बच्चों की मीठा खाने की आदत बन सकती है मुसीबत, ऐसे छुड़ाएं उनकी लत
बच्चा मीठा खूब खाने लगा है और आप सोचती हैं कि जाने दो, अभी छोटा ही तो है। लेकिन, ज्यादा मीठा खाना बच्चों की सेहत के लिए भी ठीक नहीं है। क्यों? बता रही हैं चयनिका निगम-
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बच्चा मीठा खूब खाने लगा है और आप सोचती हैं कि जाने दो, अभी छोटा ही तो है। लेकिन, ज्यादा मीठा खाना बच्चों की सेहत के लिए भी ठीक नहीं है। क्यों? बता रही हैं चयनिका निगम-
किट्टू मीठा न खाए, तो उसका काम ही नहीं चलता। पर, अब उसका वजन जरूरत से बढ़ गया है। क्या करूं?' तृप्ति की ये चिंता उनकी अकेली की नहीं है। दूसरी मांएं भी बच्चों की मीठा खाने की आदत से परेशान हैं। खासतौर पर लॉकडाउन और कोरोना काल में तो बच्चों का हाल कुछ ज्यादा ही बुरा हो गया है। घर पर बैठे-बैठे वैसे भी बच्चों का खानपान खराब हुआ है। ऐसे में मीठा खाने की आदत बच्चों की सेहत और खराब कर रही है। लेकिन छोटे-छोटे बदलावों से बच्चों की ये आदत बदली जा सकती है। कैसे? आइए जानिए:
सबसे जरूरी बात
बच्चा मीठा कम खाए, ये आप सोचने लगी हैं, तो सबसे पहले ये समझ लीजिए कि बच्चे की डाइट कैसी होनी चाहिए। मीठे की लत छुड़वाने के दौरान बच्चे को पोषण से भरपूर डाइट में क्या-क्या देना है, ये आपको पहले से ही पता होना चाहिए। इसके लिए एक फॉर्मूला याद रखना है कि बच्चे की ऊर्जा का खास स्रोत सिर्फ जरूरी पोषक तत्व ही होने चाहिए जैसे प्रोटीन, विटामिन्स और मिनरल्स। सबसे कम ऊर्जा कार्बोहाइड्रेट और अनहेल्दी फैट्स से मिलनी चाहिए। बच्चे को यह सीख उम्र के शुरुआती दिनों में ही दी जानी चाहिए। इससे ही बच्चा आगे सेहतमंद जिंदगी बिता पाएगा।
बदलें अपनी ये आदत भी
शैतानी नहीं करोगे, तो चॉकलेट मिलेगी। पढ़ाई करोगे तो चॉकलेट मिलेगी। बात मानोगे तो ही चॉकलेट मिलेगी। ज्यादातर घरों में पेरेंट्स यही फॉर्मूला अलग-अलग कामों के हिसाब से अपना लेते हैं, जो कि गलत है। इससे मीठा खाने की आदत बढ़ती जाती है।
अब, जब बच्चे को मीठे से दूर करना है, तो रिवॉर्ड के तौर पर टॉफी, चॉकलेट की देनदारी कम करनी होगी। बच्चे की मीठे की लत छुड़ानी है, तो सबसे पहले बच्चे को चॉकलेट वाला ईनाम देने की अपनी आदत को बदल डालिए। आपको ईनाम देना ही है, तो उन्हें किताबों जैसे विकल्प दें। इससे बच्चे पढ़ने की ओर भी प्रेरित होंगे।
आजमाएं डार्क चॉकलेट का विकल्प
डार्क चॉकलेट को अगर आपने कभी चखा है, तो आप जानती होंगी कि ये कम मीठी होती है। चूंकि बच्चे अचानक से मीठा खाना नहीं छोड़ सकते हैं, इसलिए उन्हें चॉकलेट की जगह डार्क चॉकलेट का स्वाद विकसित कराएं। हो सकता है ये उन्हें उतनी पसंद ना आए और बाद में वो चॉकलेट खाना ही छोड़ दें। अगर नहीं भी छोड़ेंगे, तो वो डार्क चॉकलेट सामान्य चॉकलेट जितनी तो नहीं ही खा पाएंगे। इस तरह से आप उनको मीठे से दूर रख पाएंगी।
दूध के साथ कुछ भी नहीं
ज्यादातर मांएं दूध के साथ कोई न कोई फ्लेवर पाउडर जरूर डालती हैं। साथ में चीनी डालती हैं, वो अलग। चीनी तो सेहत का नुकसान करती ही है, फ्लेवर पाउडर में भी बहुत चीनी होती है। इन सबके बीच दूध में अपना नेचुरल शुगर भी खूब होता है। मीठे की लत कम करने के लिए सबसे पहले तो आपको फ्लेवर पाउडर और चीनी का दूध से साथ तोड़ना होगा। हालांकि ये इतना आसान नहीं है। इन चीजों के बिना शायद बच्चा दूध पिएगा ही नहीं। इसलिए शुरुआत इनकी मात्रा कम करने से कीजिए। बच्चा अगर छोटा है, तो उसे शुरू से ही इन चीजों का स्वाद न लगने दें, तो अच्छा है।
