भारतीयों की रसोई में मेथी (दाना) एक आवश्यक मसाला है. यह वेज और नॉनवेज डिश में स्वाद तो भर ही देते हैं, साथ ही उनमें मौजूद हानिकारक तत्वों को भी हल्का कर देते हैं. इनमें कुछ अविश्वसनीय गुण हैं जो कई बीमारियों में राहत प्रदान करते हैं. यह औषधि भी है, लेकिन इन्हीं गुणों के चलते इसे मसालों में शामिल किया गया है. हजारों सालों से इस्तेमाल हो रहा है इनका. आयुर्वेद में तो मेथी दानों से कई दवाएं भी बनाई जाती हैं.
दाना भी लाभकारी है तो मेथी का साग भी
हम आपको इस बात की जानकारी लगातार देते रहे हैं कि प्राचीन समय से ही भारत के ऋषि-मुनियों और आयुर्वेदाचायों ने कुछ जड़ी बूटियों (औषधियों) को मसाले में इसलिए शामिल कर लिया, क्योंकि उनका स्वाद भोजन में तो रस भरता ही थी, साथ ही शरीर को भी स्वस्थ बनाए रखता है. इस श्रेणी में मेथी (दाना) भी शामिल है. खास बात यह है कि भारत में जैसे सरसों के साग के जलवे हैं, वैसे ही कई राज्यों में आलू-मेथी (सब्जी) भी खूब खाई जाती है. यानी मेथी का साग भी कारगर है तो दाने भी खासे काम आते हैं. मेथी का साग तो गर्मी के मौसम में दो-एक माह ही खाया जाता है, लेकिन अब इसे सुखाकर कसूरी मेथी बनाकर पूरे साल भोजन में स्वाद भरा जाता है
हजारों सालों से काम में आ रहे हैं इसके बीज
भारत में मेथी के दाने भी पूरे साल रसोई व आयुर्वेद में काम आते हैं. भारत में तो हजारों सालों से मेथी का भोजन में प्रयोग के अलावा चूर्ण व विभिन्न घटकों को मिलाकर अवलेह (confection) बनाया जा रहा है, जो विभिन्न रोगों से बचाव के लिए लाभकारी है. असल में मेथी एक विश्वव्यापी मसाला है, जिसका सालों से अलग-अलग देशों में अलग रूप से प्रयोग किया जा रहा है. मेथी मेथी का तेल भी इनमें एक है. बताते हैं कि 1500 ईसा पूर्व में एबर्स पेपिरस (मिस्र के सबसे पुराने औषधीय दस्तावेज में से एक) में मेथी के गुणों का वर्णन किया गया है. तो ईसा पूर्व सातवीं-आठवीं शताब्दी में लिखे गए आयुर्वेदिक ग्रंथ 'चरकसंहिता' में इसे 'कुंचिका' कहा गया है और जानकारी दी गई है कि मेथी का सेवन रुचिकर है, यह भूख तो जगाता ही है, साथ ही वात व कफ रोग से बचाव करता है और दुर्गंध को नष्ट करता है. खास बात यह भी है कि भारत में सालों से स्वास्थ्य को लेकर घरेलू नुस्खों में घरों में मेथी दाने का खूब प्रयोग किया जा रहा है.
दक्षिण पूर्वी यूरोप और पश्चिम एशिया हैं उत्पत्ति केंद्र
मेथी की उत्पत्ति को लेकर बहुत ज्यादा अगर-मगर नहीं है. वनस्पति इतिहास से जुड़ी खोज बताती हैं कि मेथी की खेती का मूल स्रोत दक्षिण पूर्वी यूरोप और पश्चिम एशिया हैं. विश्वकोष (Britannica) ने भी जानकारी दी है कि मेथी की खेती दक्षिणी यूरोप और भूमध्यसागरीय क्षेत्र के अलावा मध्य और दक्षिणपूर्वी यूरोप, पश्चिमी एशिया, भारत और उत्तरी अफ्रीका में की जाती रही है. दूसरी ओर भारत-अमेरिकी वनस्पतिशास्त्री सुषमा नैथानी के अनुसार मेथी का उत्पत्ति केंद्र मिडिल ईस्ट सेंटर है, इसमें एशिया का इंटरनल एरिया, ईरान, तुर्कमेनिस्तान आदि शामिल है.
