ड्राई फास्टिंग कैसे काम करता है, यह क्या हैं, जानिए इसके साइड-इफेक्ट्स
उपवास हमेशा लंबे समय से दुनिया भर में अलग-अलग संस्कृतियों का हिस्सा रहा है. इसने पिछले एक दशक में वजन कम करने के तरीके के रूप में केवल लोकप्रियता हासिल की है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। लोग फास्टिंग के बारे में अच्छी तरह से जानते होंगे लेकिन ड्राई फास्टिंग के बारे में शायद ही किसी को पता हो. तो आज हम ड्राई फास्टिंग के बारे में आपको पूरी जानकारी देने जा रहे हैं. तो आइए जानते हैं कि आखिर क्या है ये ड्राई फास्टिंग और क्या हैं इसके फायदे?
1. ड्राई फास्टिंग के बारे में आप सभी को पता होना चाहिए
उपवास हमेशा लंबे समय से दुनिया भर में अलग-अलग संस्कृतियों का हिस्सा रहा है. इसने पिछले एक दशक में वजन कम करने के तरीके के रूप में केवल लोकप्रियता हासिल की है. इंटरमिटेंट फास्टिंग, जो खाने और उपवास की खिड़की के बीच ऑप्शनल होता है, वजन पर नजर रखने वालों और फिटनेस के प्रति उत्साही लोगों में सबसे लोकप्रिय उपवास पैटर्न है.
ड्राई फास्टिंग, फास्टिंग का एक एक्सट्रीम वर्जन है जिसमें भोजन के साथ-साथ पानी का सेवन प्रतिबंधित करना शामिल है. खाने के इस तरीके से वजन घटाने में मदद करने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने का दावा किया जाता है.
2. ड्राई और इंटरमिटेंट उपवास के बीच अंतर
इंटरमिटेंट फास्टिंग में, आपको उपवास के स्टेप्स के दौरान जीरो कैलोरी वाले तरल पदार्थ लेने की अनुमति है. पानी, पतला एसीवी, बिना चीनी की कॉफी और दूध कुछ ऐसे लिक्विड ऑप्शन्स हैं जिनका सेवन उपवास के दौरान किया जा सकता है.
ड्राई फास्टिंग में आपको उपवास के स्टेप्स में कोई भी फूड्स या लिक्विड लेने से पूरी तरह से दूर रहना होता है. इस तरह का उपवास काफी एक्सट्रीम और खतरनाक माना जाता है. लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स एक्स्ट्रा हेल्थ बेनेफिट्स के लिए इस तरह के उपवास की पुष्टि करते हैं.
3. ड्राई फास्टिंग के टाइप्स
ड्राई फास्टिंग को इंटरमिटेंट फास्टिंग, ऑप्शनल-डे फास्टिंग, ईट-स्टॉप-ईट या पीरियोडिक फास्टिंग के साथ आसानी से किया जा सकता है. आमतौर पर ड्राई फास्टिंग दो तरह की होती है- सॉफ्ट ड्राई फास्ट और हार्ड ड्राई फास्ट.
सॉफ्ट ड्राई फास्ट : सॉफ्ट ड्राई फास्ट में, डाइटर्स को अपने दांतों को ब्रश करने, शॉवर लेने और अपने चेहरे धोने के लिए पानी का इस्तेमाल करने की परमिशन है.
हार्ड ड्राई फास्ट : इस तरह के उपवास में डाइटर्स को पानी के संपर्क में आने की बिल्कुल भी परमिशन नहीं होती है.
4. ड्राई फास्टिंग कैसे काम करता है?
ऐसा कहा जाता है कि ड्राई फास्टिंग के दौरान जब शरीर को पानी नहीं मिलता है तो वो एनर्जी पैदा करने के लिए फैट बर्न करना शुरू कर देता है. शरीर में पानी की कमी इस पर जोर देती है और ये इंटरनल सिस्टम को चालू रखने के लिए उपलब्ध एनर्जी के हर उपलब्ध सोर्स का इस्तेमाल करना शुरू कर देता है.
ये भी कहा जाता है कि ड्राई फास्टिंग डैमेज्ड सेल्स को हटाकर प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद कर सकता है, जिससे शरीर नए सेल्स को फिर से पैदा कर सकता है.
इसके अलावा, बार-बार फास्टिंग सूजन को कम कर सकता है और हेल्दी स्किन को बढ़ावा दे सकता है और इनर अवेयरनेस में सुधार कर सकता है.
5. ड्राई फास्टिंग के साइड-इफेक्ट्स
लंबे समय तक फास्टिंग की स्थिति में रहने को भी कुछ साइड-इफेक्ट्स से जोड़ा गया है. अगर आप लंबे समय तक फास्टिंग रखते हैं या बहुत बार आपका हो सकता है :
थकान महसूस होना : शरीर में पर्याप्त ईंधन के अभाव में आपको थकान, चक्कर और कमजोरी महसूस हो सकती है.
लगातार भूख लगना : भोजन और पानी दोनों से परहेज करने से आपको और भी ज्यादा भूख लग सकती है और आप सामान्य से ज्यादा खाना खा सकते हैं.
चिड़चिड़ापन : फास्टिंग की अवस्था के दौरान आप कर्कश महसूस कर सकते हैं और ज्यादा मूड स्विंग हो सकता है. इसके अलावा, आपका कंसनट्रेशन लेवल कम हो जाएगा.
सिरदर्द : पोषक तत्वों, खास तौर से कार्बोहाइड्रेट को रेस्ट्रिक्ट करने से भी सिरदर्द हो सकता है.
एक्सट्रीम केसेज में और लंबे समय तक फास्टिंग की वजह से दौरे, मस्तिष्क की सूजन, गर्मी की चोट और गुर्दे की विफलता से भी पीड़ित हो सकता है.
6. ड्राई फास्टिंग कौन कर सकता है और कौन नहीं?
किसी भी तरह की पहले से मौजूद बीमारी से पीड़ित लोगों को ड्राई फास्टिंग से सख्ती से बचना चाहिए. यहां तक कि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी इस तरह के उपवास न करने की सलाह दी जाती है.
एक स्वस्थ व्यक्ति को भी व्रत का ये तरीका आजमाने से पहले किसी एक्सपर्ट की राय लेनी चाहिए.