इस सीज़न के फल अंगूर के स्वास्थ्य से जुड़े कमाल के फ़ायदे

Update: 2023-06-16 15:20 GMT
जनवरी से लेकर मार्च तक बाज़ार में अंगूर की रौनक रहती है. मार्केट में हरे, काले और जामुनी रंग के अंगूर मिलते हैं. इतना ही नहीं, रंगों के साथ-साथ अंगूर के आकार-प्रकार में भी विविधता पाई जाती है. छोटे आकारवाले अंगूर बीज-रहित होते हैं और बड़ी जाति के अंगूर में बीज होते हैं. देखा जाए तो दुनिया में अन्य फलों की अपेक्षा अंगूर की खेती और इसकी पैदावार काफ़ी अधिक मात्रा में की जाती है. कारण, इसे फल के तौर पर खाया जाता है, इससे किशमिश समेत शराब जैसी कई तरह की चीज़ें बनाई जाती हैं. भारत में महाराष्ट्र राज्य के नासिक ज़िले के अंगूर प्रसिद्ध हैं. वहीं दुनिया में यूरोपीय देशों ख़ासकर फ्रांस और इटली तथा अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया राज्य के अंगूरों को अच्छी गुणवत्ता वाला माना जाता है. चलिए इस सीज़न के फल अंगूर के सेहत से जुड़े उन फ़ायदों के बारे में जान लेते हैं, जो इसे डायट में शामिल करने के लिए अनिवार्य बनाते हैं.
क्या हैं अंगूर की विशेषताएं?
आयुर्वेद में अंगूर का काफ़ी औषधीय महत्व है. प्राचीन भारतीय ऋषि महर्षि चरक के अनुसार मिठास से भरा अंगूर स्फूर्तिदायक, बालों और आंखों के लिए हितकारी तथा भूख बढ़ानेवाला होता है. महान आयुर्वेदाचार्य सुश्रुत का मानना था कि अंगूर युवावस्था को टिकाए रखने, वृद्धावस्था को दूर रखने में सहायक होते हैं. उनके मतानुसार अंगूर पौष्टिक एवं बीमारियों को ख़त्म करनेवाला फल है. यह पेट को जलन को शांत करता है. यह पाचनक्रिया में काफ़ी सहायक होता है, इसलिए इसके सेवन से गैस की तक़लीफ़ दूर हो जाती है.
अंगूर के पोषक तत्वों का विश्लेषण
अंगूर में सबसे अधिक मात्रा होती है पानी की. प्रतिशत के अनुसार बात करें तो इसकी मात्रा लगभग 85.5% होती है. इसमें 0.5% प्रोटीन, 7.1% वसा, 10.2% कार्बोहाइड्रेट की होती है. इसके अलावा कैल्शियम और फ़ॉस्फ़ोरस भी अल्प मात्रा में मौजूद होते हैं. अंगूर में विटामिन ए, विटामिन बी 2. नियेसिन और विटामिन सी की भी अच्छी मात्रा होती है.
जब अंगूर कच्चे होते हैं, तब काफ़ी खट्टे होते हैं. उसमें एसिडिक तत्वों की मात्रा काफ़ी अधिक होती है, शर्करा की मात्रा बहुत कम होती है, पर जैसे-जैसे यह पकने लगता है, इसमें शर्करा की मात्रा बढ़ती जाती है. अंगूर में पाई जानेवाली शर्करा ग्लूकोज़ के रूप में होती है. अंगूर में समान वजनवाले किसी भी फल से अधिक मात्रा में शर्करा (ग्लूकोज़) होती है. अंगूर की कुछ प्रजातियों में तो 50 प्रतिशत तक शर्करा होती है. अंगूर में पाया जानेवाला ग्लूकोज़ का शरीर में बहुत आसानी से शोषण हो जाता है.
हालांकि अंगूर में लौह की मात्रा बहुत कम होती है, पर शरीर इसे बहुत जल्दी एब्ज़ॉर्ब कर लेता है. इसलिए पांडुरोग यानी एनिमिया (रक्त की कमी) में यह बहुत उपयोगी है. अंगूर में मैलिक एसिड, सिट्रिक एसिड व टार्टरिक एसिड होते हैं, जो ख़ून को साफ़ करते हैं तथा आंतों एवं मूत्रपिंडों की गतिविधियों को सक्रियता प्रदान करते हैं.
इस्तेमाल और फ़ायदे
हालांकि अंगूर का इस्तेमाल इसके मूल रूप में भी किया जा सकता है, पर इसके शुद्ध रस में अधिक औषधीय गुण होते हैं. अधिक मात्रा में इसका उपयोग रस के रूप में ही किया जा सकता है.
इससे मिलनेवाले लाभ की बात करें तो यदि प्रति दिन अंगूर का सेवन किया जाए, तो कब्ज़ की बीमारी दूर हो जाती है. इसके सेवन से बवासीर में राहत मिलती है. इससे पित्त-प्रकोप एवं पेट की जलन शात होती है. आम कमज़ोरी यानी जनरल वीकनेस, शारीरिक दुर्बलता, वजन स्थिर हो जाना, त्वचा का रूखापन, आंखों की नज़र कमज़ोर पड़ जाना तथा शरीर में जलन महसूस होना आदि बीमारियों में अंगूर का सेवन करने से मरीज़ को काफ़ी लाभ होता है. थोड़े दिन तक अंगूर के रस का सेवन करने से शरीर के भीतर की गर्मी दूर हो जाती है तथा रक्त साफ़ एवं शीतल हो जाता है. अंगूर के रस का सेवन करने से पेचिश की बीमारी में काफ़ी फ़ायदा मिलता है.
जब अंगूर के इतने सारे बेमिसाल फ़ायदे हैं और यह इस सीज़न का फल है ही, तो तुरंत इसे अपने मौसमी फलों वाले कोटे में शामिल करें.
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