आचार्य चाणक्य के अनुसार ऐसे पा सकते हैं शत्रुओं पर विजय

Acharya Chanakya

Update: 2021-06-12 17:05 GMT

चाणक्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है। ये एक महान अर्थशास्त्री थे। विभिन्न विषयों की गहरी समझ होने और अत्यंत कुशाग्र बुद्धि के कारण ये विष्णु गुप्त और कौटिल्य के नाम से विख्यात थे। इन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता के बल पर इतिहास की धारा को बदल कर रख दिया था। इन्हें मौर्य साम्राज्य का संस्थापक भी कहा जाता है। अपनी राजनीतिक और कूटनीतिक समझ से इन्होंने नंदवंश का नाश करके चंद्रगुप्त मौर्य को सम्राट बनाया। इन्होंने नीति शास्त्र में भी जीवन के विभिन्न पहलुओं धन, शिक्षा, सामाजिक जीवन, रिश्ते, मित्र और शत्रुओं आदि पर महत्वपूर्ण विचार प्रकट किए हैं। हर व्यक्ति के जीवन में यदि मित्र होते हैं तो शत्रु भी होते हैं। चाणक्य नीति में शत्रु से विजय प्राप्त करने के विषय में भी महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं। इन सुझावों को अपनाकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है। तो चलिए जानते हैं कि शत्रुओं के विषय में क्या कहती है चाणक्य नीति।


शत्रु की गतिविधि पर रखें नजर

चाणक्य कहते हैं कि शत्रु से विजय प्राप्त करने के लिए उसके बारे में जानकारी होना बहुत आवश्यक होता है। शत्रु की ताकत और कमजोरी को जानना चाहिए। चाणक्य के अनुसार अपने शत्रु की गतिविधियों को कभी अनेदखा नहीं करना चाहिए। शत्रु की प्रत्येक गतिविधि की जानकारी होने से आप उसे पराजित करने हेतु योजना तैयार कर सकते हैं और विजय प्राप्त कर सकते हैं।

जब शत्रु हो बलशाली

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यदि आपका शत्रु बलशाली हो तो उसे बुद्धि से परास्त करना चाहिए। यदि शत्रु आपसे अधिक ताकतवर है तो उसे तुरंत जवाब देना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। ऐसे में उस समय छिप जाना ही बेहतर होता है और शत्रु की शक्ति के अनुसार शुभचिंतकों को साथ लेकर स्वयं की शक्ति बढ़ानी चाहिए और सही समय आने पर अपनी योजना बनाकर और शत्रु का सामना करना चाहिए।

शत्रु को कमजोर न समझें

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य को कभी भी अपने शत्रु को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए। अपने शत्रु को कमजोर समझने की भूल व्यक्ति के लिए नुकसानदायक साबित होती है, इसलिए सदैव अपने शत्रुओं लेकर सतर्क रहना चाहिए।
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