अच्छी परवरिश का गुरुमंत्र अनुशासन और प्यार

Update: 2024-05-21 15:25 GMT

लाइफस्टाइल: अच्छी परवरिश का गुरुमंत्र अनुशासन और प्यार हर माता-पिता का उद्देश्य एक ही होता है अपनी मंजिल पाना यानी अपने बच्चों का सुनहरा भविष्य बनाना। यह सफर सिर्फ बच्चे के लिए ही नया नहीं होता, बल्कि ये पेरेंट्स के लिए भी नई शुरुआत होती है। ऐसे में हर माता-पिता को पेरेंटिंग का पाठ जरूर सीखना चाहिए। आपके प्रयासों और बच्चे की कोशिशों से आप इस सफर को खूबसूरत और सार्थक बना सकते हैं। ऐसे में अथॉरिटीटैटिव पेरेंटिंग का विकल्प आपके लिए बेहतर हो सकता है।

यह है अथॉरिटीटैटिव पेरेंटिंग
अक्सर माता-पिता को लगता हैकि ज्यादा लाड़ प्यार के कारण बच्चे बिगड़ जाते हैं। वहीं ये बात भी सही है कि ज्यादा सख्त रहने से भी बच्चे की मानसिकता और व्यक्तित्व पर नकारात्मक असर पड़ता है। ऐसे में अथॉरिटीटैटिव पेरेंटिंग बीच का रास्ता है। इसमें माता-पिता ​अनुशासन और प्यार के बीच की राह अपनाते हैं। वे अपने बच्चों के साथ खुलकर जीते हैं, उन्हें खूब लाड़ प्यार करते हैं, उनके साथ हंसते हैं, खेलते हैं, लेकिन ये सब एक सीमा में रहकर ही किया जाता है। यानी एक सीमा तय कर ली जाती है कि आपको बच्चे को कितनी छूट देनी है। हालांकि इस दौरान बच्चे की भावनाओं और रुचियों का पूरा ध्यान रखा जाता है। अथॉरिटीटैटिव पेरेंटिंग कई मायनों में बच्चों के विकास में मददगार है। इससे बच्चे अनुशासन भी सीखते हैं और उनकी माता-पिता से रिश्ता भी अच्छा बना रहता है। परवरिश का यह तरीका उन्हें खुद अपनी आजादी, रूचि चुनने का मौका देती है।
अथॉरिटीटैटिव पेरेंटिंग की शुरुआत
बच्चों को अनुशासन में ढालना मुश्किल भले ही है लेकिन नामुमकिन नहीं। बेहद आसान है। इसमें माता-पिता दोनों की राय एक जैसी होना भी जरूरी है। अपने बच्चे को इतनी छूट दें कि वो खुलकर अपनी बात आपसे बोल सके। उसे हमेशा माता-पिता और बड़ों का सम्मान करना सिखाएं। बच्चों का दोस्त बनने की कोशिश में कभी भी अपनी सीमाएं पार न करें, इससे बच्चे में आपका डर नहीं रहेगा और वो आपकी बातें मानना बंद कर सकता है। इसलिए उनके दोस्त बनें, लेकिन सावधानी से। बच्चों को यह साफ बताएं कि आप उनसे जीवन में क्या चाहते हैं। साथ ही उन्हें इस उद्देश्य को पाने के लिए प्रेरित भी करें। उन्हें और दुनिया का सामना करने के लिए तैयार करें। अथॉरिटीटैटिव पेरेंटिंग अपनाकर आप अपने बच्चे को अच्छा इंसान बना सकते हैं।
अथॉरिटीटैटिव पेरेंटिंग के फायदे
शोध बताते हैं कि अथॉरिटीटैटिव पेरेंटिंग बच्चों के संपूर्ण विकास में मददगार है। इससे बच्चे आशावादी बनते हैं। उनका आत्मविश्वास बढ़ जाता है। वे दूसरों का सम्मान करते हैं। इसी के साथ अथॉरिटीटैटिव पेरेंटिंग में पले बच्चे जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए ज्यादा प्रेरित रहते हैं। इसी के साथ इस शानदार परवरिश के कई और गुण भी हैं-
