चाणक्य नीति: इन मामलों में पुरुषों से कहीं आगे हैं महिलाएं
आचार्य चाणक्य ने अपने ग्रंथ चाणक्य नीति में करीब-करीब हर विषय पर अपने अनुभवों को साझा किया है
आचार्य चाणक्य ने अपने ग्रंथ चाणक्य नीति में करीब-करीब हर विषय पर अपने अनुभवों को साझा किया है. उन्होंने स्त्रियों के बारे में भी कुछ ऐसी बातें बताई हैं, जिन्हें वे शर्म की वजह से कभी किसी के सामने नहीं कहतीं. आचार्य चाणक्य ने स्त्रियों में भूख, शर्म, साहस और काम इच्छा को पुरुषों के मुकाबले कहीं ज्यादा बताया है. उनका मानना था कि संस्कारों को साथ लेकर चलने की वजह से महिलाएं परिवार और जिम्मेदारियों में उलझी रहती हैं और अपनी भावनाओं को किसी के सामने उजागर नहीं होने देतीं. जानिए इस बारे में क्या कहती है चाणक्य नीति.
स्त्रीणां द्विगुण आहारो लज्जा चापि चतुर्गुणा
साहसं षड्गुणं चैव कामश्चाष्टगुणः स्मृतः
आचार्य चाणक्य के इस श्लोक का अर्थ है कि महिलाओं में आहार लेने की क्षमता पुरुषों की तुलना में दोगुनी होती है. हालांकि आचार्य चाणक्य की ये बात आज के परिवेश में लागू नहीं होती क्योंकि आजकल ज्यादातर महिलाओं की डाइट बहुत ज्यादा नहीं होती. लेकिन इसकी वजह आजकल की जीवनशैली है. ये बात महिलाओं की पुरानी जीवनशैली और परिश्रम के आधार पर कही गई है.
इसके अलावा महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा करीब चार गुणा शर्म होती है. अपनी तमाम बातों को वो इस शर्म वाले गुण की वजह से ही सामने नहीं रख पातीं. वहीं साहस की बात करें तो महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा छह गुणा ज्यादा साहसी होती हैं. समय-समय पर उन्होंने अपने साहस का परिचय लोगों के बीच कराया है और इस साहस के दम पर ही कुशल शासक के तौर पर सत्ता को भी संभाला है.
काम इच्छा के मामले में स्त्रियां पुरुषों से आठ गुणा आगे होती हैं. उनमें काम इच्छा आठ गुणा प्रबल होती है. लेकिन अपनी शर्म की वजह से वे अपनी भावनाओं को छिपाकर रखती हैं और संस्कारों का निर्वहन करते हुए परिवार और जिम्मेदारियों को संभालती हैं.