अनियमित दिनचर्या और असंतुलित खानपान से हर वर्ग के लोग प्रभावित हो रहे हैं। महिलाओं में स्तन और सर्वाइकल कैंसर के मामले भी काफी बढ़ गए हैं, लेकिन अगर समय पर कैंसर की जांच हो जाए तो उससे बचा जा सकता है, लेकिन अधिकांश महिलाएं चिकित्सक से तक संपर्क करती हैं, जब कैंसर दूसरी या फिर तीसरी स्टेज पर पहुंच जाता है।
यह बातें पुणे से आईं फाग्सी ब्रेस्ट कमेटी की चेयरपर्सन डा. चारू लता बपाया ने रविवार को गायनी सोसाइटी की ओर से सिविल लाइंस स्थित एक होटल में बच्चेदानी और मुख के कैंसर से बचाव और स्तन कैंसर के विषय पर हुई कार्यशाला में कहीं। उनके साथ दिल्ली के प्रो. लेडी हॉर्डिंग मेडिकल कॉलेज से आईं वरिष्ठ चिकित्सक स्वाति अग्रवाल ने भी अनुभव साझा किए।
कैंसर से बचाव करता है स्तनपान
डा. बपाया ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर भारत में तेजी से पांव पसार रहा है। 35 से अधिक उम्र की महिलाएं ज्यादा इसकी चपेट में आ रही हैं। डा. प्रीति वैश्य ने कहा कि महिलाओं को स्तनपान सामान्य और नैसर्गिक तरीके से कराना चाहिए। इससे बच्चों को पौष्टिक आहार मिलने के साथ ही कैंसर से भी बचाव होता है। डा. प्रगति अग्रवाल ने बताया कि महिलाओं ने व्यायाम करना कम कर दिया है। इससे प्रसव के दौरान दर्द कम बर्दाश्त कर पाती हैं।
इससे अधिक सिजेरियन करने पड़ रहे हैं। डा. भारती सरन ने बताया कि ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए महिलाओं को सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन करना चाहिए। महिलाओं को स्तन में दर्द, गांठ और सूजन हो तो तुरंत जांच करा लेनी चाहिए। इससे बचाव के लिए वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए। नौ से 14 साल तक की बच्चियों में वैक्सीन ज्यादा प्रभावशाली होती है। इस दौरान डा. लता अग्रवाल, डा. लतिका अग्रवाल, डा. नमिता अग्रवाल, डा. नीरा अग्रवाल आदि मौजूद रहीं।