Chanakya Niti: जानें जीवन में कैसे चढ़ें सफलता की सीढ़ी
आचार्य चाणक्य की नीतियों की दुनिया कायल है.
आचार्य चाणक्य की नीतियों की दुनिया कायल है. उन्हें भारत के मैकियावेली की उपमा दी जाती है. वे अकेले ऐसे शिक्षक हैं जिन्होंने दो महत्वपूर्ण लड़ाइयों का नेतृत्व किया. भारत को पश्चिम से पूर्व तक एक किया. भारत का उत्तरी भाग चाणक्य के प्रभाव में हुआ करता था. यह सब चाणक्य अपनी संकल्पशक्ति के बल पर कर पाए.
चाणक्य ने पिता को धननंद का निर्वासन झेलने के बाद मां को भी किशोरवय में खो दिया. कहा जाता है कि उनके पिता की मृत्यु धननंद के कारागार में ही हो गई थी. जिसे निर्वासन बता दिया गया था. उन्होंने पहला संकल्प मां की मृत्यु के तुरंत बाद लिया और धननंद की व्यवस्था को दाह संस्कार का कर नहीं चुकाया. लकड़ियों के लिए अपने घर के काष्ठ का प्रयोग किया.
चाणक्य ने तक्षशिला में बाहरी आक्रमणकारियों से भारत की भूमि की रक्षा करने का संकल्प लिया. गुरुकुल को रण प्रशिक्षण में बदल स्थानीय राजाओं की मदद की. मगध के सम्राट धननंद को पदच्युत करने का संकल्प उन्होंने अत्यंत चतुराई से पूरा किया. चाणक्य श्रेष्ठ चिंतन से संकल्पवान होना सिखाते हैं. देश और जन साधारण के लिए त्याग और तपस्या का संकल्प उन्हें आज भी विश्वभर में ख्याति दिला रहा है.
ध्यान रखें, संकल्प सदा बड़ा और व्यापक प्रभाव वाला हो. संकीर्णता से संकल्प व्यक्तिगत होकर रह जाते हैं. ऐसे में अंततः स्वार्थी संकल्प अनाचार को ही प्रश्रय देता है.