Health tips: विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, हर साल 1.6 मिलियन लोगों की मौत फेफड़ों के कैंसर की वजह से होती है। वैसे तो तंबाकू और धूम्रपान को अधिकतर फेफड़ों पर होने वाले दुष्प्रभाव से जोड़कर देखा जाता है। मगर सिर्फ यही अकेला कारण फेफड़ों के कैंसर के लिए जिम्मेदार नहीं है। लंग कैंसर और वायु प्रदूषण का भी गहरा कनेक्शन है।
प्रदूषण इस तरह करता है प्रभावित
जिन जगहों पर वायु प्रदूषण का स्तर ज्यादा है वहां ध्रूमपान न करने वाले कैंसर रोगी ज्यादा हैं। वायु प्रदूषण में विभिन्न हानिकारक तत्व और कण शामिल होते हैं, जैसे कि पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), ओजोन (O3), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), और कई अन्य रासायनिक तत्व। ये तत्व निम्नलिखित कारणों से फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकते हैं।
सावधानी बरतने की जरूरत
ये सूक्ष्म कण फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और फेफड़ों की कोशिकाओं को क्षति पहुंचा सकते हैं। यह कोशिकीय DNA में परिवर्तन कर सकते हैं, जिससे कैंसर हो सकता है। वायु प्रदूषण में बेंजीन, फॉर्मल्डिहाइड, और पोलिसायक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAHs) जैसे कार्सिनोजेनिक रसायन होते हैं, जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से फेफड़ों की सूजन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जो कैंसर के विकास का खतरा बढ़ा सकती हैं।
बचाव के तरीके
- जितना हो सके, स्वच्छ वायु में सांस लें। अपने घर और कार्यस्थल के अंदरूनी वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें।
- जब वायु प्रदूषण का स्तर उच्च हो, तो मास्क पहनें, विशेषकर N95 या उससे बेहतर मास्क जो छोटे कणों को भी रोक सकता है।
- पेड़-पौधों और हरियाली वाले स्थानों में अधिक समय बिताएं, जहां वायु प्रदूषण कम होता है।
- घर के अंदर धूम्रपान न करें और रसोई में वेंटिलेशन का उपयोग करें।
- नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं ताकि किसी भी प्रारंभिक लक्षण का पता चल सके और समय रहते उपचार शुरू किया जा सके।
- अपने आसपास के क्षेत्र में अधिक से अधिक पेड़ लगाएं। पेड़ वायु को शुद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
किन लोगों को रहता है लंग कैंसर का खतरा?
तम्बाकू धूम्रपान लंग कैंसर का सबसे प्रमुख कारण है। जितना अधिक और जितने लंबे समय तक कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है, उतना ही उसका जोखिम बढ़ता है। जो लोग स्वयं धूम्रपान नहीं करते, लेकिन दूसरों के धुएं में सांस लेते हैं, उन्हें भी लंग कैंसर का खतरा हो सकता है।रेडॉन एक रेडियोधर्मी गैस है जो मिट्टी और चट्टानों में प्राकृतिक रूप से पाई जाती है। उच्च स्तर की रेडॉन गैस के संपर्क में आने से लंग कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। एस्बेस्टोस और अन्य रसायनों के संपर्क में आने वाले लोगों को लंग कैंसर का खतरा होता है। जिनके परिवार में किसी को लंग कैंसर हो चुका है, उन्हें भी इस बीमारी का खतरा अधिक होता है।