होमोफोबिया से कैसे निपटें

Update: 2023-05-01 11:26 GMT
हिंदी में समलैंगिक, अंग्रेज़ी में होमोसेक्शुअल! दोनों का मतलब ये है कि जो लोग समलैंगिकों, और उभयलिंगी लोग; यानी जिनका दोनों लिंगों की तरफ रूझान होता है. और इसके प्रति समाज या किसी व्यक्ति के नकारात्मक दृष्टिकोण को हम होमोफोबिया कहते है.
होमोफोबिया अलग-अलग तरीक़ों से सामने आ सकती है. जैसे ‘समलैंगिक’ शब्द का इस्तेमाल कर अपमान करना, धमकाना या समलैंगिक होने की वजह से नौकरी से निकाल देना; किसी के चेहरे पर डर का भाव दिखना जब आप उन्हें अपने समलैंगिकता के बारे में पहली बार बताते हैं; सड़क पर छेड़खानी, और कभी-कभी शारीरिक हमले का सामना करना भी होमोफोबिया के उदाहरण हैं.
होमोफोबिया से जुड़ा उत्पीड़न भी हमारे समाज की एक सच्चाई है. अक्सर समलैंगिकता को लेकर भद्दा मज़ाक, गाली-गलौच, या पहनावे, चाल, और बात करने के तरीक़े पर टिपण्णी की जाती है. यह सब हम मीडिया और फ़िल्मों में भी अक्सर देखते है. डराना या धमकाना भी उत्पीड़न का एक रूप है.
अधिकांश छोटे बच्चे जो अपने आस-पास देखते हैं और सुनते हैं, उसी को आगे दोहराते है. अक्सर वह नहीं जानते हैं कि इन शब्दों का क्या अर्थ है और यह किसी की भावना को ठेस पहुंचा सकते है. समलैंगिकता पर बच्चों का दृष्टिकोण विकसित नहीं किया जाता है. सही और सकारात्मक सोच के लिए ज़रूरी है की बच्चों से इन मुद्दों पर खुल कर बात की जाए और उन्हें समझाया जाए की समलैंगिकता बिल्कुल सामान्य है और किसी भी और व्यक्ति की तरह, समलैंगिक व्यक्ति को भी अपने इच्छानुसार जीने का अधिकार है. उदहारण के लिए, कक्षा में एक समान-लिंग वाले परिवार के बारे में एक किताब पढ़ने के बाद बातचीत शुरू की जा सकती है. घर पर रात का खाना खाते समय, या टीवी शो के दौरान समलैंगिकता को लेकर बातचीत की जा सकती है.
साथ ही यह भी ज़रूरी है की जो होमोफोबिया का शिकार हो रहे हैं, या हो सकते हैं वो कुछ बातों का ध्यान रखें, जैसे की:
ख़ुद को दोष मत दें. आपने कुछ ग़लत नहीं किया है.
परेशान करने वाले इंसान से (अगर हो सके तो) बात करने की कोशिश करें. अपना आपा न खोएं.
याद रखें कि यह आपके बारे में नहीं है - झगड़ालू लोग हमेशा उन्हें तंग करते हैं, जो किसी भी तरह से उनसे अलग होते हैं. इसे अपने ऊपर न लें या ये न दिखाएं कि आप परेशान हैं.
किसी करीबी दोस्त से आप बात कर सकते हैं.
आप किसी एलजीबीटी समर्थन समूह से भी संपर्क कर सकते हैं. ‘हमसफ़र ट्रस्ट’ और ‘नाज़ फाउंडेशन’ जैसे सहायक समूह आपको पुलिस के पास शिकायत दर्ज़ कराने में मदद कर सकते हैं जब मामला बहुत गंभीर हो जाए.
अगर कोई समर्थन समूह या कोई बात करने वाला नहीं मिले, तो इंटरनेट पर बहुत सारे सलाह और समर्थन मिल सकते हैं, जैसे की लव मैटर्स.
आप अकेले नहीं हैं, और दूसरे लोग इसी तरह की परेशानियों से गुजर चुके हैं: आप ऐसी कई कहानियों के बारे में ऑनलाइन जान सकते हैं और उन समूहों के संपर्क में आ सकते हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं.
अगर उत्पीड़न बंद नहीं होता है तो दोस्तों, सहयोगियों, परिवार या शिक्षकों से मदद लें.
लिखकर रिकॉर्ड रखें कि क्या हुआ था, कौन वहां था, और उसने क्या कहा था. फिर अगर आप कभी शिकायत दर्ज करना चाहेंगे, तो आपके पास सबूत तैयार रहेंगे.
अगर आप लगातार उत्पीड़न सह रहे हैं तो जो आपको तंग कर रहा है उसके खिलाफ़ रिपोर्ट करें. अगर उत्पीड़न आपके काम वाली जगह पर हो रहा है, तो कई कंपनियों में उत्पीड़न की नीति होती है और वे आपका समर्थन करने में मददगार हो सकते हैं.
अगर उत्पीड़न किसी सार्वजनिक स्थान पर होता है, तो स्थिति को काबू में रखने की कोशिश करें. अगर आप कमज़ोर महसूस करते हैं और हिंसा के बारे में सोचकर चिंतित हैं तो एक काली मिर्च स्प्रे अपने साथ रखें.
ज़रूरी है की समलैंगिकता के बारे में सही स्त्रोतों से जानकारी लें और दूसरों को भी बताएं. इससे जुड़ी ग़लतफहमियों के बारे में जाने. अपना दिल और दिमाग़ खोलें और नज़रिया बदलें.
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