Health Tips: जाने यूटरिन फाइब्रॉयड की समस्या और इलाज

Update: 2024-08-06 14:24 GMT
Health Tips स्वास्थ्य सुझाव: अपने स्वास्थ्य के प्रति बरती गई ये लापरवाही कई बार उनकी सेहत की दुश्मन बनने लगती है। जिसकी वजह से भविष्य में उन्हें सेहत से जुड़ी अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ता है। जिसमें यूटरिन फाइब्रॉयड और ओवेरियन सिस्ट की समस्या शामिल है। चिंता की बात यह है कि इनके लक्षणों में समानता होने की वजह से महिलाओं को यूटरिन फाइब्रॉयड और ओवेरियन सिस्ट एक ही रोग लगते हैं। दरअसल,Uterine Fibroids
 
और ओवेरियन सिस्ट दोनों ही सामान्य स्त्रीरोग हैं, जो महिलाओं को उनके प्रजनन काल में प्रभावित करते हैं। इन दोनों के लक्षण एक जैसे होते हैं, लेकिन इनकी जगह, कारण और इलाज में इनमें अंतर होता है।
जगह-
यूटरिन फाइब्रॉयड और ओवेरियन सिस्ट के बीच पहला और सबसे बड़ा अंतर है, शरीर में उनके होने की जगह। यूटरिन फाइब्रॉयड का विकास गर्भ के अंदर होता है, जो पेल्विस में स्थित होता है, जबकि ओवेरियन सिस्ट का विकास ओवरीज में होता है, और ये भी पेल्विस में स्थित होती हैं। यूटरिन फाइब्रॉयड होने पर महिलाओं को माहवारी में अत्यधिक रक्तस्राव, यौन क्रिया करते समय दर्द, और बार-बार पेशाब आने के लक्षण महसूस होते हैं, वहीं ओवेरियन सिस्ट होने पर पेल्विक दर्द, सूजन और अनियमित माहवारी के लक्षणों का अनुभव हो सकता है।
कारण-
यूटरिन फाइब्रॉयड और ओवेरियन सिस्ट के कारण भी अलग-अलग होते हैं। यूटरिन फाइब्रॉयड गर्भाशय में मांसपेशियों के टिश्यूज की अत्यधिक वृद्धि के कारण होता है। यूटरिन फाइब्रॉयड का बिल्कुल सटीक कारण अभी अज्ञात है, पर ऐसा माना जाता है कि आनुवंशिकी, हार्मोन में असंतुलन, मोटापा और रेड मीट का अधिक सेवन करने की वजह से यह बढ़ सकता है। दूसरी ओर, ओवेरियन सिस्ट में ओवरीज में स्थित तरल पदार्थ से भरी थैलियों की अत्यधिक वृद्धि हो जाती है। ये सिस्ट सामान्य (बिना कैंसर के) या घातक (कैंसरयुक्त) हो सकते हैं। इनका विकास कई कारणों से हो सकता है, जिनमें हार्मोन का असंतुलन, ऑव्यूलेशन और आनुवंशिक कारण शामिल हैं।
लक्षण-
यूटरिन फाइब्रॉयड और ओवेरियन सिस्ट के लक्षण अलग-अलग होते हैं। यूटरिन फाइब्रॉयड होने पर महिलाओं को माहवारी के दौरान भारी रक्तस्राव, पेल्विस में दर्द और दबाव, तथा बार-बार पेशाब आने और कब्ज के लक्षण महसूस होते हैं। ओवेरियन सिस्ट होने पर महिलाओं को पेल्विस में दर्द, सूजन और अनियमित माहवारी के साथ यौन क्रिया के दौरान दर्द और गर्भधारण करने में कठिनाई का अनुभव हो सकता है। ओवेरियन सिस्ट होने पर कभी-कभी मतली, उल्टी और थकान के लक्षण भी महसूस हो सकते हैं।
निदान-
यूटरिन फाइब्रॉयड और ओवेरियन सिस्ट, दोनों का निदान Ultrasound, एमआरआई और लैप्रोस्कोपी जैसे विभिन्न परीक्षणों और प्रक्रियाओं द्वारा किया जाता है। अल्ट्रासाउंड एक नॉन-इन्वेजिव इमेजिंग परीक्षण है, जिसमें ध्वनि तरंगों की मदद से शरीर के अंदर की इमेजेस प्राप्त की जाती हैं। जबकि एमआरआई एक अधिक विस्तृत इमेजिंग परीक्षण है, जिसमें चुंबकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगों द्वारा शरीर के अंदर की इमेज ली जाती हैं। बात अगर लैप्रोस्कोपी की करें तो यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें पेट में छोटा सा चीरा लगाकर एक सूक्ष्म कैमरे की मदद से शरीर के अंदर की जांच की जाती है।
इलाज-
यूटरिन फाइब्रॉयड और ओवेरियन सिस्ट का इलाज उनके आकार, जगह और स्थिति की गंभीरता के आधार पर किया जाता है। कभी-कभी ये दोनों इलाज के बिना अपने-आप ठीक हो जाते हैं। लेकिन ऐसा ना होने पर इलाज की मदद से लक्षणों को नियंत्रित करके जटिलताओं को रोका जा सकता है। यूटरिन फाइब्रॉयड का इलाज दवा, सर्जरी, या यूटरिन फाइब्रॉयड एम्बोलिजेशन (यूएफई) की मदद से किया जा सकता है, जिसमें फाइब्रॉयड को पहुंचने वाले खून को रोक दिया जाता है। वहीं ओवेरियन सिस्ट का इलाज दवा, सर्जरी और सिस्ट के प्रकार एवं आकार के आधार पर उसकी निगरानी करके किया जाता है।
इन दोनों समस्याओं के लक्षण समान होते हैं, पर इनकी जगह, कारण और इलाज के मामले में इनमें अंतर है। अगर महिला को Pelvis में दर्द, माहवारी के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव, या अनियमित माहवारी के लक्षण महसूस हो रहे हों, तो उन्हें डॉक्टर का परामर्श लेकर जानना चाहिए कि कहीं उन्हें यूटरिन फाइब्रॉयड या ओवेरियन सिस्ट या फिर ये दोनों समस्याएं तो नहीं हैं। उचित निदान और इलाज की मदद से इन दोनों स्थितियों को नियंत्रित किया जा सकता है और महिलाओं की संपूर्ण सेहत व स्वास्थ्य को सुनिश्चित किया जा सकता है।
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