वास्तु के हिसाब से कैसा होना चाहिए बच्चो का स्टडी रूम, पढ़े
बच्चो का स्टडी रूम, पढ़े
घर बनवाते वक़्त या खरीदते समय आजकल बच्चों के बैडरूम को भी ध्यान में रखा जाता है। वास्तु शास्त्र में भी छोटे बच्चो के रूम के बारे में बताया गया है। इसके अलावा फेंगशुई में भी इसे महत्व दिया गया है। यदि बच्चों का कमरा सही दिशा में है तो बच्चे भी सही दिशा में बढ़ते है और पढ़ाई - लिखाई व् अन्य कम्पटीशन में कोई मुश्किल नही आती। आइये जानते है बच्चो का स्टडी रूम कहाँ और कैसा होना चाहिए -
पढ़ने का कमरा या घर में बच्चों का कमरा पूर्व, उत्तर, या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। इस दिशा में बच्चे का कमरा होने से उसके ज्ञान में वृद्धि होती है, और कमरे का दरवाज़ा भी इसी दिशा में खुलना चाहिए।
स्टडी रूम में पढऩे के लिए मेज कभी भी कोने में नहीं होनी चाहिए। मेज या टेबल हमेशा रूम के बीच में दीवार से थोड़ी हटकर होनी चाहिए। स्टडी टेबल पर पर्याप्त लाइट होनी चाहिए। लाइट पीछे से आनी चाहिए न की सामने से।
बच्चो के कमरे की दीवारों के लिए हल्के रंग का प्रयोग करें। उनके बैडरूम के लिए हल्का हरा रंग माना जाता है। क्योंकि हरा रंग कल्पनाशीलता, ताजगी और एकाग्रता को बढ़ाने में सहायता करता है। साथ ही पीले, नील, लाल रंग की चीज़ो हल्का उपयोग किया जा सकता है।
एकाग्रता को बढ़ाने के लिए पूर्व दिशा की तरफ मुँह करके पढ़ाई करें और किसी दीवार, फर्नीचर या खुली अलमारी का सहारा ना लें इससे एकाग्रता भंग होती है।
फेंगशुई के अनुसार स्टडी टेबल पर ऐमेथिस्ट या क्रिस्टल का एज्युकेशन टॉवर रखें, जिससे जीवन में आगे बढऩे की प्रेरणा मिलती है। स्टडी टेबल के ऊपर पिरामिड भी लगा सकते हैं। इससे पिरामिड की दीवारों से ऊर्जा टकराकर पढऩे वाले के सिर पर पड़ती है, जिससे उसकी याददाश्त बढ़ती है।
बच्चो के कमरे में उनका पलंग कमरे के दक्षिण-पश्चिम कोने / पश्चिम अथवा दक्षिण में रखें और सोते समय उनका सर पूर्वी या दक्षिणी दिशा में रहे। पूर्व दिशा की तरफ सर होने से बच्चो की बुद्धि तेज होती है और वह आसानी से ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं।