दिल्ली : बीते कुछ समय से देशभर में मौसम ने करवट बदल ली है। झमाझम होती बारिश ने लोगों को चिलचिलाती धूप और गर्मी से राहत दिला दी है। हालांकि, तेज गर्मी के बाद हुई बारिश की वजह से कई जगह उमस की समस्या भी होने लगी है। ऐसे में पल-पल बदलते इस मौसम ने लोगों को परेशान कर रखा है। मानसून की दस्तक जहां कुछ लोगों के लिए खुशी लेकर आई, तो वहीं कुछ लोग बदलते मौसम की वजह से परेशान होने लगे हैं।
आपने अक्सर यह देखा होगा कि मौसम में बदलाव होते ही हमारे व्यवहार में भी बदलाव होने लगता है, लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि इसकी वजह क्या है। दरअसल, बदलते मौसम का हमारी दिमाग पर गहरा असर पड़ता है, जिसे आप शायद ही जानते होंगे। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि बदलते मौसम का आपके मस्तिष्क के स्वास्थ्य क्या प्रभाव पड़ता है। इस बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने फ़रीदाबाद के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजी निदेशक डॉ कुणाल बहरानी से बात की।
बदलते मौसम के मस्तिष्क पर प्रभाव के बारे में बताते हुए डॉक्टर कुणाल ने बताया कि एक न्यूरोलॉजिस्ट के दृष्टिकोण से मौसम में बदलाव वास्तव में मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकता है। मौसम परिवर्तन का मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर निम्न असर पड़ता है-
माइग्रेन और सिरदर्द
मौसम में उतार-चढ़ाव, विशेष रूप से तापमान, ह्यूमिडिटी, बैरोमीटर का दबाव और हवा के पैटर्न में परिवर्तन, अतिसंवेदनशील व्यक्तियों में माइग्रेन और सिरदर्द की वजह बन सकता है। इसकी असल वजह अभी तक साफ नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह बदलाव मस्तिष्क में केमिकल और इलेक्ट्रिकल सिग्नल को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे सिरदर्द की संभावना बढ़ जाती है।
सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (एसएडी)
एसएडी एक प्रकार का डिप्रेशन है, जो आम तौर पर विशिष्ट मौसमों के दौरान होता है, खासकर जब सर्दियों के महीनों में जब सूरज की रोशनी कम होती है। सूरज की रोशनी का कम संपर्क शरीर की इंटरनल क्लॉक को बिगाड़ देता है, जिससे सेरोटोनिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर में असंतुलन पैदा होता है, जो मूड और पूरे मस्तिष्क के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
नींद में खलल
मौसम में बदलाव, जैसे अत्यधिक तापमान, तूफान या ज्यादा ह्यूमिडिटी, नींद के पैटर्न में बाधा डाल सकते हैं। नींद में खलल होने से कॉग्नेटिव फंक्शन, मेमोरी और पूरे मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, अपर्याप्त नींद की वजह से मूड संबंधी डिसऑर्डर, न्यूरोडीजेनेरेटिव डिजीज और कॉग्नेटिव परफॉर्मेंस में कमी का खतरा बढ़ जाता है।
मनोवैज्ञानिक प्रभाव
मौसम परिवर्तन का मस्तिष्क स्वास्थ्य पर अप्रत्यक्ष मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी पड़ सकता है। लंबे समय तक उदास, बरसाती मौसम या तूफान या गर्मी की वजह से तनाव, चिंता या अवसाद बढ़ सकता है। प्रतिकूल मौसम की स्थिति में लंबे समय तक रहने से दैनिक दिनचर्या बाधित हो सकती है, बाहरी गतिविधियां सीमित हो सकती हैं और सामाजिक मेलजोल कम हो सकता है। ये सभी चीजें मेंटल हेल्थ और कॉग्नेटिव फंक्शन को प्रभावित कर सकते हैं।