 तय होगी जवाबदेही: इस नवीन अवधारणा वाली परवरिश में माता-पिता बच्चों की जवाबदेही तय करते हैं। अपने हर निर्णय के लिए बच्चा खुद जवाबदेह होता है। ऐसे में वो हर एक फैसला लेने से पहले काफी सतर्क रहता है। उसे पता है कि अपने फैसले के लिए उसे माता-पिता को जवाब देना होगा। इसलिए वो अपना हर फैसला सोच समझकर लेता है। शोध बताते हैं कि ऐसे बच्चे दोस्तों के दबाव में नहीं आते हैं। यह सीख जिंदगीभर उनके काम आती है। ऐसे बच्चे बुरी संगति में बहुत कम पड़ते हैं।
सीखेंगे सम्मान करना: शोध बताते हैं कि जो अभिभावक बच्चे की शिकायत को सुनते हैं और उसे तवज्जो देते हैंं, उनके बच्चे भी उनका पूरा सम्मान करते हैं। ऐसे बच्चों के टीचर्स, दोस्त, आस-पड़ोस के लोग भी उनके प्रति अच्छा व्यवहार अपनाते हैं। इससे उसका आत्मविश्वास बढ़ता है। वो ज्यादा सामाजिक बनते हैं।
 सामंजस्य सिखाएं: ज्यादा लाड़ प्यार बच्चों को जिद्दी बना देता है। उनमें इतना लचीलापन ही नहीं होता कि वे दूसरों के साथ तालमेल बैठा पाएं। इसलिए अपने बच्चों को हमेशा परिस्थितियों के साथ सामंजस्य बैठाना सिखाएं। उन्हें अपनी सहजता और आलस से बाहर निकलने दें, इससे वे हर परिस्थिति में सामंजस्य करना सीखेंगे। जिंदगी की चुनौतियों से उन्हें सामना करना आएगा। उन्हें अपनी असफलताओं और गलतियों से सीखने का मौका दें। शोध बताते हैं कि ऐसे बच्चे बड़े होकर तनाव का शिकार कम होते हैं।
 नेतृत्व करना आएगा: बच्चों को अपने फैसले खुद लेने दें। इससे उनमें लीडरशिप की भावना आएगी। साथ ही उनमें आत्मविश्वास भी बढ़ता है। ऐसे बच्चे जिंदगी में कोई भी बड़ा फैसला लेने से डरते नहीं हैं। सही फैसले पर शाबाशी और गलत फैसले पर सीख देना न भूलें।
 पढ़ाई में रहते हैं आगे: क्या आप भी उन माता-पिता में से हैं जो स्कूल से होमवर्क न करने की शिकायत आने पर बच्चे को डांटने की जगह टीचर को ही गलत ठहराते हैं या फिर कोई बहाना बनाते हैं। अगर हां, तो ये आपकी सबसे बड़ी गलतियों में से एक है। आप हमेशा बच्चों को उसकी गलतियों पर डांटे। इससे बच्चा आगे उन्हें नहीं दोहराएगा। इससे वह पढ़ाई में ज्यादा ध्यान देगा।
यहां से करें नई शुरुआत
यदि आप बच्चे में अनुशासन की आदत को विकसित करना चाहते हैं तो इन बिंदुओं पर ध्यान दें-  स्क्रीन टाइम पर नजर: अनुशासित माता-पिता अपने बच्चों के ​स्क्रीन टाइम पर वॉच रखते हैं और इसकी समय सीमा भी तय करते हैं। हालांकि इस दौरान बच्चे की उम्र और जरूरत का भी ध्यान रखें। फिक्स टाइम पर टीवी बंद करना सिखाएं। इससे उनमें अनुशासन आएगा।
 खाने का टाइम टेबल बनाएं: अगर बच्चा भोजन के समय कम खाना खा रहा है और दिनभर कुछ-न-कुछ स्नैक्स खाता है तो ये उसकी सेहत और व्यक्तित्व दोनों के लिए खराब है। बच्चे को सारे दिन खाने की अनुमति न दें।
खाने के साथ ध्यान रखें कि बच्चा एक-आधा घंटे बाहर खेलने जरूर जाए, इससे वह सामाजिक बनता है। आप हमेशा बच्चों को उसकी गलतियों पर डांटे। इससे बच्चा आगे उन्हें नहीं दोहराएगा। इससे वह पढ़ाई में ज्यादा ध्यान देगा। क्योंकि उसे पता है कि उसके माता-पिता गलत बात में उसका साथ नहीं देंगे।
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