लाइफस्टाइल Lifestyle: बहुत सारी महिलाओं के मन में अपने स्वास्थ्य को लेकर कई सारी दुविधाएं झेलती हैं और डॉक्टर के पास नहीं जाती। या कुछ ऐसे सवाल होते हैं जिनके जवाब वो डॉक्टर के पास जाकर बताना ही नहीं चाहती। मन की ऐसी ही उलझनों को एक्सपर्ट के जवाब की मदद से दूर किया जा सकता है।
अधिकांश महिलाओं के शरीर में बच्चे के जन्म के बाद बहुत आसानी से दूध का निर्माण होने लगता है और वे बच्चे को स्तनपान करवाने की स्थिति में होती हैं। कभी-कभी कुछ मेडिकल कारणों की वजह से कुछ महिलाएं बच्चे के जन्म के बाद उन्हें स्तनपान नहीं करवा पाती हैं। कई दफा कुछ विशेष तरह की बीमारी होने पर मां को स्तनपान न करवाने की सलाह भी दी जाती है। समय से पूर्व बच्चे का जन्म होने की स्थिति में शरीर सुचारू रूप से दूध बनाने की प्रक्रिया शुरू नहीं कर पाता और इस स्थिति में बच्चे को पर्याप्त मात्रा में मां का दूध नहीं मिल पाता है। अगर बच्चा हर दो घंटे के अंतराल पर कर रहा है, युरीन और पॉटी नियमित अंतराल पर कर रहा है और उसका वजन भी बढ़ रहा है, तो यही माना जाएगा कि मां का दूध उसके लिए पर्याप्त है। Feeding The Beast
इसके अलावा कुछ महिलाएं ब्रेस्ट पंप की मदद से अपना दूध निकालकर उसे फीडर के माध्यम से बच्चे को देती हैं। अगर आपको यह शक है कि आपका शरीर पर्याप्त मात्रा में दूध बना पा रहा है या नहीं, तो इसके लिए आप ब्रेस्ट पंप का सहारा ले सकती हैं। इससे आप जान पाएंगी कि एक बार में आपका शरीर कितनी मात्रा में दूध का निर्माण कर पाता है। इसके अलावा गर्भावस्था के 36वें सप्ताह से ब्रेस्ट की साफ-सफाई करना, बच्चे के जन्म के बाद उसे तुरंत स्तनपान करवाना, ज्यादा तरल पदार्थ का ज्यादा सेवन और दूध का निर्माण बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ जैसे जीरा, अजवायन व हरी सब्जियों का सेवन करना आदि से मां का शरीर दूध का निर्माण ज्यादा मात्रा में करता है। अगर इस सबसे लाभ न हो, तो डॉक्टरी परामर्श के मुताबिक आप कुछ दवाओं का सेवन भी इस परेशानी को दूर करने के लिए कर सकती हैं।
अगर आपको दो माह से लगातार ब्लीडिंग हो रही है, तो आपको तुरंत डॉक्टरी परामर्श लेना चाहिए। इतने लंबे समय तक लगातार ब्लीडिंग होने के कई सारे कारण हो सकते हैं, जिसमें फाइब्रायड्स, यूट्राइन कॉलिक, हार्मोनल असंतुलन, ओवेरियन सिस्ट, गर्भपात आदि जिम्मेदार हो सकते हैं। कई बार एनीमिया होने पर भी लंबे समय तक ब्लीडिंग होती है। डॉक्टरी परामर्श के अनुसार अल्ट्रासाउंड, ब्लड टेस्ट और हार्मोन से संबंधित जांच करवाएं। डॉक्टर जरूरी जांच के बाद आपको ब्लीडिंग रोकने वाली दवा देगा। इसे अनदेखा न करें।