बाद भी हेल्दी लाइफ जी सकता है। स्ट्रोक से बचे रहने के लिए जरूरी कदम
स्ट्रोक इमरजेंसी में क्या करना है यह जानना जीवन बचा सकता है, लेकिन स्ट्रोक से बचे रहना भी जरूरी है। यहां दिए गए सुझावों की मदद से काफी हद तक स्ट्रोक के जोखिम को कम किया जा सकता है।
ब्लड प्रेशर कंट्रोल करें
हाई ब्लड प्रेशर स्ट्रोक का एक प्रमुख रिस्क फैक्टर है। अगर आपको हाई बीपी की समस्या है, तो इसकी नियमित जांच कराते रहें और डॉक्टर द्वारा दिए गए सुझावों का सख्ती से पालन करें। हेल्दी डाइट लें
डाइट में फल, सब्जियों और साबुत अनाज को खासतौर से शामिल करें, जो स्ट्रोक के खतरे को कम करने में मदद कर सकते हैं।
नियमित एक्सरसाइज करें
रोजाना 20 से 30 मिनट की एक्सरसाइज करें। इससे स्ट्रोक ही नहीं, कई बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
धूम्रपान से बचें
धूम्रपान और अत्यधिक शराब पीने से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। धूम्रपान छोड़ना और सीमित मात्रा में शराब का सेवन मददगार हो सकता है। डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करें हेल्दी लाइफस्टाइल, डाइट और जरूरी दवाओं की मदद से ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखें। इन सभी बातों का ध्यान रखकर स्ट्रोक के खतरों से बचा जा सकता है और अगर कभी किसी व्यक्ति तो स्ट्रोक आएं, तो उसकी मदद भी की जा सकती है।