देसी ज़ायका-पूर्व की हांडी से बैंगन भाजा
. यहां जितनी भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधताएं है, उतने ही नए स्वाद भी.
लाइफस्टाइल | खान-पान के मामले में हमारे देश बहुत समृद्घ है. यहां जितनी भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधताएं है, उतने ही नए स्वाद भी. हमारी कुछ पाठिकाएं भारत के उत्तर, पूर्व, पश्चिम और दक्षिण के मशहूर व्यंजनों को सीधे अपनी रसोई से परोस रही हैं, ताकि आपकी थाली में मौजूद हो पूरे हिंदुस्तान का ज़ाय़का. हम सबके लिए शानदार रेसिपीज़ बताने का ज़िम्मा हमने हमारी पाठिकाओं को ही सौंप दिया और लीजिए...वे भारत के उत्तर, पूर्व, पश्चिम और दक्षिण से लज़ीज़ व्यंजन सीधे आपकी रसोई तक ही पहुंचा रही हैं ये स्वादिष्ट व्यंजन. साथ ही वे खानपान से जुड़ा अपना मज़ेदार अनुभव भी हमसे साझा कर रही हैं. तो आइए, इस श्रृंखला में लुत्फ़ उठाएं उनकी बातों और व्यंजनों का.अनुरिमा बताती हैं,‘‘मैं पश्चिम बंगाल से हूं और चूंकि बंगाल में बहुत-सी नदियां, झीलें और तालाब हैं यहां मछली खाना बहुत पसंद किया जाता है. मछली के आकार, टेक्स्चर, हड्डियों और उनमें मौजूद वसा के अनुसार उन्हें अलग-अलग तरीक़े से पकाया जाता है. इन्हें तला जाता है, तरी (झोल) में पकाया जाता है या सरसों के साथ (सोरशे माछ), खसखस के साथ (पोस्तो) और दही के साथ (दोई माछ) पकाया जाता है. फिर हम लोग मीठे के भी शौक़ीन होते हैं-रसगुल्ला, मिष्टी दोई, रसमलाई, चमचम और संदेश...इनका कोई मुक़ाबला नहीं. वहीं सब्ज़ियों में बैंगन भाजा और आलू भाजा भी बहुत पसंद किए जाते हैं.’’