नई दिल्ली: कई बार गले में इंफेक्शन होने या गलत खाने के कारण गले में खराश, दर्द, खाना निगलने जैसी समस्याएं हो जाती हैं. आमतौर पर ये समस्याएं दो-तीन दिन में सही हो जाती है लेकिन कई बार लक्षण लंबे समय तक रहते हैं. भारत में अक्सर लोग गले में खराश-दर्द होने पर गर्म पानी या फिर काढ़ा बनाकर पीते हैं जिससे कई बार समस्या दूर हो जाती है. लेकिन अगर यह समस्या अधिक समय तक रहे तो इसे बिल्कुल भी नजर अंदाज नहीं करना चाहिए. हाल ही में एक मामला सामने आया है कि एक लड़की को गले में खराश और निगलने में समस्या थी. जब वह हॉस्पिटल गई तो उसे एक जानलेवा बीमारी निकली.
Themirror गले में खराश और निगलने की समस्या जिस महिला को हुई उसका नाम जॉर्जीना मेसन (Georgina Masson) है जो कि 24 साल की है. लंबे समय से उसे गले से सबंधित समस्या हो रही थी, जिसे वह टॉन्सिलाइटिस (Tonsillitis) समझ रही थी. जब वह डॉक्टर के पास गई तो उसे ब्लड कैंसर निकला. उसे जो गले में खराश और खाना निगलने में समस्या हो रही थी, वह ब्लड कैंसर के ही लक्षण थे.
जब जॉर्जीना को शुरुआत में ये लक्षण नजर आए तो उसे लगा कि उसके गले में टॉन्सिल्स हो गए हैं, जिसके कारण उसे गले में दर्द और खराश हो रही है. टॉन्सिल्स को सही करने के लिए उसने एंटीबायोटिक दवाएं लीं लेकिन फिर भी उसे आराम नहीं मिला. उसका मुंह धीरे-धीरे खुलना बंद होने लगा. जब उसे हॉस्पिटल में एडमिट किया गया तो डॉक्टरों को जानलेवा बीमारी यानी ब्लड कैंसर का पता लगा.
जॉर्जीना के पिता पॉल की 54 साल की उम्र में कैंसर से मौत हुई थी. उस समय जार्जिना की उम्र मात्र 15 साल थी. जॉर्जीना इंग्लैंड के हॉर्शम में एडमिन की पोस्ट पर काम करती थीं. उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, मुझे कैंसर था लेकिन मैं उसे टॉन्सिल्स समझ रही थी. मुझे इस बारे में बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि यह समस्या इतनी सीरियस होगी.
मुझे जल्द से जल्द ट्रीटमेंट की जरूरत थी. मैंने अपने पिता को भी कैंसर से ही खोया था इसलिए यह बात मेरे लिए भी काफी भयानक थी. मैंने कभी इस बारे में नहीं सोचा था कि मुझे मात्र 24 साल की उम्र में कैंसर हो जाएगा.
जार्जीना ने इंटरव्यू के दौरान बताया, जुलाई 2021 में मेरा लगभग 20 किलो वजन कम हुआ था लेकिन मैंने उसे सीरियस नहीं लिया और सोचा कि गर्मी के कारण मेरा वजन कम हुआ है. लेकिन इसके साथ ही मेरे मसूड़े और नाक से भी खून आने लगा था. मेरे गले की समस्या और बढ़ गई और उसके बाद मुझे एंटीबायोटिक्स दिए गए. लेकिन कुछ हफ्तों में बाद मैं कुछ भी नहीं निगल पा रही थी और मेरा मुंह भी नहीं खुल रहा था.
बोन मैरो बायोप्सी के बाद अगस्त 2021 में डॉक्टर ने मुझे एक्यूट मायलोइड ल्यूकेमिया (Acute myeloid leukaemia) होने के बारे में जानकारी दी. एक्यूट मायलोइड ल्यूकेमिया रक्त कोशिकाओं की माइलॉयड लाइन का कैंसर है.
जॉर्जीना की मां को जब कैंसर के बारे में पता लगा तो वे काफी परेशान हुईं. इसके बाद उन्हें हॉस्पिटल भेजा गया लेकिन वहां पता लगा कि उन्हें एक्यूट मायलोइड ल्यूकेमिया स्ट्रेन है, जिसके लिए 1 हफ्ते में मुझे कीमोथेरेपी शुरू करनी होगी. लेकिन जब मैं हॉस्पिटल से घर जा रही थी तब मेरा पास कॉल आया कि मुझे कल से ही थेरेपी शुरू करनी होगी. अगस्त 2021 में इलाज शुरू हुआ और 7 कीमोथेरेपी के बाद मई 2022 में मेरा इलाज खत्म हो गया.
अगर आपको भी कभी गले में खराश या कोई और समस्या होती है तो तुरंत किसी डॉक्टर संपर्क करें. सबसे जरूरी बात ये कि मन से कभी भी कोई दवाई न लें. हमेशा डॉक्टर की बताई हुई दवाई का ही सेवन करें.