अच्छी नींद और दर्दरहित सुबह के लिए सही मैट्रेस का चुनाव करें, दिन अच्छा जाएगा
नींद शरीर के उपचार तंत्र के लिए भोजन की तरह है और एक अच्छा मैट्रेस वास्तव में आपके सोने के तरीक़े में सकारात्मक बदलाव ला सकता है. बीते कुछ वर्षों से हम कोविड महामारी का सामना कर रहे हैं और ऐसे चुनौतीपूर्ण दौर में 40 फ़ीसदी से भी ज़्यादा लोग नींद संबंधी परेशानियों से पीड़ित हैं. ग़लत तरीक़े से सोना इसमें शामिल है. कोविड-19 के दौरान नींद की समस्याओं ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को सबसे ज़्यादा प्रभावित किया है. सही नींद के लिए कई ज़रूरी वस्तुओं में एक मैट्रेस भी आता है, जिससे आपकी पीठ को सहारा मिलता है और आपको कई तरह के दर्द से भी निज़ात मिलती है.
बाजार में अपने लिए सबसे अच्छे मैट्रेस तलाशते समय यह समझना काफ़ी अहमियत रखता है कि आपका शरीर किस तरह का है और आप किस मुद्रा में सोते हैं. अच्छा मैट्रेस वो होता है, जो आपके शारीरिक बनावट को सपोर्ट करते हुए आपकी पीठ के कुदरती कर्व्स के साथ तालमेल बिठाते हुए सही स्पाइनल अलायनमेंट को प्रमोट करे. ज़्यादातर लोग पीठ के बल सोते हैं, एक तरफ़ करवट लेकर सोते (साइड स्लीपर) हैं, पेट के बल सोते हैं या फिर थोड़े-थोड़े समय के लिए इन तीनों मुद्राओं में नींद पूरी करते हैं. पीठ के बल सोने वालों को स्पाइन स्लीपर भी कहा जाता है. इस तरह सोने पर रीढ़ की हडि्डयों पर घंटों काफ़ी दबाव बना रहता है. इसके चलते ऐसे लोग पीठ दर्द के शिकार हो जाते हैं. लेकिन यदि बिस्तर की सतह में ज़रूरत भर कड़ापन हो तो इससे कंधों और पीठ के निचले हिस्से में अनावश्यक तनाव कम या ख़त्म हो सकता है. याद रखें कि जहां पीठ के बल सोने वालों को सपोर्ट की ज़रूरत होती है, वहीं साइड स्लीपर के कंधों और कुल्हों को प्रेशर रिलीफ़ की दरकार होती है. इसका मतलब है कि ऐसे लोग आम तौर पर ऐसे नरम मैट्रेस चाहेंगे जो शरीर के कुदरती कर्व्स को सपोर्ट करे. पेट के बल सोने वाले लोगों का वज़न आमतौर पर सामान्य से ज़्यादा होता है. इसका मतलब यह है कि वे खासतौर पर थोड़ा सख़्त मैट्रेस के शौक़ीन नहीं होंगे, बल्कि सॉफ़्टनेस और सख़्त क्वालिटी के बीच संतुलन वाला मैट्रेस चाहेंगे, ताकि शरीर को मध्यम स्तर का सपोर्ट मिल सके.
करवट लेकर सोने से कंधे और गर्दन में दर्द हो सकता है या पहले से दर्द हो तो बढ़ सकता है. इसके चलते मांसपेशियों का संतुलन बिगड़ सकता है. ऐसे लोग यदि जागते ही शरीर में दर्द का तकलीफ़ नहीं उठाना चाहते हैं तो उन्हें अपनी गर्दन और कंधों के अलायनमेंट का खयाल रखना चाहिए.
पीठ के निचले हिस्से में दर्द से बचने के लिए इको-फ्रेंडली और ऑर्गेनिक मैट्रेस सबसे अच्छे होते हैं. इसका एक कारण यह है कि उनके लेटेक्स शरीर का ख़्याल रखने में सक्षम होते हैं. यह लचीलापन प्रेशर पॉइंट और पीठदर्द से आराम दिलाने में मददगार साबित हो सकता है और आप अच्छी नींद ले पाएंगे. वास्तव में कई काइरोप्रैक्टर्स और ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ पीठ या गर्दन के दर्द से पीड़ित रोगियों को ऐसे मैट्रेस पर सोने की सलाह देते हैं.
यदि आप गर्दन के दर्द से पीड़ित हैं तो बेहतर होगा कि एक तरफ़ करवट लेकर या पीठ के बल सोएं. ऐसा करते समय सिर के नीचे चपटा तकिया और गर्दन के नीचे गोल तकिया इस्तेमाल करें.
गर्दन का दर्द कम करने के लिए फेदर पिलो भी अच्छा विकल्प साबित हो सकता है. आप सर्वाइकल मेमोरी फोम पिलो इस्तेमाल करने पर भी विचार कर सकते हैं, जिसे गर्दन की ख़ास बनावट और उसकी ज़रूरतों के अनुरूप डिज़ाइन किया जाता है. गर्दन के दर्द से आराम के लिए तकिया ख़रीद रहे हों तो ध्यान रखें कि वह बहुत कठोर या ज्यादा ऊंचा न हो. ऐसा न होने पर सोते वक़्त आपकी गर्दन ग़लत पोज़िशन में होगी. नतीजन सुबह जागने पर आपको दर्द हो सकता है.
वैसे तो सोने के लिए सही मैट्रेस का चयन सभी के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है; लेकिन जो लोग करवट लेकर सोने के आदि हों, उनके लिए इसकी ख़ास अहमियत होती है, क्योंकि इस तरह सोने पर आपके शरीर का सारा भार एक ही हिस्से को उठाना पड़ता है. सबसे अच्छा यह होगा कि मैट्रेस ज़्यादा सख़्त या ज़्यादा नरम न हो. संतुलन ज़रूरी है. मध्यम कठोरता वाला मैट्रेस शरीर के वज़नदार हिस्से को सपोर्ट करता है और वह भी कुल्हों और कंधों पर दबाव बनाए बगैर.
यदि आप एक तरफ करवट लेकर सोते हैं तो आपने गौर किया होगा कि एक साधारण तकिए की मदद से सिर को सीढ़ के साथ अलाइन करना मुश्क़िल होता है. इस परेशानी से बचने का आसान तरीक़ा यह है कि दो तकिए या मोटा चिकित्सकीय तकिए का इस्तेमाल करें. इससे रीढ़ के साथ सिर का सही तरीक़े से अलायनमेंट को सकेगा.