क्या आप लव एडिक्ट हैं?

Update: 2023-05-14 11:59 GMT
हमारी पीढ़ी को एडिक्ट्स की पीढ़ी कहा जाता है. हममें से कोई गेम्स का एडिक्ट होता है, कोई गैजेट्स का, कोई लग्ज़ीरियस लाइफ़स्टाइल का, कोई सेक्स का, कोई शराब, कोई पॉर्न तो कोई पैसे का. पर क्या आपने कभी लव एडिक्शन के बारे में सुना है? है ना अजीबोग़रीब एडिक्शन! प्यार की लत! प्यार होना तो अच्छी बात है, फिर प्यार की लत को आप क्या कहेंगे? आइए जानें लव एडिक्शन की पूरी साइकोलॉजी.
वर्ष 2010 में स्टैनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा कराए गए एक अध्ययन के मुताबिक़ जब हम प्यार में होते हैं, प्यार वाली भावना फ़ील करते हैं तब हमारे पेट में बटरफ़्लाईज़ यानी तितलियां उड़ती सी महसूस होती हैं. उसी स्टडी में यह पाया गया कि प्यार का प्रभाव हमारे दिमाग़ पर ड्रग्स के प्रभाव की तरह पड़ता है. तो क्या प्यार बुरी चीज़ है? क्या प्यार भी एक लिमिट में करना चाहिए?
प्यार एक ख़राब दवाई है
जब आप प्यार में सुकून और सुरक्षा की तलाश करते हैं तो लव एक ख़राब दवाई बन जाता है. लंबे समय तक इस दवाई का सेवन करते रहने से आपको इसकी लत लग जाती है. आपको प्यार के घेरे में ही सुकून का एहसास होता है. भले ही आपका रिश्ता अब्यूज़िव या बुरा ही क्यों न हो, आप उससे निकलने की कोशिश नहीं करते, क्योंकि आपको लगता है कि उसके बाहर आपका अस्तित्व नहीं है.
किसी कारण से यदि आपका रिश्ता टूट जाता है तो आपको घबराहट और बेचैनी महसूस होने लगती है. साइकोलॉजिस्ट रचना के सिंह, जो कि 30 साल से कम उम्र के कई ऐसे लोगों की काउंसलिंग कर चुकी हैं, जो 6-7 रिश्तों में रह चुके हैं, कहती हैं,‘‘मैंने इन लोगों में एक कॉमन चीज़ देखी है. ये लोग प्यार के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर पाते हैं. एक रिश्ता टूटने के बाद ख़ुद को संभलने और समझने का मौक़ा दिए बिना दूसरे रिश्ते में पड़ जाते हैं.’’
लव एडिक्ट्स को लगातार सराहना और सपोर्ट की ज़रूरत होती है. रिलेशनशिप काउंसिलर डॉ गीतांजलि शर्मा कहती हैं,‘‘लव एडिक्ट्स में एक रिश्ता टूटने के बाद दूसरा रिश्ता बनाने की जल्दबाज़ी यह दर्शाती है कि वे यह साबित करना चाहते हैं कि उनमें कोई कमी नहीं है. उनमें कुछ ग़लत नहीं है. वे जल्दी ही नया पार्टनर पा सकते हैं.’’
एडिक्ट बनाम एक्सपेरिमेंटर
हालांकि एक के बाद एक रिश्ता बनानेवाले सभी लोगों को लव एडिक्ट की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है. कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो मल्टिपल रिलेशनशिप में रहकर संतुष्टि का एहसास करते हैं. ऐसे लोग जिनका आत्मविश्वास और आत्मसम्मान कम होता है, जिन्हें अपने परिवार से प्यार नहीं मिलता, घर में लगातार कलह मची रहती है, सीरियस रिलेशनशिप का जिनका अनुभव ख़राब होता है… आमतौर पर वे प्यार की तलाश में एक रिश्ते से दूसरा रिश्ता खंगालना शुरू कर देते हैं.
‘‘हर बार जब वे नए रिश्ते में आते हैं तो उन्हें लगने लगता है कि शायद यह रिश्ता काम कर जाए,’’ कहती हैं मैरिज काउंसिलर डॉ निशा खन्ना. वे आगे बताती हैं,‘‘यही कारण है कि अक्सर अब्यूसिव रिश्ते में फंस जाते हैं. लव एडिक्ट्स का इमोशनल कोटेंट (ईक्यू) लो लेवल का होता है. लो ईक्यू वाले लोगों का डिप्रेशन में जाने के चांसेस ज़्यादा होते हैं.’’
डॉ खन्ना सलाह देती हैं कि हमें बाहर प्यार तलाशने की बजाय अपने अंदर उसकी खोज शुरू करनी चाहिए. इस तरह हम ख़ुश रहना शुरू कर देंगे.
कहीं आप लव एडिक्ट तो नहीं?
नीचे दिए गए कुछ सवाल ख़ुद से पूछें और जानें कि कहीं आप लव एडिक्शन के झांसे में तो नहीं फंस रहे?
-क्या आपको लगता है कि अगर आपको कोई प्यार करेगा, आप केवल तभी ख़ुश हो पाएंगे?
-आप फ़िल्मों या टीवी में दिखाए जानेवाले प्यार की तरह असल ज़िंदगी में प्यार पाना चाहते हैं?
-आपको कभी-कभी यह महसूस होता है कि आप किसी से इसलिए प्यार करते हैं, क्योंकि आपको प्यार चाहिए?
-आप रिश्ते को बनाए रखने की कोशिश करते हैं, बजाय ख़राब रिश्ते से बाहर निकलने की सोचने के.
-आप इसलिए रिश्ते में बने रहना चाहते हैं, क्योंकि आप अकेले नहीं रह सकते.
-क्या एक कमिटेड रिश्ते में रहते हुए भी आपको अपने चुनाव पर संदेह होता है या आप लगातार अपने एक्स के बारे में सोचते रहते हैं?
-आप कभी किसी सीरियस रिश्ते में नहीं रहे हैं?
-ब्रेकअप के बाद नए रिश्ते में पड़ने से पहले आप ज़रा भी ब्रेक नहीं लेते. जो भी विकल्प आसानी से मिले, उसे अपना लेते हैं?
-आप उम्मीद करते हैं कि आपका प्रेमी/प्रेमिका आपको हमेशा स्पेशल फ़ील करवाएगा?
-कोई आपसे प्यार न भी करे तो भी उससे प्यार की उम्मीद करते हैं?
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