ब्रेस्टफीडिंग करनेवाले बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज का है कम खतरा, जानें गाय के दूध का असर

ब्रेस्टफीडिंग करनेवाले बच्चों को टाइप 1 डायबिटीज होने का कम जोखिम होता है जबकि ज्यादा गाय के दूध सेवन से इसका खतरा अधिक है.

Update: 2021-10-01 06:20 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ब्रेस्टफीडिंग करनेवाले बच्चों को टाइप 1 डायबिटीज होने का कम जोखिम होता है जबकि ज्यादा गाय के दूध सेवन से इसका खतरा अधिक है. वैज्ञानिकों ने 152 पहले की रिपोर्ट की समीक्षा की, जिसमें पता लगाने की कोशिश की गई थी कि कैसे 27 खानपान के फैक्टर टाइप 1 डायबिटीज होने के जोखिम को प्रभावित करते हैं. इसमें प्रेगनेंसी में मां का खाया खाद्य पदार्थ, शुरुआती जिंदगी और बचपन में खाए गए फूड्स और ब्रेस्टफीडिंग का प्रभाव शामिल था.

ब्रेस्ट मिल्क से बच्चे को टाइप 1 डायबिटीज का कम जोखिम
टाइप 1 डायबिटीज में इम्यून सिस्टम पैंक्रियाज में इंसुलिन पैदा करनेवाले सेल्स को नष्ट करता है, जो शरीर को ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित करने के लिए काफी हार्मोन बनाने से रोक देता है. समय के साथ हाई ब्लड शुगर लेवल दिल, आंख, पांव और किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है और जिंदगी जीने की संभावना को कम कर सकता है. नया विश्लेषण बताता है कि लंबे समय तक ब्रेस्टफीडिंग करनेवाले बच्चे और जिनको एक्सक्लूसिव ब्रेस्ट मिल्क दिया जाता है, उनको बीमारी होने की कम संभावना है. एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीडिंग में बच्चे को छह महीनों तक सिर्फ ब्रेस्ट मिल्क ही दिया जाता है कोई अन्य फूड या ड्रिंक नहीं.
गाय के ज्यादा दूध से बच्चे को बीमारी का है अधिक खतरा
शोधकर्ताओं ने बताया कि कम से कम छह महीने से लेकर 12 महीनों तक ब्रेस्टफीडिंग करनेवाले बच्चों को कम समय के लिए ब्रेस्टफीडिंग करनेवालों के मुकाबले बीमारी से पीड़ित होने की 61 कम संभावना है. और शुरुआती तीन से छह महीनों तक सिर्फ ब्रेस्ट मिल्क पीनेवालों को एक्सलूसिव ब्रेस्ट मिल्क नहीं लेनेवालों के मुकाबले बीमारी होने का 31 फीसद कम खतरा होता है.
स्वीडन के शोधकर्ताओं का कहना है कि ब्रेस्टफीडिंग बच्चे के इम्यून सिस्टम की मजबूती को बढ़ावा देता है और उसके गुड बैक्टीरिया को ज्यादा करता है. उसके विपरीत, गाय के दूध या डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे मक्खन, पनीर, योगर्ट और आइसक्रीम का 15 साल से पहले अत्यधिक सेवन का संबंध टाइप 1 डायबिटीज के ज्यादा जोखिम से जुड़ता है. डाइट में गाय के दूध का शुरुआती परिचय भी अत्यधिक जोखिम से जुड़ा हुआ था. दो से तीन महीने की उम्र में गाय के दूध की शुरुआत करनेवालों को जल्दी शुरू करनेवालों के मुकाबले बीमारी का 31 फीसद कम जोखिम होता है.


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