वैसे भी, सर्दियों में गर्मागर्म खाने का कौन मना कर पाता है। बड़े-बड़े फिटनेस गुरु भी गाजर के हलवे की खुशबू के आगे सरेंडर कर देते हैं। लेकिन इसके बाद होने वाली समस्याओं के बारे में कोई जिक्र नहीं करना चाहता है।
मजेदार और चटपटा, स्वादिष्ट खाना खाने के बाद अक्सर पूरे दिन गैस बनने की समस्या होती है। गैस बनने पर थोड़ी-थोड़ी देर में गैस पास भी करनी पड़ती है। यही कारण है कि, अक्सर पब्लिक प्लेस में ये खासा असुविधाजनक हो जाता है।
वैसे तो गैस बनने से कई समस्याएं होती है। इनमें, जी मिचलाना, उल्टी आना, पेट में दर्द होना, पेट का भरा हुआ महसूस होना, बार-बार शौच का अहसास होना आदि शामिल हैं। कुछ मामलों में तो इससे सिरदर्द की शिकायत भी होती है।
भारत, फूड लवर्स का देश है। यहां के लोग जमकर भोजन करने में यकीन रखते हैं। ऐसे में गैस और कब्ज जैसी समस्याएं भारत में आम हैं। लेकिन, प्राचीन काल में लोगों के पास इतनी आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं नहीं हुआ करती थीं। तब लोग इन समस्याओं को दूर करने के लिए योग और घरेलू नुस्खों को अपनाया करते थे।
भारत के महान योग गुरुओं ने भी भोजन करने के बाद होने वाली गैस की समस्या को दूर करने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। ये योगासन न सिर्फ गैस बल्कि कब्ज और पेट से जुड़ी अन्य समस्याओं को दूर करने में भी सहायता करते हैं।
इस आर्टिकल में हम आपको पेट में गैस की समस्या से राहत दिलवाने वाले 3 योगासनों के बारे में जानकारी देंगे। इन योगासनों के नियमित अभ्यास से न सिर्फ आपकी पाचनक्रिया बेहतर होगी बल्कि गैस की समस्या से भी राहत मिलेगी।
पेट में गैस की समस्या कब होती है? (What’s Causing Abdominal Bloating)
पेट में गैस की समस्या तब होती है जब जठरांत्र या पेट की आंत (जीआई) का रास्ता हवा या गैस से भर जाता है। अधिकांश लोग समस्या होने पर पेट में भरा हुआ, तंग या सूजन महसूस करते हैं। समस्या होने पर पेट काफी फूल जाता है। इसके साथ ही पेट छूने में सख्त महसूस होता है और दर्द भी होता है।
पेट में गैस की समस्या होने के सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं।
दर्द होना
अत्यधिक गैस बनना (पेट फूलना)
बार-बार दबना या मरोड़ उठना
पेट में गड़गड़ाहट होना
दुर्गंध युक्त हवा निकलना
पेट की सूजन आपके काम करने और सामाजिक या मनोरंजक गतिविधियों में भाग लेने की क्षमता में हस्तक्षेप कर सकती है। ये समस्या वयस्कों और बच्चों दोनों में आम है।
पेट में गैस की समस्या क्यों होती है? (Why Do You Feel Bloated?)
