चाणक्य नीति: अगर किसी की बात लग जाए बुरी, तो हमेशा इन 2 चीजों को ध्यान में रखकर ही लें फैसला
आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन को सरल व आसान बनाने वाली कई नीतियों का वर्णन किया है
आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन को सरल व आसान बनाने वाली कई नीतियों का वर्णन किया है। कहा जाता है कि आचार्य की नीतियों को अपना पाना आसान नहीं होता है, लेकिन जिसने भी अपना लिया उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सका। एक नीति में चाणक्य ने बताया है कि आखिर बात और व्यक्ति दोनों में क्या सबसे महत्वपूर्ण है।
चाणक्य कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति की कोई बात बुरे लगी तो उसे तरह से सोचना चाहिए। अगर व्यक्ति महत्वपूर्ण है तो बात भूल जाओ और बात महत्वपूर्ण है तो व्यक्ति को भूल जाओ। आचार्य चाणक्य के अनुसार, बात बड़ी हो या छोटी। उसके दो पहलू पर विचार कर उसकी जड़ तक पहुंचा जा सकता है। चाणक्य कहते हैं कि आमतौर पर लोगों को उस बात का बुरा लगता है जो उसके दिल के करीब होते हैं। इनमें कोई करीबी रिश्तेदार या मित्र आदि भी शामिल हो सकते हैं।
आचार्य कहते हैं कि माता-पिता और भाई-बहनों की बात को व्यक्ति दिल से नहीं लगाता है क्योंकि उनसे खून का रिश्ता होता है। लेकिन रिश्तेदारों या मित्रों की बातें लोगों को सुई के समान चुभती हैं। कई बार प्रियजन या दोस्त ऐसी बातों को बोल देते हैं जिन्हें सहना मुश्किल होता है। ऐसे में चाणक्य कहते हैं कि अगर व्यक्ति महत्वपूर्ण है तो बात को भूल जाना चाहिए। अगर बात महत्वपूर्ण है तो व्यक्ति को भूल जाना चाहिए।
यानी कड़वी बातें किसी ऐसे शख्स के द्वारा कही गई हैं जिसके बिना जीवन बिताना मुश्किल है, ऐसे में उस बात को भूलने में ही भलाई है। अगर किसी ने दिल तोड़ने वाली बात कही है तो उस व्यक्ति को भूलने में ही भलाई होती है।