वर्तमान परिदृश्य की बात करें तो दुनिया में मेथी की सर्वाधिक खेती अर्जेंटीना, मिस्र, दक्षिणी फ्रांस, मोरक्को और लेबनान, के अलावा उत्तरी अमेरिका, पश्चिमी व दक्षिणी एशिया, अफ्रीका के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों के अलावा भारत में राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब में बड़े पैमाने पर उगाई जा रही है.
खास तत्व इसे अविश्वसनीय गुणों से भर देते हैं
आधुनिक संदर्भ की बात करें तो वरिष्ठ वनस्पति विज्ञानी व लेखक बिश्वजीत चौधरी के अनुसार मेथी में कुछ अविश्वसीनय तत्व हैं, जिनमें फाइबर, कैलोरी, मैग्निशियम, फास्फोरस, कॉपर, केल्शियम, ऑक्सीड, नाइट्रिक व अन्य एसिड, पोटैशियम, सल्फर, विटामिन ए, विटामिन सी व अन्य अलग तरह के तत्व शामिल हैं. यही तत्व मेथी को विशेष बनाते हैं. रिसर्च बताती हैं कि इन्हीं तत्वों के चलते मेथी शरीर के लिए एंटीडायबिटिक, एंटीऑक्सिडेंट, जीवाणुरोधी, एनोरेक्सिया (आहार संबंधी विकार-रोधी) और एंटीकार्सिनोजेनिक (कैंसर से बचाव) है. हरियाणा स्थित यूनिवर्सिटी के आयुर्वेद विभाग की प्रमुख डॉ. वीना शर्मा के अनुसार जो रोग शरीर को सबसे अधिक क्षति पहुंचाते हैं, मेथी उनसे बचाव करती है, इनमें शुगर, पेचिश, अपच, लीवर संबंधी रोग व पीलिया, सूखा रोग, गठिया, सूजन, चक्कर आदि शामिल है. इसलिए आयुर्वेद में इसे असाधारण बताया गया है.
शुगर कंट्रोल करने में रामबाण है मेथी
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए दानों का कई तरह से उपयोग हो सकता है. रात को पानी में डालकर सुबह खाली पेट पानी पिएं और दानें चबा लें. कई रोग तो पास ही नहीं आएंगे. इसके अलावा बीजों को अंकुरित करके सलाद में डाल लें, सूखे बीजों का पाउडर बना लें और इसे पीसकर पेस्ट बना, सब्जी में डालें, फायदे ही फायदे हैं. सीधे तौर पर तो मेथी के दाने खाने स लाभ पहुंचाते ही हैं, इसके अलावा शरीर के बाहरी फायदे के लिए दही, शहद के साथ ही इसके पेस्ट का उपयोग होता है, इनमें बालों की देखभाल, मुंहासों आदि से बचाव शामिल है.
इसका उपयोग उम्र बढ़ने प्रक्रिया में देरी करता है और त्वचा को मॉइस्चराइज़ करने में मदद करता है, यानी आप लंबे समय तक जवान दिखते हैं. इसका पानी व लेसदार रेशे मेटाबॉलिज्म तेज करते हैं, जिससे मोटापे से बचाव होता है. ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मेथी के बीज रामबाण हैं. यह इंसुलिन संवेदनशीलता और क्रिया को बढ़ाने में मदद करता है जिससे ब्लड शुगर कम हो जाता है. हाइपर-एसिडिटी को भी रोकते हैँ इसके बीज. इनका सेवन कोलेस्ट्रॉल को भी कम रखता है. याद रहे कि मेथी की तासीर गर्म मानी जाती है, इसलिए संतुलित तौर पर इसका उपयोग करें वरना मितली और पेट खराब हो जाएगा और संभव है कि ब्लड शुगर भी कम हो जाए.