पेट में गैस बनने या फूलने की समस्या ज्यादातर भोजन के बाद शुरू होती है। गैस पाचन तंत्र में तब पैदा होती है जब बिना पचा हुआ भोजन आंतों में जाता है। या फिर, जब आप भोजन के साथ ही काफी मात्रा में हवा अंदर ले लेते हैं।
ज्यादातर लोग खाने या पीने के समय थोड़ी बहुत हवा को भी निगल लेते हैं। लेकिन कुछ लोग दूसरों की तुलना में ज्यादा हवा भी निगल सकते हैं, खासकर यदि वे
बहुत तेजी से खाना या पीना
च्यूइंग गम चबाना
धूम्रपान
ढीले डेन्चर पहने हुए
भोजन को करते हैं।
अगर आप गरिष्ठ भोजन करते हैं तो पेट देर से खाली होता है। इससे पेट को भोजन पचाने में ज्यादा समय लगता है और गैस बनने की समस्या होने लगती है।
पेट में गैस की समस्या के लिए योगासन (Yoga Poses For Bloating)
अब बाएं घुटने से सीने को छूने की कोशिश कीजिए।
सिर जमीन से ऊपर उठाएं और घुटने को नाक से छूने की कोशिश करें।
नाक को घुटनों से छूने के बाद 10 से 30 सेकेंड तक इसी मुद्रा में रहें।
धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए सामान्य हो जाएं।
अब यही प्रक्रिया दाएं पैर से भी कीजिए।
एक योग सेशन में 3 से 5 बार इस मुद्रा को दोहराएं।
2. सेतु बंध सर्वांगासन (Setu Bandha Sarvangasana / Bridge Pose)
सेतु बंध सर्वांगासन के अभ्यास से थायरॉयड ग्रंथि में उत्तेजना बढ़ने लगती है और मेटाबॉलिज्म नियमित होने लगता है। सेतु बंधासन उन लोगों के लिए भी बेस्ट है जो दिन भर कंप्यूटर या लैपटॉप के सामने बैठकर काम करते हैं।
सेतु बंध सर्वांगासन, पेट से गैस बाहर निकालने वाले चुनिंदा आसनों में से एक है। कमर दर्द की हिस्ट्री वाले लोगों को इस आसन को करने से बचना चाहिए।
सेतु बंध सर्वांगासन करने की विधि :
योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।
सांसों की गति सामान्य रखें।
इसके बाद हाथों को बगल में रख लें।
अब धीरे-धीरे अपने पैरों को घुटनों से मोड़कर हिप्स के पास ले आएं।
हिप्स को जितना हो सके फर्श से ऊपर की तरफ उठाएं। हाथ जमीन पर ही रहेंगे।
कुछ देर के लिए सांस को रोककर रखें।
इसके बाद सांस छोड़ते हुए वापस जमीन पर आएं।
पैरों को सीधा करें और विश्राम करें।
10-15 सेकेंड तक आराम करने के बाद फिर से शुरू करें।
3. पश्चिमोत्तानासन (Paschimottanasana / Seated Forward Bend)
पश्चिमोत्तानासन में बैठकर आगे की तरफ झुककर किया जाने वाला आसन है। ये योगासन पेट में गैस होने की समस्या में किसी थेरेपी की तरह काम करता है। ये आसन ब्लड प्रेशर को कम करता है। पेट पर दबाव डालकर वेट लॉस में मदद करता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से मेटाबॉलिज्म को रेग्युलेट करने में भी मदद मिलती है।
पश्चिमोत्तानासन करने की विधि :
योग मैट पर दोनों पैरों को एकदम सीधे फैलाकर बैठ जाएं।
दोनों पैरों के बीच में दूरी न हो और जितना संभव हो पैरों को सीधे रखें।
गर्दन, सिर और रीढ़ की हड्डी को भी सीधा रखें।
दोनों हथेलियों को दोनों घुटनों (Knees) पर रखें।
सिर और धड़ (Trunk) को धीरे से आगे की ओर झुकाएं।
घुटनों को बिना मोड़े हाथों की उंगलियों से पैरों की उंगलियों को छुएं।
गहरी श्वास लें और धीरे से श्वास को छोड़ें।
सिर और माथे को दोनों घुटनों से छूने की कोशिश करें।
बांहों को झुकाएं और कोहनी (Elbow)से जमीन को छूने की कोशिश करें।
श्वास को पूरी तरह छोड़ दें और इसी मुद्रा में कुछ देर तक बने रहें।
कुछ सेकेंड के बाद वापस पहली वाली मुद्रा में आ जाएं।
