मूत्र संबंधी समस्याओं के लिए आयुर्वेद उपचार

मूत्र संबंधी समस्याओं के लिए आयुर्वेद उपचार

Update: 2022-06-28 10:43 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मूत्र पथ में संक्रमण (Urinary Tract Infection) आपके मूत्र प्रणाली के किसी भी हिस्से में होने वाला संक्रमण होता है। जिसमें आपके गुर्दे, मूत्राशय, मूत्रवाहिनी और मूत्रमार्ग शामिल होते हैं। यदि आप एक महिला हैं, तो आपको यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन होने की संभावना अधिक होती है। यह शरीर में दूसरा सबसे अधिक होने वाला संक्रमण है। हर 10 में से 1 पुरुष की तुलना में 2 में से 1 महिला को कम से कम एक बार इसके होने का खतरा होता है।

आयुर्वेद कहता है कि इलाज से पहले बीमारी का कारण पता करना और उससे बचना। UTI कम पानी पीने, खट्टे, मसालेदार, शर्करा युक्त खाद्य पदार्थ खाने और अधिक मात्रा में कैफीन, कार्बोनेटेड पेय, कॉफी, चॉकलेट आदि के अत्यधिक सेवन के कारण हो सकता है। आयुर्वेद के अनुसार पित्त को बढ़ाने वाली कोई भी चीज यूटीआई का कारण बन सकती है। इसलिए इससे बचना चाहिए।
आयुर्वेद में सबसे ठंडा पेय बताया गया है। इसके सेवन से शरीर में पित्त की परेशानी खत्म हो जाती है। जो कि यूटीआई होने का सबसे मुख्य कारण है।
कैसे तैयार करें- कुचले हुए धनिये के बीज को पानी में भिगोकर रातभर या 8 घंटे के लिए रख दें। अगली सुबह छानकर उसमें थोड़ी मात्रा में मिश्री मिलाकर खाली पेट इसे पी लें।
आंवला रस इम्यूनिटी को रखता है दूरुस्त
आंवला का रस का नियमित सेवन स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। क्योंकि आंवला विटामिन सी से भरपूर होता है इसलिए यह प्रतिरक्षा में सुधार करने का काम भी करता है।
​ये पेय भी देते हैं यूटीआई में राहत
वेटिवर पानी, पुदीना पानी, सौंफ का पानी, नारियल पानी, रात भर भिगोई हुई किशमिश, सब्जा के बीज प्रकृति में हाइड्रेटिंग और सुपर कूलिंग होते हैं। जो पेशाब करते समय जलन को कम करने में मदद करते हैं जो कि यूटीआई के दौरान सभी रोगियों द्वारा सबसे अधिक अनुभव किया जाता है।
​यूटीआई के गंभीर लक्षण
मूत्राशय के संक्रमण के मामले में, आपको पेशाब करने की आवश्यकता बार-बार महसूस हो सकती है या पेशाब करते समय दर्द महसूस हो सकता है। पेट के निचले हिस्से में दर्द और पेशाब में झाग बने रहना भी इसके लक्षणों में से एक है। किडनी में संक्रमण होने पर बुखार, ठंड लगना, जी मिचलाना, और उल्टी हो सकता है। जबकि मूत्रमार्ग में यह संक्रमण पेशाब करने पर डिस्चार्ज और जलन पैदा कर सकता है।
​चावल का पानी पेशाब में जलन को करता है कम

आयुर्वेद डाक्टर बताती हैं कि चावल का पानी यूटीआई में होने वाले डिस्चार्ज, पीठ दर्द, खुजली और पेट दर्द में राहत पहुंचाने का काम करता है। आप इसका सेवन दिन में कभी भी कर सकते हैं। ध्यान रखें कि चावल के पानी को सिर्फ 6-8 घंटे तक ही स्टोर किया जा सकता है। ऐसे में हर दिन ताजा चावल का पानी बनाना सबसे अच्छा विकल्प होता है।
कैसे तैयार करें- मुट्ठीभर चावल को एक बार धोकर मिट्टी के बर्तन/स्टेनलेस स्टील के बर्तन में 2-6 घंटे के लिए बंद कर दें। फिर चावल को 2 – 3 मिनट के लिए पानी में भिगोकर रख दें। अब आप इसे छानकर पी सकते हैं।
यूटीआई का आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां जो यूटीआई में आती है काम
गोक्षुरो
पुनर्नवा
वरूण
चंदन
गुडूची (यूटीआई में बुखार आने पर)
पाशनभेद (यूटीआई में गुर्दे की पथरी होने पर)
​इन चीजों का रखें विशेष ध्यान
ढीले सूती अंडरगारमेंट्स और कपड़े पहनें। साथ ही यूटीआई से बचने के लिए सेक्स के बाद पेशाब करना हमेशा एक स्वस्थ आदत होती है। इसके अलावा पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करें।


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