भरवां-गोलगप्पे हों या मसालेदार पाव-भाजी, जानिए लाजवाब स्वाद

Update: 2022-07-02 14:08 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। खाने के कुछ आइटम ऐसे होते हैं कि वे जहां भी नजर आएं, आपका मन ललचाने लगता है. मार्केट या बाजार में भल्ले-पापड़ी हों या पाव-भाजी. आपका मन करेगा कि कुछ खा लिया जाए. यही आइटम आप शादी या किसी अन्य समारोह में देखेंगे तो सब-कुछ छोड़कर इनको ही खाने का मन करेगा. आज हम आपको ऐसे ही मसालेदार आइटमों की शॉप पर लिए चल रहे हैं. चाट-पकौड़ी के आइटमों से भरपूर इस दुकान की विशेषता यह है कि इसे खिलाने वाले करीब 60 साल से लोगों का दिल जीत रहे हैं.

आइटलेट पर मिलेगा ज़ायकेदार स्वाद
कमला नगर बाजार को नॉर्थ दिल्ली का कनॉट प्लेस भी कहा जाता है. यहां हजारों दुकानें हैं. आपको जिस चीज की भी शॉपिंग करनी हो, या कुछ भी खरीदना हो, यहां जरूर मिल जाएगा. चूंकि यहां कस्टमरों की भरमार रहती है तो उनके खाने-पीने के लिए भी सैंकड़ों देसी-विदेशी आउटलेट्स भी खुले हुए हैं. यहीं पर 84ए 'विशाल चाट भंडार' नाम से आउटलेट खुला हुआ है.
बांबे भेल हाउस' के नाम से मशहूर दुकान के सामने ही यह आउटलेट है.
आसानी से समझना हो तो यहां पर 'बांबे भेल हाउस' के नाम से मशहूर दुकान है, बस उसके सामने ही यह आउटलेट है. यहां पर खाने के जो भी आइटम मिलते हैं, वे इतने जायकेदार और चटपटे हैं कि आपका दिल जीत लेंगे.
गोलगप्पे, भावपाजी का स्वाद है निराला
पहले इस दुकान का मैन्यू चेक कर लेते हैं. यहां पर गोलगप्पे, भल्ला-पापड़ी, आलू टिक्की, आलू चाट, राजकचौड़ी, लच्छा-टोकरी, चीला, पाव-भाजी, भरवां-गोलगप्पे आदि शामिल है. मतलब सब कुछ चटपटा है. सब कुछ फ्रेश. दही शानदार है, सौंठ में जान है, चटनी चटपटी है तो गोलगप्पे, भल्ले, पाव सब कुछ फ्रेश.
आप कुछ भी आइटम लीजिए, देखते ही पता चल जाएगा कि बनाने वाले पुराने कारीगर हैं. मसालों वगैरह का स्वाद मिलाकर जो स्वाद बनता है, वह दिल-दिमाग को जीत लेता है. कोई भी आइटम खाइए, उसकी कीमत 30 रुपये से 90 रुपये के बीच है.
1960 से चला आ रहा पुश्तैनी धंधा
इस दुकान को युवा विशाल गुप्ता चला रहे हैं. लेकिन चाट-पकौड़ी का यह काम खानदानी है. वर्ष 1960 में यमुनापार स्थित दिलशाद गार्डन में उनके दादाजी मिश्रीलाल गुप्ता ने ये चाट-पकौड़ी का काम शुरू किया था. उसके बाद उनके पिताजी देवेंद्र गुप्ता ने इस काम को संभाला. काम बढ़ा तो वर्ष 2013 में एक दुकान कमला नगर में भी खोल ली. विशाल बताते हैं कि मसाले और बनाने का तरीका सालों पुराना है.
इसके अलावा हमने धीरे-धीरे टेस्ट में बदलाव करते हुए उसे लाजवाब बना दिया है. इसलिए यहां भी लोग तारीफ करते हैं. दोपहर को ढाई बजे दुकान खुलती है और रात 9:30 बजे तक सब काम निपट जाता है. महीने के आखिरी सोमवार को अवकाश रहता है. दिल्ली विश्वविद्यालय मेट्रो स्टेशन से आने के लिए रिक्शा लेना होगा.


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