सामान्य रूप से श्वास लें और इस आसन को 3 से 4 बार दोहराएं।
4. बिटिलासन (Bitilasana / Cow Pose)
री अंगों को बेहतरीन मसाज देता है। इससे पाचन सुधारने और मेटाबॉलिज्म को रेग्युलेट करने में काफी मदद मिलती है। अगर आप कब्ज और गैस की समस्या से लम्बे समय से परेशान रहे हैं तो भी ये आसन आपकी काफी मदद कर सकता है।
पाचन के अलावा, ये आसन रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन को सुधारता है। ये शरीर में प्राण को सुधारता है और रीढ़ की हड्डी को मोड़ता है। इस आसन में लोअर बैक, मिडिल बैक, गर्दन और कंधों में टेंशन को दूर करने के गुण पाए जाते हैं।
बिटिलासन कोर मसल्स को मैक्सिमम टेंशन देकर मजबूत बनाता है। ये हाथों, कंधों और कलाई को मजबूत बनाने में मदद करता है।
बिटिलासन करने की विधि :
फर्श पर योग मैट को बिछा कर अपने दोनों घुटनों को टेक कर बैठ जाएं।
इस आसन को करने के लिए आप वज्रासन की मुद्रा में भी बैठ सकते हैं।
अब अपने दोनों हाथों को फर्श पर आगे की ओर रखें।
दोनों हाथों पर थोड़ा सा भार डालते हुए अपने हिप्स (कूल्हों) को ऊपर उठायें।
जांघों को ऊपर की ओर सीधा करके पैर के घुटनों पर 90 डिग्री का कोण बनाए।
आपकी छाती फर्श के समान्तर होगी और आप एक गाय की तरह दिखाई देगें।
अब आप एक लंबी सांस लें और अपने सिर को पीछे की ओर झुकाएं।
अपनी नाभि को नीचे से ऊपर की तरफ धकेलें।
इसी के साथ टेलबोन (रीढ़ की हड्डी का निचला भाग) को ऊपर उठाएं।
अब अपनी सांस को बाहर छोड़ते हुए अपने सिर को नीचे की ओर झुकाएं।
मुंह की ठुड्डी को अपनी छाती से लगाने का प्रयास करें।
इस स्थिति में अपने घुटनों के बीच की दूरी को देखें।
ध्यान रखें की इस मुद्रा में आपके हाथ झुकने नहीं चाहिए।
अपनी सांस को लम्बी और गहरी रखें।
अपने सिर को पीछे की ओर करें और इस प्रक्रिया को दोहराहएं।
इस क्रिया को आप 10-20 बार दोहराएं।
5. बालासन (Balasana / Child Pose)
बालासन, साधारण कठिनाई या बेसिक लेवल का आसन है। इसे विन्यास योग की शैली का आसन माना जाता है। बालासन का अभ्यास 1 से 3 मिनट तक किया जाना चाहिए। इसे करने में किसी किस्म के दोहराव की आवश्यकता नहीं होती है।
बालासन, असल में योग करने के दौरान योगियों द्वारा विश्राम करने की मुद्रा है। इस मुद्रा में योगी का शरीर भ्रूण का स्थिति में चला जाता है। ये आसन पाचन से जुड़ी हर समस्या का समाधान कारगर तरीके से करने में सक्षम है।
बालासन करने की विधि :
योग मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं।
दोनों टखनों और एड़ियों को आपस में छुआएं।
धीरे-धीरे अपने घुटनों को बाहर की तरफ जितना हो सके फैलाएं।
गहरी सांस खींचकर आगे की तरफ झुकें।
पेट को दोनों जांघों के बीच ले जाएं और सांस छोड़ दें।
कमर के पीछे के हिस्से में त्रिकास्थि/सैक्रम (sacrum) को चौड़ा करें।
अब कूल्हे को सिकोड़ते हुए नाभि की तरफ खींचने की कोशिश करें।
इनर थाइज या भीतर जांघों पर स्थिर हो जाएं।
सिर को गर्दन के थोड़ा पीछे से उठाने की कोशिश करें।
टेलबोन को पेल्विस की तरफ खींचने की कोशिश करें।
हाथों को सामने की तरफ लाएं और उन्हें अपने सामने रख लें।
दोनों हाथ घुटनों की सीध में ही रहेंगे।
दोनों कंधों को फर्श से छुआने की कोशिश करें।
आपके कंधों का खिंचाव शोल्डर ब्लेड से पूरी पीठ में महसूस होना चाहिए।
इसी स्थिति में 30 सेकेंड से लेकर कुछ मिनट तक बने रहें।
धीरे-धीरे फ्रंट टोरसो को खींचते हुए सांस लें।
पेल्विस को नीचे झुकाते हुए टेल बोन को उठाएं और सामान्य हो जाएं।