प्राकृतिक शुगर या एडेड शुगर
बाजार से कई सारे ऐसे प्रोडक्ट खरीदे जाते हैं, जिनमें शुगर का खूब इस्तेमाल होता है। लेकिन, ऐसे पैकेज्ड फूड को खरीदते हुए इनकी सामग्री जरूर जांच लें। अब ज्यादातर ऐसे प्रोडक्ट में शुगर का प्रतिशत लिखा होता है। शुगर में भी नेचुरल और एडेड शुगर के बारे में अब अलग-अलग बताया जा रहा है। इसलिए ऐसे प्रोडक्ट को खरीदते हुए वो चीजें ही खरीदें, जिनमें नेचुरल शुगर का प्रतिशत ज्यादा हो।
तानाशाह ना बनें
बच्चे को अगर मीठा खाने की आदत लग गई है, तो वो इतनी जल्दी नहीं जाएगी। इस वक्त आप जितना टोकेंगी, बच्चा उतना ही ज्यादा मीठा खाने की मांग करेगा। ऐसे समय में बच्चे को नियंत्रित करने से अच्छा है कि उसे इसके नुकसान समझाएं और उसे बताएं कि मीठा उसके लिए क्यों सही नहीं है। इस तरह समझा कर बताई गई बात बच्चे के लिए आगे के जीवन में भी काम आएगी। बच्चे को समझाने के लिए वो समय चुनें, जब बच्चा कुछ न कुछ कर रहा हो, जैसे किचन में आपकी मदद कर रहा हो या फिर टीवी में कुछ देख रहा हो।
बाजार का मीठा ड्रिंक
आप अब भले ही बच्चे को कोल्ड ड्रिंक न पीने देती हों, लेकिन बाजार के डिब्बाबंद जूस अकसर मांएं ये सोचकर बच्चों को दे देती हैं कि वे सेहतमंद हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। बाजार में मिलने वाले डिब्बाबंद जूस में कई सारे प्रिजर्वेटिव और ढेर सारी शुगर होती है। इसमें मिले फ्लेवर में भी बहुत शुगर होती है। बच्चा जूस पीने की जिद करे, तो उसे घर का बना जूस दें।
पैकेट वाला खाना
ज्यादातर पैकेज्ड फूड में ढेर सारा शुगर होता है और पोषक तत्व नदारद होते हैं। जबकि साबुत अनाज, डेयरी प्रोडक्ट और सूखे मेवे आदि से बच्चों को भरपूर पोषक तत्व भी मिल जाता है और उनका पेट भी इन्हें खाने के बाद लंबे समय तक भरा रहता है। इसलिए जितना संभव हो, पैकेट वाले खाने से भी बच्चे की दूरी बनाएं।
आपको दिखानी होगी राह
मीठा खाना अगर बच्चों के लिए हानिकारक है, तो आपके लिए तो ये बिल्कुल भी सही नहीं है। बच्चे की यह लत छुड़वाने से पहले आपको भी मीठे से दूरी बनानी होगी। तभी मीठे से दूरी बच्चों पर भी अच्छा असर डालेगी। दरअसल बच्चे माता-पिता की तरह ही सब कुछ कर लेना चाहते हैं। जब वो देखेंगे कि घर में बड़े ही मीठा कम खाते हैं, तो वो भी ऐसा ही करने की कोशिश करेंगे।
● खाने के बाद गुड़ खाएं। बच्चा भी ऐसा करेगा तो उसका खुद ही चॉकलेट या कुछ दूसरा मीठा खाने का मन नहीं करेगा।
● छेना खाएं, तो खूब निचोड़ कर। इस तरह से उसमें ज्यादा से ज्यादा मीठा निकल जाएगा। बच्चे को ये समझ आएगा कि छेना ऐसे ही खाया जाता है।
● हलवा खाएं, तो उसे बच्चे के सामने आधा करवा दें। उसको समझ आएगा कि हलवा वगैरह ज्यादा नहीं खाना होता है। इसको बस स्वाद के लिए ही खाया जाता है।
मीठे के छोटे मील
बच्चों का मीठे से साथ तुरंत छुड़वाना तो संभव नहीं है। इसलिए शुरुआत में मीठे की मात्रा कम करने पर ध्यान दें। जैसे अगर वो एक दिन में पूरी एक चॉकलेट खाता है, तो उसे अब आधी ही दें। ढेर सारी चॉकलेट तक उनकी पहुंच ही न बने, ये आप सुनिश्चित करें।
घर के बने मेवे वाले लड्डू
कोशिश करें कि मिठाई घर पर बनाई जाए। इस तरह से आप उसमें चीनी कम डालेंगी। बच्चे शायद शुरू में घर की मिठाई न पसंद करें, लेकिन जब उन्हें बाजार वाला मीठा नहीं मिलेगा तो वो इन्हें खाएंगे ही। आप सर्दी के मौसम में मेवे वाले लड्डू भी बना सकती हैं।